ज्योतिष के अनुसार शनिवार का दिन वैसे तो मां दुर्गा, वीर बजरंगी हनुमान जी और मां काली की अराधना के लिए माना जाता है, लेकिन यही दिन शनिदेव का भी दिन है। शनिदेव न्याय के देवता हैं और वह किसी के भी साथ अन्याय होता नहीं देखते हैं। शनिदेव जब देने पर आते हैं तो अपने भक्त को इतना देते हैं कि भक्त के तमाम भंडार हमेशा के लिए भरे रहते हैं।
शनि ग्रह की दो राशियां हैं कुंभ और मकर तुला। शनि हमारे जीवन में अच्छे कर्म का पुरस्कार और बुरे कर्म के दंड देने वाले हैं। इसकी प्रकृति दारुण है। इस दिन यदि आप मात्र 5 कार्य करेंगे तो आपको धन धान्य समेत पांच तरह के चमत्कारिक लाभ आपको मिलेंगे। क्या है वह पांच कार्य, आइए जानते हैं…
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ये पांच कार्य करें :
1. शनिवार को व्रत करें। 2. छाया दान करें। 3. विभूति, भस्म या लाल चंदन लगाएं। 4. सुंदरकांड या बजरंगबाण पढ़े। 5. शमी के वृक्ष में जल चढाएं।
नियम : शराब पीना, मांस मटन खाना, जुआ खेलना, पराई स्त्री पर नजर रखना, गरीब, मेहतर, अंधे, अपंग, महिला, कमजोर या असहाय लोगों का शोषण करना या कष्ट देना, कुत्ते, गाय और कौवे को सताना, माता पिता को कष्ट देना वर्जित है तो ही फायदा होगा।
कुंडली में शनि सातवें भाव या ग्यारहवें भाव में या शनि मकर, कुंभ और तुला में है तो कोई बात नहीं परंतु इसके अलावा किसी भाव में है तो शनिवार का उपवास करना चाहिए। इससे नीच का शनि पीड़ा नहीं देता है और लगातार उपवास करने से सभी तरह के पाप मिट जाते हैं। शनि यदि कुंडली में सूर्य या केतु के साथ स्थिति है तो भी आपको शनिवार के उपवास करना चाहिए। यदि आप बुरा कार्य और बुरे कर्म करते हैं और अब सुधरना चाहते हैं तो आपको शनिवार के उपाय के साथ ही शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
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शनि की साढ़ेसाती या ढैया चल रही है या किसी भी प्रकार से शनि नीच होकर पीड़ा दे रहा है तो शनिवार को छाया दान करना चाहिए। इससे लाभ मिलेगा।
माथे पर विभूति, भस्म या लाल चंदन लगाने से गुरु का साथ मिलता है तो शनि के अच्छे फल मिलना प्रारंभ हो जाते हैं। किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होती है। सफलता मिलती रहती है।
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कुंडली में पितृदोष हो तो नित्य हनुमान चालीसा पढ़ें और शनिवार के दिन शनिवार का उपवास रखते हुए सुंदरकांड या बजरंगबाण का पाठ करने से लाभ मिलेगा। यदि आप जीवन में किसी तरह से भी मृत्यु तुल्य कष्ट नहीं चाहते हैं तो शनिवार को हनुमान आराधना जरूर करें।
शमी के वृक्ष को साक्षात शनिदेव माना जाता है। इस पेड़ में जल चढ़ाना या इसकी देखरेख करने से भगवान शनिदेव की कृपा बनी रहती है।