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चंद्रमा (moon) के बारे में रोचक ज्योतिषीय (Astrology) जानकारी with Remedy MEDITATION_is_the_Best_Remedy_For_Moon

इसके अलावा कुछ अनसुलझी बाते भी है…क्यो पूर्णिमा Purnima के दिन एक्सीडेंट या सर्जरी होने पर रक्तश्राव अधिक होता है या महिलाओं Females का मासिकधर्म की पहली या दूसरी तारीख पूर्णिमा को पड़ जाये तो रक्तश्राव अन्य दिनों के अपेक्षा अधिक होता है..? ये मेरा नही अपितु वैज्ञानिकों का कहना है..सबसे अधिक शोर पागलखानों में पूर्णिमा की रात ही होता है जबकि सबसे अधिक एक्सीडेंट अमावस्या के दिन..

 

बच्चों का पढ़ाई में मन क्यो नही लगता ?

आखिर क्यो हम दूसरों की सफलता (successs) से जलते है ?

क्यो हम दूसरों को नीचा दिखाने की कोशिश करते है ?

क्यो कुछ लोगो मे शक करने के बहुत आदत habit रहती है ?

क्यो कुछ लोगो को जल्दी नींद नही आती या देर रात तक भी नींद नही आती ?

भावुकता क्यो आती है ?

मानसिक रोगों का क्या कारण है ?

क्यो हम मैडिटेशन (Meditation) या योग लंबे समय तक नही कर पाते ?

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पृथ्वी से देखे जाने पर चंद्र की गति और स्थिति में ही सबसे ज्यादा बदलाव देखा जाता है..सबसे जल्दी “नक्षत्र-राशि” परिवर्तन चंद्रमा ही करता है।पृथ्वी पर लगभग 75% जल है (अधिकतर समुद्र का खारा जल)..मानव शरीर में 70% जल होता हैं। ज्वार-भाटा का भी मुख्य सिद्धांत पूर्णिमा और अमावस्या से जुड़ा है।

 

मान्यताओं अनुसार चंद्रमा की 27 पत्नियां थी जिनमे से उन्हें “रोहिणी” सबसे अधिक प्रिय थी..यही 27 पत्नियाँ 27 नक्षत्र कहलाये..28वे नक्षत्र अभिजीत के बारे में इस संदर्भ में कोई जानकारी उपलब्ध नही है..

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भारतीय इतिहास में हरित क्रांति(खेती) और “श्वेत_क्रांति” (दुग्ध उत्पादन और पशुपालन) बहुत चर्चित रही जिससे भारत आर्थिक तौर पर मजबूत हुआ था। दिल्ली से श्वेत क्रांति की शुरुआत के लिए जब हरी-झंडी दी थी..उस समय चंद्रमा का गोचर अपनी प्रिय पत्नी “रोहिणी” नक्षत्र में था..दूध क्रांति काफी सफल रही थी और उस समय ही अमूल और NDDB ने बहुत नाम कमाया।

 

भारतीय ज्योतिष पद्धति भी पूरी तरह चंद्र पर ही आधारित है जिसे निरयण पद्धति कहा जाता है..12 मासों के नाम भी चंद्रमा पर आधारित है। शरद पूर्णिमा को चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब आ जाता है और इस दिन ही सबसे खूबसूरत चंद्र दिखाई देता है। भारतीय त्यौहार जैसे कृष्ण जन्माष्टमी, दीपावली, होली आदि भी चंद्रमा के वजह से ही हर वर्ष अलग-अलग दिन पड़ती है।

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ना सिर्फ हिन्दू धर्म बल्कि बहुत से धर्मों में चंद्रमा को महत्व दिया गया है। इस्लाम धर्म ही चंद्र कैलेंडर पर आधारित है और उनके जितने भी त्यौहार और रोजे है जैसे शब्बे-बारात,ईद सभी का चंद्रमा से प्रत्यक्ष संबंध है। कुरान में भी चंद्र से दुआ माँगने पर विशेष फल की प्राप्ति का उल्लेख है।

 

