बृहस्पति इस भाग्यचक्र कार्ड का स्वामी है। भाग्यचक्र मध्यकालीन प्रतीक चिन्ह है। प्राचीन यूनानी सभ्यता में भाग्य की तीन देवियों के साथ घूमते हुए चक्र के रूप में अंकित पाया गया है। कोई भी चीज एक जगह नहीं ठहरती। परिस्थितियां बदलती रहती है।जिंदगी का पहिया भी घूमता है। किसी परिवर्तन का प्रतीक है यह कार्ड। कभी परिस्थितियां विपरीत हो जाती हैं, कभी अनुकूल, कभी शांति समृद्धि होती है, कभी उस शांति समृद्धि के भीतर ही अजीब सी चुनौतियां पैदा हो जाती हैं। जब कठिन परिस्थितियों में यह कार्ड सामने आता है तो यह उम्मीद जगाता है कि चक्र बदलेगा।
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समस्या का अंत होगा। चक्र के आसपास बने अलग-अलग चित्र आपको अधिक जानकारी देंगे। भाग्य चक्र जैसे-जैसे घूमता है यह चित्र भी साथ घूमते हैं। इसका अर्थ है हमारी जिंदगी को नियंत्रित करने वाली कोई परम शक्ति है और चक्र हमारे नियंत्रण में नहीं है, इसीलिए परिस्थितियों को स्वीकारने के साथ कार्ड संदेश देता है कि घबराए नहीं, यह दैवीय खेल भी हो सकता है। यह बदलाव लाएगा इसलिए किसी चीज को फालतू ना माने, प्रकृति का उपहार माने।
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पारंपरिक रूप से चक्र पर शैतान की नजर है स्पिंक्स ऊपर है जो कहता है कि मैं शासन करता हूं। सर्प है जो कहता है मैंने शासन किया है श्वान कहता है मैं शासन करूंगा । पर दरअसल चक्र खुद बिना किसी के शासन के चलता है क्योंकि भाग्य की तीन देवियों की शक्ति खुद निर्माता से भी तेज मानी जाती है।
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उल्टा चले तो लगता है जैसे जिंदगी कोई जुआ है जो भी हो यह तय है कि कार्ड का संदेश भविष्य के बदलाव का होता है। बुरा समय, अनायास आई मुसीबतें या ढेर सारी खुशियां जो भी हो परिस्थितियां अंत में आप के पक्ष में घूमेंगी। बृहस्पति ग्रह के स्वामित्व में यह कार्ड अपनी गुरुता का आभास कराता है।