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आखिर दुनियाभर में 13 के अंक को क्यों माना जाता है अशुभ, जानिए दिलचस्प वजह : number 13

number 13 : अक्सर हम देखते हैं और सुनते भी हैं कि बहुत सारे लोग 13 के अंक को अपने लिए अशुभ मानते हैं। यानि कि वह इस अंक वाली तारीख या अन्य प्रकरण में इस अंक पर अपनी सहमति व्यक्त नहीं करते हैं। अंक 13 (number 13) को लेकर दुनियाभर के लोग इसे अशुभ ही मानते हैं। आखिर क्या वजह है, इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, आइए जानते हैं।

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आपको बता दें कि अधिकतर पश्चिमी देशों में यदि 13 तारीख को शुक्रवार पड़ जाए तो बहुत से लोग घर से निकलने तक में डरते हैं। कोई नया या शुभ काम करना तो दूर की बात है। यदि आंकड़ों की मानें तो 13 तारीख और शुक्रवार के मेल की वजह से प्रतिवर्ष अमेरिका में तकरीबन नौ अरब डॉलर मूल्य की उत्पादकता पर असर पड़ता है।

13 की वजह से पैदा हुए इस डर को मनोवैज्ञानिक थर्टीन डिजिट फोबिया या ट्रिस्काइडेकाफोबिया का नाम देते हैं। लोगों में ये डर इतना हावी है कि पश्चिमी देशों में तेरह तारीख को पड़ने वाले शुक्रवार को सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि इन दुर्घटनाओं के पीछे थर्टीन डिजिट फोबिया बड़ी भूमिका निभाता है। उनके मुताबिक दुर्घटनाग्रस्त कारों के ड्राइवरों के अवचेतन में कहीं न कहीं उस दिन यह डर काम कर रहा होता है।

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तेरह को अशुभ समझने की शुरूआत बेबीलोन सभ्यता में बनाए गए कानूनों के दस्तावेज ‘कोड ऑफ हम्मूराबी’ से मानी जाती है। इसमें तेरहवें क्रमांक का नियम शामिल नहीं है और इसी के चलते 13 को अशुभ मानने की धारणा को बल मिला। आम लोगों में इस वजह से प्रचार हुआ कि 13 अंक अशुभ है और प्राचीन सभ्यताएं भी इस रहस्य को जानती थीं। हालांकि इतिहासकार इस व्याख्या को नकारते हैं। उनके मुताबिक कोड ऑफ हम्मूराबी के मूल दस्तावेज नंबरिंग करके नहीं लिखे गए थे और जब पहली बार इन दस्तावेजों का आधुनिक भाषाओं में अनुवाद हुआ उस दौरान लेखन की गलती से 13 का अंक छूट गया।

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वहीं हम गणित की नजर से देखें तो शुभ-अशुभ से अलग तेरह को अपने गणितीय मान की वजह से असुविधाजनक और एक न्यूनतम उपयोगी अंक समझा जाता है। ज्यादातर वैज्ञानिक और गणितज्ञ तेरह के ठीक पहले आने वाले अंक बारह को परफेक्ट नंबर मानते हैं। प्राचीन सभ्यताओं में भी बारह के साथ कई गणितीय व्यवस्थाएं बनाई गईं. जैसे हमारे कैलेंडर में 12 महीने और दिन 12-12 घंटों के समय में बंटा हुआ है।

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पश्चिमी देशों में तेरह को अशुभ या शैतानी मानने की वजह धर्म से भी जुड़ी है। बाइबल में दर्ज कथा के अनुसार जीज़स क्राइस्ट हिरासत में लिए जाने से पहले एक भोज शामिल हुए थे। भोजन की मेज पर जुडास इस्केरियट नाम का व्यक्ति भी शामिल था जो तेरहवें नंबर पर बैठा था। कथा के मुताबिक उसी ने जीजस को धोखा देकर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था। इसके अगले दिन जीजस को सूली पर चढ़ा दिया गया। जीजस क्राइस्ट का आखिरी भोज होने के चलते इस आयोजन को ‘द लास्ट सपर’ कहा जाता है। द लास्ट सपर में शामिल तेरहवें धोखेबाज मेहमान की वजह से तेरह को अशुभ मानने का एक धार्मिक कारण भी लोगों को मिल गया।

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बाइबल की इस कथा से मिलती-जुलती एक और पौराणिक कथा तेरह को बुरा अंक करार देती है। नॉर्स (उत्तरी जर्मनी में प्रचलित) पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार देवताओं के लिए भोज आयोजित किया गया था। इसमें गॉड लोकी तेरहवें मेहमान के रूप में शामिल हुए। लोकी बुराई और अंधेरे के देवता माने जाते थे और उन्होंने इस आयोजन के दौरान सभी 12 देवताओं की हत्या कर दी थी। कहा जाता है कि इस घटना के जरिए बुराई और अशांति पहली बार अस्तित्व में आए थे, और संभवत: 13 को अशुभ मानने का चलन भी।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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