सहारनपुर। क्या आप अपने कारोबार में प्रतिस्पर्धी अथवा ऑफिस में बाॅस या अन्य को लेकर परेशान हैं। जो आपको किसी न किसी रूप में परेशान करते हैं तो यह उपाय आपके लिए बेहद ही खास है। इस उपाय को आप नवरात्र में करेंगे तो निसंदेह आपको न केवल धन का लाभ होगा बल्कि उन लोगों का वशीकरण भी हो जाएगा जिन्हें आप चाहते हैं कि वह आपके कहे अनुसार कार्य करें।
अभी तक हम आपको अपने पिछले आर्टिकल्स में दुर्गा सप्तशती के सात अध्याय के बारे में जानकारी दे चुके हैं। उपाय पर आगे बढने से पहले दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय का सार बताया जाना बेहद जरूरी है।
श्री बालाजी धाम सहारनपुर के संस्थापक गुरू श्री अतुल जोशी जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के आठवें अध्याय में यूं तो देवी के हाथों रक्तबीज का वध होता है, लेकिन यह अध्याय बेहद ही महत्वपूर्ण है। इस अध्याय में बताया गया है कि दैत्यों के नाश के लिए और देवताओं के हित के लिए ब्रह्मा, शिव, कार्तिकेय, विष्णु तथा इंद्र आदि देवों की शक्तियां जो अत्यंत पराक्रम और बल से संपन्न थी, उनके शरीर से निकल कर उसी रूप में चण्डिका देवी के पास गई।
जिस देवता का जैसा रूप था, जैसे आभूषण थे और जैसा वाहन था वैसा ही रूप, आभूषण और वाहन लेकर देवताओं की शक्ति दैत्यों से युद्ध करने के लिए आई। जिसके बाद चण्डिका प्रकट हुई। चंण्डिका ने भगवान शंकर को अपना दूत बनाकर शुभ निशुम्भ के पास भेजा था इसलिए वह शिवदूती भी कहलाई।
चाहते हैं अपनी किस्मत चमकाना तो घर में रखें चांदी का मोर
दुर्गा सप्तशती के इस अध्याय को करने से मानव को धन लाभ की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के वशीकरण की शक्ति प्रबल होती है। क्योंकि देवी के जिस रूप का वर्णन यहां किया गया है, देवी का वह रूप सभी देवताओं की शक्तियों से मिलकर बनी है और जिस शक्ति में सभी शक्तियों का समावेश हो, उस देवी का भक्त धन हानि कैसे झेल सकता है। सभी देवताओं की शक्ति का समावेश होने के चलते इस देवी के भक्त की वशीकरण भी प्रबल होता है।
Covid-19 : आपदा से बचने के लिए कर सकते हैं मां नर्मदा की यह स्तुति
इस अध्याय को करने के बाद प्रार्थना करें कि देवी मुझे अमुक व्यक्ति को वशीकरण करने की शक्ति प्रदान करें। देवी को भोग अर्पित करने के बाद आरती उतारें और हां देवी से क्षमा याचना करना कदापि न भूलें।