(Dream Astrology) सपनों का जीवन पर सदा ही कुछ ना कुछ प्रभाव पड़ता है I मनुष्य उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता अपनी इच्छा से या अनिच्छा से मनुष्य मन की अपनी इस कल्पना का शिकार बनता है मनकी चिंतन के अनुसार इन सपनों के ठीक शुद्ध और अशुद्ध परिणाम होते हैं I प्रत्येक मनुष्य पर एक ही जैसे सपने का एक ही जैसा परिणाम हो ऐसा नहीं है I अक्सर देखा गया है कि किसी पर सपने का कुछ फल होता है और किसी पर कुछ फल होता है I यह सब प्रत्येक मनुष्य की अपनी मानसिक अवस्था के कारण होता है I
क्या होता है जब सपने में कोई परी या अप्सरा दिखाई दे ?
ऐसा माना जाता है कि सपना देखते समय मनुष्य की अवस्था एक मनुष्य जैसी हो जाती है उसके मस्तिष्क पर उसका नियंत्रण नहीं रहता है और वह बिना इच्छा के ही विभिन्न प्रकार के ताने-बाने बुनने लगता है I स्वप्न का कुछ ठीक और निश्चित कारण कह सकना कठिन है हमारे मन में संस्कारों का जो एक समूह एकत्र रहता है उसी में से किसी एक या अनेक का चित्र शुद्ध अथवा विकृत रूप में हमारे सम्मुख उपस्थित हो जाता है I संस्कार अथवा चिंतन निकट वर्तमान कालीन भी हो सकता है और दूर भी।
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अब प्रश्न यह होता है कि हम सपने देखते ही क्यों हैं और यदि देखते हैं तो कभी तो देखते हैं और कभी नहीं देखते हैं ऐसा क्यों होता है ? जब मस्तिष्क अपने नियमित चिंतन से मुक्त होता है तो संग्रहित संस्कारों में से विचार लेकर सपने देखने लगता है I
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कुछ लोगों का विचार है कि ब्रह्म शक्तियों से प्रेरित मस्तिष्क की जो अवस्था होती है वह सपने देखने या ना देखने के लिए एक प्रमुख कारण होती है I इस प्रश्न का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करना बड़ा कठिन है I इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ सपने रात्रि की संध्या समय के मस्तिष्क की अवस्था का प्रतिरूप होते हैं पर सभी सपनों के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है।
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कुछ सपने भूतकाल की घटनाओं को बताते हैं। सपनों में कभी-कभी बड़ा विचित्र सा मिश्रण होता है I आवाज पर आया ऐसे व्यक्ति की होती है जिसको हम जानते हैं और जागृत अवस्था में उससे वार्तालाप आदि व्यवहार करते हैं पर उस व्यक्ति की शक्ल कुछ और ही दिखाई देती है मतलब वह शक्ल आपके किसी अपरिचित आदमी की होती है जिसको आप जानते ही नहीं है I कुछ सपनों में जीवन की साधारण रोजमर्रा की घटनाएं क्रियाएं वार्तालाप आदि उसी रूप में दिखाई देते हैं इसलिए सभी प्रकार के सपनों का वर्णन करना प्राय संभव नहीं होता है I क्योंकि मनुष्य की कल्पनाओं का अंत नहीं होता है यह मन कभी निष्क्रिय नहीं बैठता कुछ न कुछ चिंतन करता ही रहता है।