जीवन मंत्र

अपने आत्म-विश्वास को जगाइये, उसे विकसित कीजिए।

जब संसार में सभी साथी साथ छोड़ दें, पराजय और पीड़ाओं के दंश मनुष्य को घायल कर दें I पैरों के नीचे से सभी आधार खिसक जायें, जीवन के अन्धकार युक्त बीहड़ पथ पर यात्री अकेला पड़ जाय तो भी

क्या वह जीवित रह सकता है?

कुछ कर सकता है?

पथ पर आगे बढ़ सकता है?

अवश्यमेव…………..

यदि वह स्वयं अपने साथ है तो कोई शक्ति उसकी गति को नहीं रोक सकती। कोई भी अभाव उसकी जीवन यात्रा को अपूर्ण नहीं रख सकता। मनुष्य का अपना आत्म-विश्वास ही अकेला इतना शक्तिशाली साधन है जो उसे मंजिल पर पहुँचा सकता है। विजय की सिद्धि प्राप्त करा सकता है।

निःसंदेह हर परिस्थिति में मनुष्य का एक मात्र साथी उसका अपना आपा ही है। स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में “आत्म-विश्वास सरीखा दूसरा मित्र नहीं, आत्म-विश्वास ही भावी उन्नति की प्रथम सीढ़ी है।” सचमुच आत्म- विश्वास के कारण दुर्गम पथ भी सुगम बन जाता है, बाधायें भी मंजिल पर पहुँचाने वाली सीढ़ियाँ बन जाती है। एमर्सन ने कहा है — “आत्म-विश्वास सफलता का मुख्य रहस्य है।”

न जात्या ब्राह्मणाश्चात्र क्षत्रियो वैश्य एव न।

न च शूद्रो न वै म्लेच्छो भेदिता गुण कर्मभिः॥

जन्म या जाति से न कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य होता है ओर न शूद्र ही। जाति, जन्म की दृष्टि से सब समान हैं। किन्तु गुण, कर्म के आधार पर अवश्य विभेद तथा अलग – अलग वर्ण हो जाता है। जो जैसा कर्म करेगा, उसे वैसा ही वर्ण प्राप्त होगा।

अतः जीवन में सफल होना है, विजयी बन कर जीवन बिताना है, संसार में ढकेले जाने वाले नहीं वरन् संसार को गति देने वाले बनकर रहना है, जीवन के उतार-चढ़ाव, हार-जीत के द्वन्द्वों में, कठिनाई उलझनों की झंझाओं में स्थिर रहना है, संसार पर अपनी छाप छोड़ कर जाना है, आशा और उमंग का जीवन बिताना है,तो……………………….

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अपने आत्म-विश्वास को जगाइये, उसे विकसित कीजिए। स्मरण रखिए आत्म-विश्वासी के लिए ही संसार स्थान देता है। जो अपने आपको महत्वपूर्ण नहीं मानता उसे संसार भी ढकेल कर एक ओर कर देता है।

Wake up your self-confidence, develop it. For confident, the world is located. Who’s not considers itself important, world is also driven by a side.

आत्म-विश्वास मनुष्य को तुच्छता से महानता की ओर अग्रसर करता है। सामान्य से असामान्य बना देता है। “आत्म-विश्वास की मात्रा हममें जितनी अधिक होगी उतना ही हमारा सम्बन्ध अनन्त – जीवन और अनन्त – शक्ति के साथ गहरा होता जायगा।”

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जब चारों ओर विपत्तियों के काले बादल मंडराते हों, जब सागर में कहीं भी जीवन नैया को खड़ा करने का किनारा न मिल रहा हो, भयंकर तूफान उठ रहे हों, नाव अब डूबे की स्थिति में हो तो कैसे उद्धार हो सकता है ? आत्म-विश्वास ही ऐसी स्थिति में  मनुष्य को बचा सकता है।

“आत्म विश्वास में वह शक्ति है, जो सहस्रों विपत्तियों का सामना कर उन में विजय प्राप्त करा सकती है।”

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आत्म उन्नति के लिए आत्म विश्वास अति आवश्यक है । आत्म विश्वास–परमात्मा पर विश्वास करना है, जिसकी शक्ति अजेय है, अनन्त है। जो अपने आप पर विश्वास करता है, उस पर संसार विश्वास करता है। संसार भर में नेतृत्व, शासन पथप्रदर्शन वे ही करते हैं जिन्हें अपने आप पर विश्वास  होता है। अपने ऊपर अपार विश्वास रखकर ही वे संसार को प्रभावित करते हैं। वस्तुतः सभी मनुष्यों का शरीर एक  सा ही होता है किन्तु जिस व्यक्ति के चेहरे से, आँखों से आत्म- विश्वास का अपार तेज प्रवाहित होता है, जिसके हृदय में आत्म-विश्वास का सम्बन्ध है, उसके समक्ष हिंसक जन्तु भी पालतू – सा बनकर दुम हिलाने लगता है। उसका वह तेज ही दूसरों पर जादू का सा असर डाल देता है।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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