Eclipse : हर साल सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse) लगते हैं। ग्रहण को धार्मिक रूप से शुभ नहीं माना जाता। ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के दौरान सूर्य या चंद्रमा कष्टकारी स्थिति में होते हैं और कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए ये स्थिति आम जनमानस पर भी विपरीत असर डालती है और अशुभ मानी जाती है।
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जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से कोई भी ग्रहण एक खगोलीय घटना के रूप में देखा जाता है। 19 नवंबर शुक्रवार के दिन एक बार फिर से चंद्र ग्रहण पड़ने जा रहा है। ये 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण है। इस मौके पर यहां जनिए कि ग्रहण को लेकर धार्मिक और वैज्ञानिक मान्यता।
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धार्मिक मान्यता
ग्रहण को लेकर राहु, चंद्र और सूर्य की एक मान्यता प्रचलित है। इस मान्यता के अनुसार जब समुद्र मंथन के बाद अमृतपान को लेकर देव और दानवों के बीच विवाद शुरू हुआ तो भगवान विष्णु मोहिनी का रूप रखकर आए और अमृत कलश अपने हाथ में ले लिया। उन्होंने बारी बारी से सबको अमृत पिलाने के लिए कहा। मोहिनी को देखकर सभी दानव मोहित हो गए थे, इसलिए उन्होंने मोहिनी की बात मान ली और चुपचाप अलग जाकर बैठ गए। मोहिनी ने पहले देवताओं को अमृतपान पिलाना शुरू कर दिया। इस बीच स्वर्भानु नामक राक्षस को मोहिनी की चाल का आभास हो गया और वो भेष बदलकर चुपचाप देवताओं के बीच जाकर बैठ गया।
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धोखे से मोहिनी ने उसे अमृतपान दे दिया। लेकिन तभी देवताओं की पंक्ति में बैठे चंद्रमा और सूर्य ने उसे देख लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। क्रोधित होकर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से दानव का गला काटकर अलग कर दिया। लेकिन वो दानव तब तक अमृत के कुछ घूंट पी चुका था, इसलिए गला कटने के बाद भी उसकी मृत्यु नहीं हुई। उस दानव का सिर का हिस्सा राहु और धड़ का हिस्सा केतु कहलाया। राहु और केतु ने खुद के शरीर की इस हालत का जिम्मेदार सूर्य और चंद्रमा को माना, इसलिए राहु हर साल पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रास करता है। इसे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहा जाता है। चूंकि ग्रास के समय हमारे देव कष्ट में होते हैं और बचने का प्रयास कर रहे होते हैं, इसलिए इस घटना को अशुभ माना जाता है।
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वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक रूप से सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण, खगोलीय घटना से ज्यादा कुछ नहीं। दरअसल पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। परिक्रमा करते समय एक समय ऐसा आता है जब पृथ्वी, सूर्य व चंद्रमा तीनों एक सीध में होते हैं। जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य के बीच में होती है तो चंद्रमा पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती और इसे चंद्र ग्रहण कहा जाता है। लेकिन जब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आता है तो पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं आ पाती, इसे सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
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