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Astro Tips हमें तो अपनों ने लूटा गैरों में कहां दम था…

Astro Tips… मित्रों वर्तमान में हम उस दौर से गुजर रहे हैं जहां अपने ही सबसे ज्यादा धोखा देते है। आपके रिश्तेदार, पड़ोसी, मित्र, आपके अन्य राजदार और खासदार लोग। तभी हमारे पूर्वज हमें समझाते आए हैं की अपने मन का भेद कभी किसी को नहीं बताना चाहिए। तश्वीर में रावण की मौत का भेद विभीषण ने श्रीरामजी को धर्म की रक्षा के लिए बताया था परंतु वर्तमान में आपका भेद विरोधी को आपके नुकसान के लिए ही बताया जाता है।

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“कुंडली में आपसी रंजिश का ज्योतिषी कनेक्शन”

लग्न कुंडली में लग्न आप हो और कुंडली के बाकी भाव किसी ना किसी रिश्तेदार का प्रतिनिधित्व करते हैं। आपको कुंडली में लग्नेश से छठे भाव में बैठे ग्रह को देखकर समझना चाहिए की वह ग्रह किस रिश्तेदार का प्रतिनिधित्व करता है, साथ ही वह ग्रह जिन भावों का प्रतिनिधित्व करता है वह आपके कौन से रिश्तेदार हैं। इसमें एकमात्र अपवाद सूर्य चंद्र है,ये कभी मारक नहीं होते है अतः माँ-बाप को शत्रुता की श्रेणी से कभी ना जोड़े।

आजकल सबसे ज्यादा दगाबाजी व्यवसाय क्षेत्र में मिलती है जिसमें कई बार हम अपने मित्रों के साथ जिन्हें छोटे भाई का दर्जा देते हैं, वही लोग सबसे बड़ा विश्वासघात करते हैं। रिश्तेदार की बात कर रहे हैं तो एक उदाहरण देता हूं कुंडली का नवा भाव आपके साले का होता है, लग्नेश से नवमेश छठे हो तो हो सकता है की भविष्य में आपका साला ही आपका गुप्त शत्रु हो। कुछ दिनों पहले एक मामला आया था की साले ने अपनी बहन को भड़का कर घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना का फर्जी केस लगाकर मनचाहा पैसा वसूला। उसी तरह छठा भाव आपके मामा का होता है, हो सकता है की उनके अंदर छुपा “कंस” कब जाग जाए और आपको पता ही ना चले।

 

इसमें एक चीज और है की भाव बहुत से रिश्तेदारी का प्रतिनिधित्व भी करते हैं जैसे तीसरा भाव को हम छोटे भाई-बहन से जोड़ते हैं परंतु वह भाव हमारे साले की बीवी या साली के पति (साडू भाई) का भी होता है या फिर एकादश भाव बड़े भाई, मित्र के अलावा चाचा का भी होता है । क्योंकि वह नवम भाव से तीसरे हैं अतः जब भी एकादशेश लग्नेश से छठे हो तो थोड़ा सावधान रहना आवश्यक है।

कई बार विवाह टूटने का कारण कोई बाहरी दुनिया का व्यक्ति नहीं होता है बल्कि हमारे ही रिश्तेदार या अड़ोसी-पड़ोसी आदि होते हैं जो गुप्त तरीके से आये हुए रिश्ते तक आपकी बुराई चुगली के माध्यम से पहुंचा देते हैं। यही कारण है की पुराना प्यार को शादी में बदलते वक्त परिवारों को भड़काया जाता है और एक दिन आप देखते हो की आपकी प्रियांशी किसी और के साथ विवाह होकर कार में बैठे आपकी आंखों से ओझल हो जाती है और पीछे आते ट्रक के बैनर पर लिखा होता है “दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे”

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भाइयों के बीच होने वाले जमीन जायदाद के विवाद को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है । इसीलिए हमारे पूर्वज जीते जी प्यार-मोहब्बत से सभी बच्चों को बुलाकर जायदाद का बंटवारा कर दिया करते थे । अतः लग्नेश से तृतीयेश छठे हो तो भाई के साथ कारोबार ठीक तरह से करें अन्यथा किसी दिन दुकान या कंपनी/फैक्टरी अपने नाम पर कर लेने के बाद जब आप अपना हिस्सा माँगने जाओगे तो वह यही कहेगा कि- “हम आपके हैं कौन”??.

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उपाय क्या करे

  1. लग्न और लग्नेश को सदैव बली रखे

  2. किसी भी तरह के लेनदेन में पूरी तरह पारदर्शिता रखें। रिश्तेदारी में “हिसाब बाद में देख लेंगे” इस तरह की बहकावे में कभी ना आए

  3. जो ग्रह लग्नेश से छठे बैठा हो उनसे दिल के हर राज कभी शेयर ना करें

  4. लग्नेश से गिनने पर जो ग्रह छठा हो उसका दान करते रहें या उससे संबंधित आहार पशु-पक्षियों को नियमित तौर पर खिलाते रहे, विरोधी ठंडे पड़ जायेंगे

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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