ईसाई धर्म में भी जो ईस्टर मनाते है वो भी बसंत विषुव पूर्णिमा के बाद के पहले रविवार को ही पड़ता है। चीन में नववर्ष चंद्रमा पर ही आधारित है और फेंगशुई में भी चंद्रमा को विशेष स्थान दिया है।

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रावण भी “पूर्णिमा” की रात्रि को बहुत से आइनो और यंत्रों की मदद से चंद्र की रोशनी अपनी नाभि पर रातभर लेता था,उनका मानना था कि इससे मनुष्य लंबे समय तक जवान रहता है।

 

प्राचीन काल में और आज भी “समुद्री यात्राओं” के समय भी चंद्रमा की स्थिति मायने रखती थी और आज भी रखती है।

 

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा माता, जल, दूध, सभी तरह के तरल पदार्थों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कारक, मन, खेती, सफेद रंग, कपास, गन्ना, चावल, मिश्री, शंख-मोती, हृदय, फेफड़े, बाई आँख, छाती-स्तन, दिमाग, आँत, गुर्दे, अंडकोष आदि का कारक है….

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अर्थात अब इतना तो आप समझ ही गये होंगे कि चंद्रमा को महत्व सभी देशों और “मान्यताओं-परम्पराओ” में मिला है। कमजोर चंद्र वाले ईर्ष्यालु होते है।अतिभावुक भी,जैसे TV या मूवी के दुखद दृश्य देखकर आँसू टपकाना चालू कर देना। मजबूत चंद्र जातक को क्रिएटिव,कलाकार बनाता है..अच्छा लेखक,गायक,कवि,हास्य कलाकर बनने में भी चंद्र का बहुत योगदान होता है।जिनका चंद्र मज़बूत हो उनकी हैंडराइटिंग बहुत साँफ और सुंदर होती है साथ ही लिखने की गति भी जबरदस्त रहती है..फिलहाल अब इसे आप Typing से जोड़कर देख सकते हो।

 

लिखने के लिए तो चंद्र के महत्व पर किताब लिखी जा सकती है पर अब आता हूँ सीधे सरल उपायो पर जो पूर्णतः वैज्ञानिक तथ्यों से जुड़े है, सर्वप्रमुख:- “MEDITATION_is_the_Best_Remedy_For_Moon”..इसके बाद..

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एक वजनी “दक्षिणावर्ति_शंख” अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार खरीदे और अच्छे से धोकर रोज रात में शंख में पानी रखे एवं प्रातः खाली पेट वो पानी गिलास में लेकर पिये,इससे आप मानसिक तौर पर बहुत मजबूत हो जाओगे..

अभिमंत्रित कर “दोमुखी_रुद्राक्ष” धारण करें।

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घर के पश्चिमी कोने में भारी सामान वाशिंग मशीन या अन्य भारी सामान रखे..शाम को सफेद रंग का जीरो वॉट का बल्ब रातभर चालू रखे..

सफेद और स्लेटी रंग अधिक पहने जबकि तड़क-भड़क,चमकीले और काले रंग से परेहज करे..

चंदन,चमेली,लिली आदि सुगंधों के इत्र अपने वस्त्रों में लगाये..भड़कीले Deo से दूरी बनाये..वाहन चलाते समय ना ही गाने ना सुने और ना सिगरेट पिये..

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शराब और सिगरेट बिल्कुल छोड़ दे..Sea-Food जैसे मछली-केकड़े आदि खाने के बाद दूध कभी ना पिये..अंडे के भीतर का पीला अंडा का त्याग करें..रात्रि को अल्पाहार ले।

यदि आपका चंद्र कमजोर हो तो कुछ समय के लिए (कम से कम 43 दिन) दुनिया से थोड़ा अलग हो जाये अर्थात लोगो से बातचीत कम कर दे, जितना काम हो बस उतना ही बोले, प्रत्यक्ष मिलने वाले लोगो को या सोशल मीडिया पर बेवजह विरोधाभास करने वालो को तुरंत प्रतिक्रिया देना जरूरी ना समझे…एकांत में रहकर “विपसना” (Meditation) पर ध्यान लगाये…वाणी पर नियंत्रण रखें और कम बोलिये।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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