Varaha Jayanti 2021 : वराह भगवान को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना गया है। भगवान विष्णु के दस अवतारों में यह उनका तीसरा अवतार है, जिनकी जयंती भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाई जाती हैं। इस साल यह पावन तिथि 9 सितंबर 2021 को पड़ने जा रही है।
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वराह जयंती का पर्व भगवान भगवान विष्णु के इस अवतार का जन्म उत्सव मनाने के लिए होता है। भगवान विष्णु के इस स्वरूप को उद्धारक देवता के रूप में जाना जाता है। वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु के आधे सुअर और आधे मनुष्य रूपी अवतार की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
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वराह जयंती से जुड़ी कथा
मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वराह रूप में अवतार दुनिया को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए किया था। कहते हैं कि एक बार प्रलय के जल से पृथ्वी जलमग्न हो गई थी। ऐसी स्थिति में भगवान विष्णु की नासिका या नाक से भगवान विष्णु ने वराह के रूप में अवतार लिया था। मान्यता है कि ब्रह्मा जी की नाक से एक अंगूठे के आकार वाले वराह अवतार ने पलक झपकते ही पर्वताकार रूप धारण कर लिया था। उनकी गर्जना मात्र से दसों दिशाएं कांप गईं थी।
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इसके बाद सभी ऋषि-मुनियों, देवताओं, गंधर्वों आदि ने उनकी स्तुति करना प्रारंभ किया था। इसके बाद उन्होंने उन्होंने जलमग्न पृथ्वी को तलाशना प्रारंभ किया और जल के भीतर प्रवेश कर गए। जब वे पृथ्वी को अपने थूंथने के जरिए जल से बाहर निकालने लगे तो हिरण्याक्ष ने उन पर गदा से आक्रमण किया। इसके बाद भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध करने के पश्चात् अपने खुरों से जल को स्तंभित करके पृथ्वी को स्थापित किया।
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वराह भगवान की पूजा विधि
वराह जयंती का पावन पर्व दक्षिण भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साधक प्रात:काल उठकर स्नान-ध्यान के बाद वराह अवतार की विधि-विधान से पूजा, जप एवं कीर्तन करते हैं।
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इस दिन भगवान वराह के मंत्र का जप मूंगे अथवा लाल चंदन की माला से जपने का विधान है। ऐसा करने पर भगवान वराह का शीघ्र ही आशीर्वाद प्राप्त होता है और भूमि-भवन से जुड़े सुखों की प्राप्ति होती है। नीचे दिये गये हुए मंत्र को जपते हुए शहद, शक्कर या गुड़ से 108 बार हवन करने से शीघ्र ही सभी मनोकामना पूरी होती है।
भगवान वराह का मंत्र
नमो भगवते वाराहरूपाय भूभुर्व: स्व: स्यात्पते भूपतित्वं देह्येतद्दापय स्वाहा।।
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