SUN धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को जल दिए बिना अन्न ग्रहण करना पाप है। वेदो में कहा है की शाम को सूर्य को जल देने से असुरो का नाश होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से मनुष्य शरीर के अंदर असुर टाइफाइड, निमोनिया ,टी. बी. आदि को कहा गया है। इनको नष्ट करने की शक्ति सूर्य की किरणों में होती है।
एंथ्रेक्स के वायरस जो कई वर्षो के शुष्कीकरण से भी नहीं मरते , वे सूर्य की किरणों से एक डेढ़ घंटे में ही मर जाते है। सूर्य को अर्ध्य देते समय व्यक्ति के ऊपर सूर्य की किरणे सीढ़ी पड़ती है। शास्त्रो के अनुसार प्रात: काल पूर्व की और मुख करके तथा संध्या को पश्चिम की और मुख करके जल देना चाहिए।
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प्रातः स्नानोपरांत सूर्य देव को जल चढ़ाने की विधि में बहुत से ज्योतिषि अपना मत रखते हैं की तांबे के पात्र में जल लेकर उसमें कुमकुम, चावल और कुछ लाल रंग के पुष्प आदि डालकर सूर्य को अर्पण करने की… साथ ही साथ इसके फायदे गिनाते हुए वह बताते हैं की लाल कुमकुम सूर्य से संबंधित पदार्थ है और इससे हमारे शरीर के जो “सात चक्र” होते हैं, सूर्य को जल चढ़ाते वक्त जब हम पानी के अंदर से सूर्य को देखते हैं तो सूर्य की किरणें पानी से छनकर हमारे सातों चक्रों को छू कर उन्हें जागृत करती है ।
शरीर के जो सात चक्र है उनके रंग जो ऋषि-मुनियों ने दर्शाये है वह हूबहू इंद्रधनुष या फिर प्रिज्म (Prizm) की सहायता से निकले हुए “VIBGYOR ” के क्रम से मेल खाती है। जितने भी मित्रों ने विज्ञान का अच्छे से अध्ययन किया है वह जानते हैं की प्रिज्म का कलर पूर्णतः “पारदर्शी (Transperent)” होता है, न की किसी कलर में आता है। यही कारण है कि सूर्य की किरणें जब प्रिज़्म पर पड़ती है तो वह अलग-अलग सात रंगों में क्रमानुसार बट जाती है। अब आप स्वयं निष्कर्ष निकालिए की सूर्य को जल चढ़ाते वक्त बिना मिलावट का जल अर्पण करना चाहिए या फिर उसमें कुमकुम या कोई अन्य चीजें मिलाकर जल का रंग बदल कर उससे उस जल को सूर्य को चढ़ाना चाहिए।
एक बात और की लाल रंग नेत्रों की दृष्टि के हिसाब से अच्छा नहीं माना गया है, दृष्टि को तेज करने के लिए हरा रंग बढ़िया काम करता है।