Mokshada Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में एकादशी को बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है। एक साल में कुल 24 एकादशी आती हैं यानी एक महीने में दो एकादशी आती हैं। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है। इसी के साथ महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता के भी पूजन का विधान है।
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इस साल मोक्षदा एकादशी 15 दिसंबर को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत के प्रभाव से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रतियों के सभी पापों का नाश होता है और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक इसी खास दिन पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
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शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 13 दिसंबर, रात 9 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी।
तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात को 11 बजकर 35 मिनट पर एकदाशी तिथि समाप्त हो जाएगी।
मोक्षदा एकादशी का व्रत भी 14 दिसंबर, मंगलवार के दिन रखा जाएगा।
पूजा विधि: मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह उठक नित्यकर्म से निव्रत होकर भगवान श्रीहरि विष्णु की विधिवत् पूजा करनी चाहिए। साथ ही, उनके मंत्रों का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है। व्रत का पारण द्वादशी तिथि को करना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रतियों को पहले ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए और उन्हें दक्षिणा देने के बाद ही खुद प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
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कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा वैखानस चंपा नगर के प्रतापी राजा थे। उन्हें सभी वेदों का ज्ञान था। इतना भला राजा पाकर नगरवासी भी बेहद संतुष्ट व सुखी रहते थे। एक बार स्वप्न में राजा को अपने पिता दिखाई दिए, जो नरक में कई यातनाएं झेल रहे थे।
राजा ने जब ये बात अपनी पत्नी को बताई तो रानी ने उन्हें आश्रम जाने का सुझाव दिया। वहां पहुंचकर राजा ने पर्वत मुनि को अपने सपने के बारे में बताया। पूरी बात सुनने के बाद मुनि ने राजा से कहा कि तुम्हारे पिता ने अपनी पत्नी पर बेहद जुर्म किए थे, इसलिए अब मरणोपरांत वे अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं।
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जब राजा ने इसका उपाय जानना चाहा तो पर्वत मुनि ने उन्हें मोक्षदा एकादशी करने की सलाह दी और कहा कि इससे प्राप्त फल को वो अपने पिता को समर्पित कर दें। राजा ने पूरे विधि-विधान का पालन कर ये व्रत रखा और उनके पिता को अपने कुकर्मों से मुक्ति मिल गई। तब से ही ये माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी न केवल जीवित बल्कि पितरों को भी प्रभावित करती है।
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