शनि (shani) ने बदली चाल: चंडीगढ़। विगत 23 मई 2021 से शनि की चाल ढाल कुछ बदल सी गई है। ज्येातिषीय भाषा में इसे शनि की वक्री चाल कहते हैं जो पूरे 141 दिन अर्थात 11 अक्टूबर तक मकर राशि में इसी अवस्था में रहेंगे। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार जब भी कोई बड़ा ग्रह राशि परिवर्तन करता है, वक्री या मार्गी या अतिचारी होता है या किसी के साथ युति बनाता है, विश्व में बड़े परिवर्तन होते हैं। जैसे गुरु व शनि 2019 के अंत से एक साथ रहे तो अप्रत्याशित महामारी आ गई। चंद्र ग्रहण और शनि के वक्री होने से कई तरह के चक्रवातों से नुकसान हुआ। जन आंदोलनों ने जोर पकड़ा । कई अप्रत्याशित राजनीतिक परिवर्तन हुए।
शनिदेव की वक्री गति आरंभ होने के एक माह के अंदर चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों निर्माण होना अत्यधिक प्रभाव रखने वाला है। 26 मई 2021 को खग्रास चंद्र ग्रहण का निर्माण हुआ है। 10 जूून 2021 को कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का निर्माण होना है। शनि की वक्री गति और दो ग्रहणों का बनना विशेष खगोलीय घटनाओं में आते हैं। इस दौरान विभिन्न राशियों पर गहन ज्योतिषीय प्रभाव के साथ बड़े भौगोलिक घटनाक्रम उपस्थित हो सकते हैं। 10 जून 2021 को सूर्य ग्रहण के दिन शनि अमावस्या है। शनि जयंती के रूप में विश्वभर में इसे मनाया जाता है। शनि जयंती को सूर्य ग्रहण होने से यह ग्रहण शनिदेव के प्रभाव को बढ़ाने वाला है। कुंडली में शनि बलवान और योगकारक होने पर लोगों को सूर्य ग्रहण के उपरांत लाभ की स्थिति निर्माण होगी। इससे पूर्व सभी को सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
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मान्यता है वक्री होने से शनि कमजोर पड़ जाते हैं। शनि महाराज 141 दिन उल्टे चलेंगे। धनु, मकर और कुंभ वालों पर साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन व तुला राशि पर शनि की ढैयया चल रही है। 11 अक्तूबर 2021 से शनि मार्गी हो जाएंगे और 2023 तक मकर राशि में ही रहेंगे। अक्टूबर 2021 में कोरोना फिर सिर उठा सकता है। वैज्ञानिक इसे तीसरी लहर भी कह सकते हैं। भारत इस महामारी से लड़ने में पूर्ण सक्षम रहेगा। परंतु कोरोना से मुक्ति अप्रैल 2022 से मिलेगी हालांकि इसका कमोबेश प्रभाव 2023 तक रहेगा।
हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी शनि की दशा जरूर आती है। हर तीस साल पर शनि विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हुए फिर से उसी राशि में लौटकर आ जाता है जहां से वह चला होता है। जब शनि व्यक्ति की राशि से एक राशि पीछे आता है तब साढ़ेसाती शुरू हो जाती है। इस समय शनि पिछले तीस साल में किए गए कर्मों एवं पूर्व जन्म के संचित कर्मों का फल देता है।जिनकी कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होती है उन्हें साढ़ेसाती एवं शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है। शनि के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता है। मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि की ढैया का प्रभाव जारी है। जबकि, धनु, मकर व कुंभ राशि शनि की साढ़ेसाती चल रही है।
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– आपकी चंद्र राशि के अनुसार वक्री शनि का प्रभाव
मेष : दशम स्थान में शनि का वक्री होना कार्य को प्रभावित करेगा। आजीविका के साधनों के लिए दौड़भाग रहेगी। आर्थिक लाभ होने की संभावना रहेगी. हालांकि इनके खर्चे भी बढ़ सकते हैं। वक्री शनि नए व्यापार में संकट भी ला सकते हैं।
