लाल किताब

लोहे का छल्ला पहनने से क्या होता है फायदा, जानिए नुकसान भी

लाल किताब के अनुसार शनि ग्रह के लिए तीन तरह की अंगूठी होती है, पहला नीलम की अंगूठी, दूसरा लोहे की अंगूठी और तीसरा घोड़े के नाल की अंगूठी। लोहे के छल्ले या अंगुठी को शनि का छल्ला कहा जाता है। लाल किताब में लोहे की अंगूठी पहनने के 10 नियम बताए गए हैं।

1. शनि की ढैय्या, साढ़े साती, दशा, महादशा या अन्तर्दशा में तमाम तरह की परेशानियों से बचने के लिए लोहे का छल्ला पहना जाता है। सामान्यतया इसका प्रयोग शनि, राहु और केतु के दुष्प्रभावों और बुरी आत्माओं से बचने के लिए किया जाता है।

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2. लाल किताब के अनुसार कुंडली की जांच करने के बाद ही लोहे का छल्ला पहना चाहिए अन्यथा इसके विपरित प्रभाव भी हो सकते हैं। जैसे कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। ऐसे में लोहे का छल्ला धारण करना नुकसानदायक हो सकता है।

3. कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। लेकिन जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा।

4. बुध यदि 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्तर्का या अलग अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार होगा, हाथ में धारण करने से नुकसान होगा।

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5. बारहवां भाव, खाना या घर राहु का घर भी है। खालिस लोहे का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध यदि 12वें भाव में है तो वह 6टें अर्थात खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देता है। अक्ल (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अमृत होगा। मतलब किस्मत को चमका देगा।
6. उपर यह स्पष्ट हो गया है कि कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो लोहे का छल्ला नहीं पहनना चाहिए।

7. दूसरा यह कि जिस की कुंडली में शनि ग्रह उत्मम फल दे रहा हो उसे भी यह छल्ला नहीं पहनना चाहिए।

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8. इसे दाहिने हाथ की माध्यम अंगुली में धारण किया जाता है क्योंकि इसी अंगुली के नीचे शनि पर्वत होता है।

9. शनिवार के दिन शाम के समय इसे धारण करें। इसके लिए पुष्य, अनुराधा, उत्तरा, भाद्रपद एवं रोहिणी नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ हैं।
10. यदि लाल किताब द्वारा बतायी गई स्थिति के अनुसार यह छल्ला धारण कर रखा है तो इस छल्ले को समय समय पर रेत से चमकाते रहें या घिसते रहें।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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