Margashirsha Amavasya 2021 : हर अमावस्या की तरह मार्गशीर्ष मास की अमावस्या का भी विशेष महत्व है। इसे अगहन अमावस्या (Aghan Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि को पितरों को समर्पित माना गया है। पितरों से जुड़े किसी भी काम को करने के लिए ये तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है। साथ ही इस दिन पूजा-पाठ, स्नान, दान आदि का भी विशेष महत्व बताया गया है।
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अगहन अमावस्या 4 दिसंबर 2021 को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या के दिन नदी स्नान, दान आदि से पाप मिटते हैं और ऋण से मुक्ति मिलती है। अमावस्या तिथि 03 दिसंबर 2021 को शाम 04 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और 04 दिसंबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। शनिवार के दिन अमावस्या तिथि होने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या के नाम से जाना जाएगा। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 4 दिसंबर के दिन तीन कामों को जरूर करें। इससे आपके जीवन की तमाम समस्याओं का निवारण हो सकता है।
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स्नान और नारायण का ध्यान करें
अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान का महत्व है। लेकिन अगर आप स्नान के लिए नदी के तट तक नहीं जा सकते हैं तो गंगा जल को किसी बर्तन में डालकर उसमें सामान्य पानी मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के दौरान पवित्र नदियों का मन में स्मरण करें। ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान के समान पुण्य फल मिल जाता है। स्नान के बाद श्री हरि की पूजा करनी चाहिए। उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए और गीता का पाठ करना चाहिए, इससे तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं।
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पितरों के लिए करें धूप-ध्यान
अमावस्या तिथि को पितरों की आत्म तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान एवं श्राद्ध कर्म भी किए जाते हैं। कुंडली में यदि पितृ दोष के निवारण के लिए भी ये तिथि शुभ मानी जाती है। आप इस अमावस्या की दोपहर करीब 12 बजे पितरों के लिए धूप-ध्यान करें। इसके लिए गोबर का कंडा जलाएं और जब धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालकर धूप दें। धूप देते समय पितरों का ध्यान करें। पितरों की मुक्ति के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें और जरूरतमंद लोगों को सामर्थ्य के अनुसार दान करें।
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शनि देव की पूजा करें
अमावस्या और शनिवार का संयोग होने के कारण इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाएगा। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा करने से शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से भी मुक्ति पाई जा सकती है। आप अमावस्या के दिन सरसों के तेल का दान करें। ओम् शं शनैश्चराय नम: मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। सामर्थ्य के अनुसार काले तिल, काली दाल, काले वस्त्र और काले कंबल आदि कुछ भी किसी जरूरतमंद को दान करें।
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