सहारनपुर। चैत्र नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के चार अध्यायों का पाठ करने से आपकी कौन सी परेशारी दूर होगी। यह हम पिछले आर्टिकलों में दे चुके हैं। यदि आप भय, बुरे सपने आने और भूत प्रेतादि समस्या से जुझ रहे हैं तो आज हम आपको बता रहे हैं कि इन नवरात्रि में आप अपनी इन समस्याओं से कैसे निजात पा सकते हैं।
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सहारनपुर के श्री बालाजी धाम के संस्थापक गुरु श्री अतुल जोशी जी बताते हैं कि देवी दुर्गा की महिमा अपरंपार है। वह कभी भी अपने भक्त को परेशान हालत में नहीं देखती। दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय की ओर बढ़ने और इसको करने से आप कौन सी परेशानी से निजात पा सकते हैं, इससे पूर्व यह बताता जरूरी है कि आप नवरात्रि के नौ दिन तक देवी का स्मरण अवश्य करें। समयाभाव के कारण आप सुबह अथवा शाम के वक्त माता के श्रीचरणों में माता टेकना मत भूले। घर या आफिस के पास कोई देवी का मंदिर है तो वहां अवश्य जाएं और प्रार्थना करें कि हे देवी आपकी कृपा सभी पर बनी रहे।
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दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय में असुरों द्वारा देवताओं के अधिकार और राज्य छीनने का वर्णन है। जिसके बाद देवता हिमालय पर जाते हैं और देवी की अराधना करते हैं। देवता देवी को प्रकृति, भद्रा, सिद्धिरूपा, राजाओं की लक्ष्मी, दुर्गा, दुर्गपारा, सारा, सर्वकारिणी, ख्यातिकृष्ण, धूम्रदेवी, रौद्ररूपा, विष्णुमाया, बुद्धिरूपा, योगिनी, क्षुधा, शांतिस्वरूपा, भ्रांतिरूपा, चैतन्यरूपा, साधनाभूता, जगदंबा आदि नामों से पुकार कर देवी की अराधना करते हैं, जिसके बाद देवी के गंगा में स्नान कर लौट रही माता पावर्ती के शरीर से अंबिका निकली। इन्हें कौशिकी भी कहा गया है। कौशिकी के प्रकट होने के बाद माता पावर्ती के शरीर का रंग पूरी तरह से काला हो गया और वह कालिका के नाम से प्रसिद्ध हुई।
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श्री अतुल जोशी जी बताते हैं कि कालिका भय का नाश करने वाली है। यदि किसी मानव के परिवार में भूत प्रेतादि की बाधाएं परेशान कर रही हैं तो ऐसे जातक को दुर्गा सप्तशती के पांचवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। इस अध्याय का पाठ करने से मानव को माता की भक्ति प्राप्त होती है। बुरे सपने आना बंद हो जाते है। इस अध्याय को करने का तरीका भी वही है जो चौथे अध्याय में बताया गया है।