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कहां तैयार हो रहा है देश का सबसे बड़ा शिवलिंग Shivling ? जानिए क्या है खासियत

Shivling : भगवान शंकर के 12 ज्योर्तिलिंगों के बारे में तो आपने सुना ही होगा। लेकिन देश में भारत का सबसे बड़ा शिवलिंग Shivling भी तैयार किया जा रहा है। इस शिवलिंग को तैयार करने के लिए निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। आइए जानते हैं कि भारत के इस सबसे बड़े शिवलिंग Shivling में क्या खासियत होगी।

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देश का सबसे बड़ा शिवलिंग Shivling मंदिर औरंगाबाद में तैयार हो रहा है, अजंता-एलोरा नाम से प्रसिद्ध पुरातात्विक गुफाओं के बारे में हम सब जानते हैं। यह भव्य मंदिर औरंगाबाद के वेरूल में स्थित एलोरा की गुफाओं के पास है। इस मंदिर के गर्भ स्थान में देश के 12 ज्योतिर्लिंगों की प्रतिकृतियां स्थापित की जाएंगी। इन प्रतिकृतियों के निर्माण का काम मध्य प्रदेश के उज्जैन में हो रहा है। एक ही साथ 12 मूर्तियों की प्रदक्षिणा की सुविधा के लिए यहां विशेष प्रदक्षिणा पथ तैयार किए जा रहे हैं।

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28 सालों से इस योजना पर चल रहा है काम
वेरूल के श्री विश्वकर्मा तीर्थधाम परिसर में करीब 28 सालों से यह काम शुरू है। 1995 में इस मंदिर के निर्माण की शुरुआत हुई। पहले 108 फुट के शिवलिंग के निर्माण की योजना थी, लेकिन आवश्यक निधि नहीं जुटाई जा सकी। इस वजह से 1999 में मंदिर निर्माण का काम बंद करना पड़ा। पिछले साल फिर से मंदिर के काम को गति मिली। अब मंदिर निर्माण का यह काम आखिरी चरण पर पहुंच चुका है। इस भव्य मंदिर का निर्माण 2022 तक पूरा होने की संभावना है।

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मंदिर तक कैसे पहुंच सकते हैं?
औरंगाबाद रेलवे स्टेशन के लिए देश के सभी मुख्य शहरों से रेल सेवा उपलब्ध है। अगर आपके शहर से औरंगाबाद के लिए ट्रेन की सीधी सेवा उपलब्ध नहीं है तो आप मनमाड रेलवे जंक्शन तक जाकर वहां से औरंगाबाद आ सकते हैं। औरंगाबाद जिले में पहुंचने के बाद वेरूल की ओर जाने वाले रास्ते को पकड़ना है। वेरूल के कन्नड जाने वाले रास्ते पर ही श्री विश्वकर्मा मंदिर है। मंदिर के भव्य शिवलिंग की वास्तु की ख्याति दूर तक फैली होने की वजह से कोई भी आपको यहां का रास्ता बता देगा।

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अभिषेक का दृश्य अत्यंत मनोरम बन पड़ा है
इस मंदिर का निर्माण महेंद्र बापू के मार्गदर्शन में शुरू हुआ है। महेंद्र बापू गुजरात के चांदोन के निवासी हैं। मंदिर पूरा होने के बाद इसके दृश्य अत्यंत ही मनोरम दिखाई देने वाले हैं। मंदिर पूर्ण रूप से काले रंग का होगा। बरसात में जब पानी की बूंदें बादलों से नीचे गिर कर शिवलिंग का अभिषेक करेंगी, तो वह दृश्य अद्भुत दिखाई देगा. मंदिर की ऊंचाई 60 फुट की है और शिवलिंग की ऊंचाई 40 फुट की है। संपूर्ण मंदिर परिसर 108 बाइ 108 स्क्वायर फुट का होगा।

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घृष्णेश्वर मंदिर का निर्माण किसने करवाया था?
औरंगाबाद का प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग यानी घृष्णेश्वर का मंदिर। पारंपारिक दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्तम नमूना है। मंदिर का निर्माण लाल रंग की चट्टानों से हुआ है। लाल रंग के पत्थरों और चट्टानों से बने मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव और भगवान विष्णु के दस अवतारों के प्रतिबिंब दर्शाए गए हैं। गर्भगृह के पूर्व की ओर शिवलिंग बने हैं। वहीं नंदीश्वर की भी मूर्ति स्थापित है। मंदिर का निर्माण देवी अहिल्याबाई होलकर ने की थी।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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