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नवग्रह राशिफल

ग्रह हमें कब नहीं देते हैं शुभ फल और क्यों ? navagrah

navagrah : ज्योतिष में नवग्रह का खास महत्व है। आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे कि नवग्रह हमें कब शुभ प्रदान करते हैं और कब नहीं। अक्सर आपने देखा होगा कि जब आप अपनी कुंडली का विश्लेषण किसी ज्योतिषाचार्य से कराते हैं, तो वह बताते हैं कि अमुक ग्रह शुभ फल प्रदान नहीं कर रहा है। लेकिन यह ग्रह शुभ प्रदान क्यों शुभ फल प्रदान नहीं करते हैं, आईए जानते हैं इसके कारण…

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सूर्य ग्रह
सूर्य का संबंध आत्मा से होता है। यदि आपकी आत्मा, आपका मन पवित्र है और आप किसी का दिल दुखाने वाला कार्य नहीं करते हैं तो सूर्यदेव आपसे प्रसन्न रहेंगे। लेकिन किसी का दिल दुखाने (कष्ट देने), किसी भी प्रकार का टैक्स चोरी करने एवं किसी भी जीव की आत्मा को ठेस पहुंचाने पर सूर्य अशुभ फल देता है।
कुंडली में सूर्य चाहे जितनी मजबूत स्थिति में हो लेकिन यदि ऐसा कोई कार्य किया है, तो वह अपना शुभ प्रभाव नहीं दे पाता। सूर्य की प्रतिकूलता के कारण व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा में कमी आती है और उसे पिता की संपत्ति से बेदखल होना पड़ता है।

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चंद्र ग्रह
चंद्र परिवार की स्त्रियों जैसे, मां, नानी, दादी, सास एवं इनके समान पद वाली स्त्रियों को कष्ट देने से चंद्र का बुरा प्रभाव प्राप्त होता है। किसी से द्वेषपूर्वक ली गई वस्तु के कारण चंद्रमा अशुभ फल देता है। चंद्रमा अशुभ हो तो व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहता है। उसके कार्यों में रुकावट आने लगती है और तरक्की रूक जाती है। जल घात की आशंका बढ़ जाती है। यहां तक कि व्यक्ति मानसिक रोगी भी हो सकता है।

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मंगल ग्रह
मंगल का संबंध भाई-बंधुओं और राजकाज से होता है। भाई से झगड़ा करने, भाई के साथ धोखा करने से मंगल अशुभ फल देता है। अपनी पत्नी के भाई का अपमान करने पर भी मंगल अशुभ फल देता है। मंगल की प्रतिकूलता के कारण व्यक्ति जीवन में कभी स्वयं की भूमि, भवन, संपत्ति नहीं बना पाता। जो संपत्ति संचय की होती है वह भी धीरे-धीरे हाथ से छूटने लगती है।

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बुध ग्रह
बुध बहन, बेटी और बुआ को कष्ट देने, साली एवं मौसी को दुखी करने से बुध अशुभ फल देता है। किसी किन्नर को सताने से भी बुध नाराज हो जाता है और अशुभ फल देने लगता है। बुध की अशुभता के कारण व्यक्ति का बौद्धिक विकास रूक जाता है। शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए अशुभ बुध विकट स्थितियां पैदा कर सकता है।

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गुरु ग्रह
गुरु अपने पिता, दादा, नाना को कष्ट देने अथवा इनके समान सम्मानित व्यक्ति को कष्ट देने एवं साधु संतों को सताने से गुरु अशुभ फल देने लगता है। जीवन में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा के कारक ग्रह बृहस्पति के रूठ जाने से जीवन अंधकारमय होने लगता है। व्यक्ति को गंभीर बीमारियां घेरने लगती है और उसका जीवन पल-प्रतिपल कष्टकारी होने लगता है। धन हानि होने लगती है और उसका अधिकांश पैसा रोग में लगने लगता है।

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शुक्र ग्रह
शुक्र अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे पुराने वस्त्र रखने से शुक्र अशुभ फल देता है। चूंकि शुक्र भोग-विलास का कारक ग्रह है अतः शुक्र के अशुभ फलों के परिणामस्वरूप व्यक्ति गरीबी का सामना करता है। जीवन के समस्त भोग-विलास के साधन उससे दूर होने लगते हैं। लक्ष्मी रूठ जाती है। वैवाहिक जीवन में स्थिति विवाह विच्छेद तक पहुंच जाती है। शुक्र की अशुभता के कारण व्यक्ति अपने से निम्न कुल की स्त्रियों के साथ संबंध बनाता है।

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शनि ग्रह
शनि ग्रह ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतकश व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने एवं इसी के साथ शराब, मांस खाने से शनि देव अशुभ फल देते हैं। कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा मांगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है। शनि के अशुभ फल के कारण व्यक्ति रोगों से घिर जाता है। उसकी संपत्ति छिन जाती है और वह वाहनों के कारण लगातार दुर्घटनाग्रस्त होने लगता है।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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