विशेष कर सोमवार को भगवान शिव जी का दिन माना जाता है। इसलिए सोमवती अमावस्या पर शिव जी की आराधना, पूजन-अर्चना उन्हीं को समर्पित होती है। इसीलिए सुहागन महिलाएं पति की दीर्घायु की कामना करते हुए पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा करती हैं।
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सोमवती अमावस्या हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखती है। सोमवार के दिन यह अमावस्या पड़ने के कारण ही इसे को सोमवती अमावस्या कहते है। इस दिन सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत रखने का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है, ऐसा पुराणों में वर्णित है। इस वर्ष 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है। यह इस साल की अंतिम सोमवती अमावस्या भी है।
सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें।
सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को जल देने से दरिद्रता दूर होती है। इसके साथ ही इस दिन माता पार्वती, माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ होता है।
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ऐसा माना गया है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी तथा अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। अत: इस दिन पीपल के पूजन से सौभाग्य की वृद्धि होती है।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की परिक्रमा करने का विधान है। उसके बाद गरीबों को भोजन कराया जाता हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन की यह भी मान्यता है कि इस दिन पितरों को जल देने से उन्हें तृप्ति मिलती है।
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जिन लोगों की पत्रिका में चंद्रमा कमजोर है, वह जातक गाय को दही और चावल खिलाएं तो उन्हें मानसिक शांति प्राप्त होगी।
पर्यावरण को सम्मान देने के लिए भी सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विधान माना गया है।