Paush Amavasya Astro Tips : हिंदू पंचांग के हिसाब से हर महीने के 30 दिन को चन्द्र कलाओं के आधार पर 15-15 दिनों के दो पक्ष में बांटा गया है, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। कृष्ण पक्ष के 15वें दिन अमावस्या होती है, जबकि शुक्ल पक्ष के 15वें दिन पूर्णिमा। हर माह की अमावस्या की तिथि को पूर्वजों को समर्पित माना जाता है। इन दिनों पौष का महीना चल रहा है। पौष का पूरा महीना ही पूर्वजों को समर्पित माना जाता है।
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इस कारण इस माह को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। ऐसे में पौष के महीने में पड़ने वाली अमावस्या तिथि का महत्व अन्य अमावस्या तिथियों से कहीं ज्यादा बढ़ जाता है। पौष के महीने की अमावस्या तिथि 2 जनवरी 2022 दिन रविवार को पड़ेगी। इस बार की अमावस्या पर सुबह 07 बजकर 14 मिनट से शाम 04 बजकर 23 मिनट तक सर्वार्थसिद्धि योग है। ऐसे में श्रद्धापूर्वक किया गया कोई भी काम पूरी तरह से सफल होगा।
Paush Amavasya Astro Tips
कैरियर की बाधा दूर करने के लिए
कैरियर में किसी तरह की बाधा आ रही है, मेहनत के बावजूद भी आप तरक्की नहीं कर पा रहे हैं, तो अमावस्या की रात को 5 लाल फूल और 5 दीये जलाकर अपनी कामना बोलते हुए बहती नदी में प्रवाहित कर दें। ध्यान रखें कि इस उपाय को करते समय कोई आपको देखे नहीं। इसके अलावा आप काले कुत्ते को सरसों का तेल लगाकर रात के समय रोटी खिलाएं। इससे आपकी समस्याएं कुछ ही समय में दूर होने लगेंगी और धन लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
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नौकरी की प्राप्ति के लिए
अगर आपको काफी मेहनत के बावजूद नौकरी नहीं मिल पा रही है तो अमावस्या के दिन एक नींबू लेकर घर के मंदिर में रखें। रात के समय नींबू को सात बार बेरोजगार व्यक्ति के ऊपर से वारें और इसके चार टुकड़े करें। चौराहे पर जाकर इन टुकड़ों को चारों दिशाओं में फेंक दें। इससे तमाम बाधाएं दूर होंगी और रोजगार मिलने की संभावनाएं काफी प्रबल हो जाएंगी।
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परिवार में प्रेम बनाए रखने के लिए
अगर आपके परिवार में किसी कारण से आपसी प्रेम की कमी होने लगी है, गलतफहमियां बढ़ गई हैं तो अमावस्या के दिन पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कामना करें। संभव हो तो हर अमावस्या के दिन ऐसा करें। इससे आपके परिवार में आपसी प्रेम बना रहेगा।
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पितृदोष से मुक्ति के लिए
अमावस्या के दिन एक लोटे में जल लें और इसमें लाल फूल और काले तिल डालें। इसके बाद अपने पितरों की शांति की प्रार्थना करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पीपल को जल अर्पित करें। पीपल के पेड़ पर सफेद रंग की मिठाई चढ़ाएं और 108 बार परिक्रमा करें। इसके अलावा किसी जरूरतमंद को तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, कंबल और वस्त्र आदि सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
इसके अलावा पितरों की शांति के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें। पितरों के निमित्त ये सभी काम सुबह 11:30 बजे से दोपहर 02:30 बजे तक हर हाल में कर लें। इससे आपके पितर तृप्त होंगे और उनकी नाराजगी समाप्त हो जाएगी। उन्हें मुक्ति मिलने से आपके परिवार में पितृदोष का प्रभाव भी समाप्त हो जाएगा।
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