सामुद्रिक शास्त्र को लेकर लोगों के मन में मंशा है कि यह ग्रंथ किसके द्वारा रचित हैं। आज हम इस बारे में आपको कुछ जानकारी प्रदान करेंगे। बताया जाता है कि गरुड पुराण में इस ग्रंथ का उल्लेख मिलता है। तो चलिए जानते हैं…
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samudra shastra ke stapake kon tha
सामुद्रिक शास्त्र का नामकरण समुद्र ऋषि द्वारा इस ग्रन्थ को प्रचारित करने के कारण किया गया है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र ऋषि का भविष्य कथन इतना सटीक निकलता था कि उनके उपरान्त विद्वानों में समुद्र के वचन की साक्षी दी जाने लगी।
अतः ज्योतिष आदि के ग्रंथों में श्लोकों के अंत में अपनी बात पर जोर देने हेतु ‘समुद्रस्य वचनं यथा’ जैसे वाक्य प्राप्त होते हैं। दुर्भाग्यवश आज समुद्र ऋषि प्रणीत यह ग्रन्थ अपने अविकल रूप में प्राप्त नहीं है। वराह मिहिर आदि आचार्यों ने समुद्र के नाम का उल्लेख यत्र तत्र किया है। वर्तमान समय में ‘सामुद्रिक तिलक’ , भविष्य पुराण का स्त्री पुरुष लक्षण वर्णन, इत्यादि सामुद्रिक शास्त्र से सम्बंधित ग्रन्थ उपलब्ध हैं।
क्या समुद्र शास्त्र द्वारा लड़का या लड़की होने का पता चल सकता है ?
चाणक्य का सामुद्रिक शास्त्र हिन्दी में
आचार्य चाणक्य बेहद ही विद्वान थे और उनका नीति शास्त्र बेहद ही स्टीक और बहुत अच्छी जानकारी प्रदान करने वाला है। आचार्य चाणक्य और सामुद्रिक शास्त्र के बीच तुलना करना हमारी राय के अनुसार गलत होगा। क्योंकि चाणक्य नीति अलग है और सामुद्रिक शास्त्र अलग है। स्वयं चाणक्य ने दूसरों के हावभाव और मानव के अंगों को देखकर अनेक शिक्षाप्रद जानकारी प्रदान की है।
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