वृषभ : सीधे भाग्य स्थान को प्रभावित कर रहा है। पैसों के लिए परेशान होना पड़ेगा। कठिन समय रहेगा धैर्य रखें। वहीं वे अचानक विदेश यात्रा पर जा सकते हैं। इस राशि के जातकों को परिवार में बुजुर्गों की सेहत पर खास ध्यान देना होगा।
मिथुन: ढैया के प्रभाव में हैं। अष्टम भाव को प्रभावित कर रहा है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। आय प्रभावित होगी। कार्यक्षेत्र में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्हें अपने जीवनसाथी की सेहत पर भी ध्यान देना चाहिए। इस राशि के लोग अपनी वाणी पर संयम रखें, वरना मित्रों से विवाद हो सकता है।
कर्क : साझेदारी, दांपत्य जीवन में टकराव, विवादित स्थिति बनेगी। पैसों का संकट, विवाह में रूकावट आएगी। गैरकानूनी कामों से दूर रहने की सलाह दी जाती है, वरना वे कानूनी पचड़े में फंस सकते हैं।
सिंह : रोग स्थान में शनि वक्री होगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बीमारियों पर खर्च होगा। दौड़भाग रहेगी। पैसा लगाते समय सावधानी वरतें, वरना नुकसान हो सकता है। इस दौरान धन की कमी भी महसूस होगी और शत्रुओं का सामना भी करना पड़ सकता है।
कन्या: संतान पक्ष, शिक्षा प्रभावित होगी। खर्च की अधिकता, स्वजनों से विवाद हो सकता है। संतान संबंधी समस्या हो सकती है। उनकी आमदनी में भी कमी आ सकती है। वहीं विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए।
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तुला : ढैया के प्रभाव में हैं, परिवार में विवाद, रोग की स्थिति रहेगी। संयम से काम लें। आय प्रभावित होगी। सुखों में कमी रहेगी। रूचि धर्म और अध्यात्म में बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में सावधानी रखें, इस दौरान वहां विवाद बढ़ सकता है। पैसा कमाने के लिए कोशिशें करनी होगी। कोई भी फैसला लेने में सावधानी बरतें।
वृश्चिक : पराक्रम में कमी आएगी। भाई-बहनों से विवाद संभव है। कर्ज लेने की नौबत आ सकती है। किसी काम में जमापूंजी खर्च करनी पड़ सकती है। इन लोगों को परिवार के बुजुर्गों की सेहत पर खास ध्यान देना चाहिए।
धनु : साढ़ेसाती के प्रभाव में हैं, वाणी खराब हो सकती है, पैसों की तंगी महसूस होगी। संपत्ति को लेकर विवाद संभव है। स्वास्थ्य खराब होगा। आजीविका के लिए घर से दूर जाना पड़ सकता है। वक्री शनि उन्हें सेहत को लेकर तनाव भी दे सकता है।
मकर : साढ़ेसाती के प्रभाव में हैं। मानसिक कष्ट, रोग, पिता को कष्ट, स्वयं के स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है। सेहत संबंधी समस्या और तनाव हो सकता है। साथ ही अर्जित धन में कमी हो सकती है। इस वक्त कोई भी फैसला सोच-समझकर लेना ही सही होगा। कोरोना बीमारी से भी बच के रहें, क्योंकि उनको अगर सर्दी खासी पकड़ती है तो जल्दी ठीक नहीं हो सकती है।
कुंभ : साढ़ेसाती के प्रभाव में हैं। खर्च की अधिकता, कर्ज लेने की नौबत आएगी। व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी। संयम से काम लें। इस दौरान निवेश करने का फैसला न लेना ही सही होगा। उन्हें सेहत को लेकर सतर्कता बरतने और विदेश यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है। इस राशि के लोगों को अचानक धन प्राप्ति के भी योग हैंं।
मीन : एकादश में आय प्रभावित होगी। खर्च संभलकर करें। हालांकि आय के नए स्रोत भी मिलेंगे। वक्री शनि लाभकारी है। उन्हें इस दौरान समाज में सम्मान मिल हो सकता है। रुका हुआ पैसा भी वापस मिल सकता है। यदि विदेश में कोई मित्र है, तो उससे भी लाभ मिल सकता है।
