Pipal शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के कुप्रभाव से बचने के लिए हर शनिवार पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। शाम के समय पेड़ के नीचे दीपक जलाना भी लाभकारी सिद्ध होता है। यह विश्वास है कि पीपल की निरंतर पूजा अर्चना और परिक्रमा कर के जल चढ़ाते रहने से संतान की प्राप्ति होती है। पुण्य मिलता है,अदृश्य आत्माएँ तृप्त होकर सहायक बन जाती है। यदि किसी की कोई कामना है तो उसकी पूर्ति के लिए पीपल के तने के चारों ओर कच्चा सूत लपेटने की भी परंपरा है।पीपल की जड़ में शनिवार को जल चढ़ाने व दीप जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। जब किसी की शनि की साढ़ेसाती चलती है तो पीपल के वृक्ष का पूजन तथा परिक्रमा की जाती है क्योंकि भगवान कृष्ण के अनुसार शनि की छाया इस पर रहती है ।
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प्रत्येक शनिवार को पीपल के वृक्ष पर जल, कच्चा दूध थोड़ा चढ़ाकर, सात परिक्रमा करके सूर्य, शंकर, पीपल- इन तीनों की सविधि पूजा करें तथा चढ़े जल को नेत्रों में लगाएं और “पितृ देवाय नम:” भी 4 बार बोलें तो राहु+केतु, शनि+पितृ दोष का निवारण होता है ।
गुरु-पुष्यामृत के दिनअपने कुलदेवता या कुलदेवी के स्थानविशेष जाकर कुलदेवता के पूजनस्थल के समीप पीपल रोपने से आपके वंश की रक्षा होती है और आपका जीवन आयुष्मान हो जाता है ।
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पीपल के पत्तों से शुभ काम में वंदनवार भी बनाये जाते हैं। धार्मिक श्रद्धालु लोग इसे मंदिर परिसर में लगाते हैं ।
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मंगलवार या शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से मिलने वाले लाभ में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाती है ।
रविवार के दिन और सूर्योदय होने से पहले पीपल पर अलक्ष्मी और दरिद्रता का अधिकार होता है और सूर्योदय के बाद लक्ष्मी जी का अधिकार होता है, इसलिए सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा करना निषेध माना गया है। पीपल के पेड़ को काटना अथवा नष्ट करना ब्रह्महत्या के समान पाप माना गया है साथ ही रात्रि में इस वृक्ष के नीचे सोना अशुभ माना जाता है। इसके निकट रहने से प्राणशक्ति बढ़ती है।इसकी छाया गर्मियों में ठंडी तो सर्दियों में गर्म रहती है।इस वृक्ष के पत्ते, फल आदि सभी में औषधीय गुण रहने से यह रोगनाशक भी होता है ।
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पीपल के वृक्ष के कई ज्योतिषीय गुण बोध माने गए हैं। पीपल को बृहस्पति_ग्रह से जोड़ा जाता है। धन के कारक बृहस्पति को सभी ग्रहों में सबसे अधिक लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए पीपल की जड़ में जल चढ़ाने को कहा जाता है। माना जाता है कि पीपल में जल चढ़ाने से कुंडली में मौजूद कमजोर बृहस्पति मजबूत होता है और मजबूत बृहस्पति सुख-समृद्धि देता है ।
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ज्योतिष शास्त्र ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पीपल का पेड़ यथासंभव इसके स्थान से हटाया या काटा नहीं जाना चाहिए। अक्सर एक सवाल लोग करते है कि हमारे घर की छत पर पीपल स्वंय उग आया उसका कारण होता है कि पक्षी पीपल के फल को खाते है और उड़ते वक़्त उनके मुँह से बीज गिर जाता है या फिर उनकी विस्ठा से भी बीज छत पर गिर जाता है जो नमी पाकर पौधे का रूप ले लेता है इसे रविवार के दिन बहुत ही विनम्रता और श्रद्धापूर्वक मकान या दुकान से दूर किसी खुले मैदान या जलस्थल के समीप रोप देना चाहिये ।
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पीपल की पूजा से व्यक्ति की तार्किक क्षमता में वृद्धि होती है। पीपल की पूजा से व्यक्ति में दान_धर्म की प्रवृत्ति बढ़ती है। पीपल को दीप देकर अर्चना करते रहने से आप प्रतियोगिता में अजय रहते है,आपका दल जीत की ओर आगे बढ़ता है..उन्नति के द्वारा खुद-ब-खुद खुलते ही चले जाते हैं।
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