कालाष्टमी (kalashtami): हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन को काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान शिव के अंश कालभैरव की पूजा- अर्चना की जाती है। इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस बार कालष्टमी का व्रत 2 जून 2021 को है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है, साथ ही आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैंं।
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कालाष्टमी का महत्व
भगवान काल भैरव की उत्पत्ति शिव के रोद्ररुप में हुई। इस दिन विधि- विधान से पूजा करने से काल भैरव भगवान प्रसन्न होते हैं। इस दिन भक्त भगवान कालभैरव के सौम्य रूप बटुक भैरव की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत करने से लोगों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। इतना ही नहींं इस व्रत को करने से हमेशा भगवान काल भैरव की कृपा बनी रहती है।
कालभैरव की पूजा करें
कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव के सामने सरसों के तेल में दीपक जलाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम का पाठ करें। इस पाठ को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
बेलपत्र पर ऊं नम: शिवाय लिखें
कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है। इस खास दिन पर भगवान शिव पर 21 बेलपत्र चढ़ाएं। इन सभी बेलपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखा होना चाहिए। इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी।
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काले कुत्ते को रोटी खिलाएं
कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। इस उपाय को करने से कालभैरव के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। इस उपाय को करने के लिए अगर आपको काला कुत्ता नहीं मिल रहा है तो किसी अन्य कुत्ते को रोटी खिलाएं।
घर में जलाएं अगरबत्ती
अगर घर में किसी भी तरह की परेशानी है तो कालाष्टमी के दिन काल भैरव के आगे खुशबूदार 33 अगरबत्तियां जलाएं। ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
काल भैरव के दर्शन करें
कालाष्टमी के दिन से अगले 40 दिन तक काल भैरव भगवान के मंदिर जाएं। इससे भगवान काल भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे। इस नियम को चालीसा कहते हैं।
कालाष्टमी की पूजा शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी आरंभ- 2 जून रात 12 बजकर 46 मिनट से ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अष्टमी समाप्त – 03 जून रात 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगा
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कालाष्टमी व्रत का महत्व
कालाष्टमी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा होती है। इस दिन व्रत रखने से कुंडली में राहु दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही शनि ग्रह के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है। कालाष्टमी के दिन भक्तों को भगवान भैरव के बटुक रूप की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि वो उनका सौम्य रूप है। वहीं कालभैरव उनका रौद्र रूप है जो भक्तों के लिए परोपकारी और कल्याणकारी हैं।
पूजा विधि
इस दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में कालभैरव की मूर्ति की स्थापना करें और चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव करें। इसके बाद फूल, अक्षत, पान, इमरती, नारियल आदि चढ़ाएं। मूर्ति के चारों तरफ चौमुखी दीप जलाएं और धूप- दीप करें, फिर भगवान कालभैरव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद 108 मंत्रों का जाप करें। आरती के बाद पूजा संपन्न करें।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान काल भैरव का वाहन कुत्ता है। इस दिन कुत्ते को रोटी खिलाना बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन रात्रि के समय में भगवान कालभैरव को सरसों का तेल, उड़द की दाल से बने पकवान, काला तिल चढ़ाना से आपकी सभी मनोकामानाएं पूर्ण हो जाती है।
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