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शनि के कुछ आम उपाय
प्रात:काल सूर्य उदय होने से पूर्व उठकर सूर्य भगवान की पूजा करें, गुड़ मिश्रित जल को चढ़ाएं।
माता-पिता और घर के बुजुर्गों की सेवा करें। गुरु या गुरुतुल्य के आशीर्वाद लेते रहें। किसी को अकारण कष्ट नहीं दें ।
पारिवारिक भरण-पोषण के लिए ईमानदारी और मेहनत से कमाए धन का सदुपयोग करें।
अपने ईष्ट पर अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें और नियमित रूप से उनकी पूजा-अर्चना करें।
दुर्व्यसन से परहेज करें।
बीमारी अवस्था में एक कटोरी में मीठा तेल लेकर अपना चेहरा देखें, फिर उस कटोरी को आटे से भरकर गाय को खिला दें। बीमारी से राहत मिलने लगेगी।
ग्रह शांति के लिए प्रत्येक अमावस, पूर्णिमा की शाम एक दोने में पके हुए चावल लें। उस पर दही डाल दें। अपने मकान में लेकर घूमें, फिर यह दोना किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर रख आएं।
शनि महाराज प्रत्येक शनिवार के दिन के दिन पीपल के वृक्ष में निवास करते हैं। इसदिन जल में चीनी एवं काला तिल मिलाकर पीपल की जड़ में अर्पित करके तीन परिक्रमा करने से शनि प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन उड़द दाल की खिचड़ी खाने से भी शनि दोष के कारण प्राप्त होने वाले कष्ट में कमी आती है।
मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में तिल का दीया जलाने से भी शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
गोरज मुहूर्त में चींटियों को तिल चौली डालना।
भगवान शंकर पर काले तिल व कच्चा दूध नित्य प्रतिदिन चढ़ाना चाहिए। यदि शिवलिंग पीपल वृक्ष के नीचे हो तो अति उत्तम।
सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है।
काले उड़द जल में प्रवाहित करें। काले उड़द भिखारियों को दान करें।
भैरव साधना, मंत्र-जप आदि करें।
मां भगवती काली की आराधना करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं।
जमीन पर तेल गिराएं। रूके हुये पानी में काला सुरमा दबाए।
वट वृक्ष की पेड़ की जड़ में दूध डालकर उसकी गीली मिट्टी का तिलक माथे पर लगाएं
मन्दिर में उड़द काली मिर्च, काले चने व चन्दन की लकडी दान में दें
श्रमिक वर्ग से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें
मन्दिर में बादाम चढाए़ व उनमें से आधे वाप़स लाकर घरमें रखें
सरसो का तेल मिट्टी या शीशी के बर्तन में बन्द करके तालाब के पानी के अन्दर दबाएं
शराब, अण्डे, मांस से परहेज करें
आठ किलो साबुत उड़त चलते पानी में प्रवाहित करें
दस अन्धों को भोजन करायें
खगोल विज्ञान में शनि ग्रह
शनि ग्रह सौर मंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह हमारे सौर मंडल का 6वां ग्रह है और ये सबसे दूर का वो ग्रह है। जिसे नग्न आंखों से देखा जा सकता है। शनि ग्रह से बड़ा ब्रहस्पति ग्रह है। शनि ग्रह सूर्य से लगभग 142 करोड़ 66 लाख 66 हजार 421 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शनि ग्रह की सतह का औसतन तापमान लगभग -139 डिग्री सेलसियस है। शनि ग्रह आकार में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा ग्रह है। शनि ग्रह लोहा, निकल और चटानों के कोर से बना हुआ है ये धातु हाइड्रोजन की परत से घिरी हुई है। शनि ग्रह पर 10 घंटे और 39 मिनट का एक दिन होता है। पृथ्वी पर एक साल में त्र लगभग 365 दिन होते हैं पर शनि ग्रह पर 10,759.22 दिनों का एक साल होता है. इसी के साथ ही शनि ग्रह के 62 चन्द्रमा है।
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