सामुद्रिक शास्त्र

ऐसे अंगूठे वाले व्यक्ति को बहुत कम मिलता है पत्नी का सुख

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार अगर पुरुष के हाथ के अंगूठे बेडौल या बेढंगे हैं तो उसे पत्नी का सुख कम ही मिलेगा। पत्नी के सात तालमेल बैठाने में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार यदि पुरुष के हाथ के अंगूठे बहुत सुंदर और आकर्षक हैं तो उसका अपनी पत्नी के साथ तालमेल रहेगा और दोनों एक दूसरे से सहयोग से सफलता अर्जित करेंगे।

सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार यदि अंगूठा बाहर की ओर झुका हुआ है तो जातक कमजोर मस्तिष्क का और व्यर्थ के खर्च करने वाला होगा। यदि अंगूठा सीधा ही रहता है तो माना जाता है कि जातक अपने विचारों को लेकर दृढ़ है। दृढ़ अंगूठे वाले जातक दृढ़ एवं स्थिर स्वभाव के होते हैं। वे तुरंत निर्णय नहीं लेते, बल्कि सोच-विचार कर निर्णय लेते हैं और उस पर अडिग रहते हैं। वे आसानी से मित्रता स्थापित नहीं करते।

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लचकदार अंगूठे वाले जातक नरम स्वभाव के खुले दिल वाले होते हैं। वे किसी निर्णय पर टिके नहीं रह पाते। बार-बार निर्णय बदल देते हैं। वे अपरिचितों से आसानी से मित्रता कर लेते हैं। इसके कारण कई बार उन्हें धोखे का सामना करना पड़ता है। गदा आकार के अंगूठे का ऊपरी भाग चौड़ा और फूला हुआ होता है। ऐसे जातक हिंसक और अत्यंत क्रोधी स्वभाव के होते हैं।

इकहरे अंगूठे पतली कमर के होते हैं अर्थात बीच में से पतले होते हैं। ऐसे जातक चालाक होते हैं और कूटनीति में निपुण होते हैं। सीधे अंगूठे नीचे से ऊपर तक समान होते हैं। ऐसे जातक सीधे स्वभाव के होते हैं। वे तर्क और विचारशक्ति के आधार पर अपना कार्य पूर्ण करते हैं।

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अंगूठे व तर्जनी के मध्य कोण- हाथ को इस प्रकार फैलाने पर कि चारों अंगुलियां तो चिपकी रहें और अंगूठा उनसे अलग रहे, तब हमें अंगूठे और तर्जनी के मध्य कोण प्रतीत होता है। ऐसे जातक जिनकी तर्जनी अंगुली और अंगूठे के मध्य अधिक कोण बनता है, वे कोमल हृदय के, विद्याप्रेमी, कलाकार एवं कलाप्रेमी होते हैं परंतु वे भाग्यवादी, शंकालु व धार्मिक होते हैं। समकोण वाले जातक हठी होते हैं। उनमें प्रतिशोध की भावना रहती है। न्यून कोण अंगूठे वाले जातक निराशावादी, आलसी और व्यसनों में रत रहने के कारण कर्ज में डूबे जाते हैं।

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अंगूठे का प्रथम पोरूआ इच्छाशक्ति का सूचक है। द्वितीय पोरूआ तर्कशक्ति दर्शाता है एवं तीसरा पोरूआ प्रेमशक्ति प्रदर्शित करता है। जिस जातक के अंगूठे का प्रथम पोरूआ, द्वितीय पौरूए से बड़ा होता है उसमें प्रबल इच्‍छाशक्ति होती है। जिस जातक के अंगूठे का द्वितीय पोरूआ बड़ा है और प्रथम अपेक्षाकृत छोटा होता है, उनमें तर्कशक्ति प्रबल होती है। जिस जातक के प्रथम व द्वितीय दोनों पौरूए बराबर होते हैं, वे सफल जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। उनमें तर्कशक्ति और इच्छाशक्ति बराबर रहती है। अंगूठे का तृतीय भाग पोरूआ न होकर शुक्र का पर्वत ही होता है। यह प्रथम या द्वितीय पौरूए की अपेक्षा निश्चित ही बड़ा होता है। यदि यह सुंदर व लालिमायुक्त हो, तब व्यक्ति प्रेम में बड़ा होता है। वे प्रेम में त्याग करने को तैयार रहते हैं। उनका वैवाहिक जीवन आनंददायक रहता है। यदि यह क्षेत्र दबा हुआ हो तो व्यक्ति निराशावादी होते हैं। उनके प्रेम में वासना व स्वार्थ छिपा रहता है। उनका वैवाहिक जीवन भी मधुर नहीं रहता।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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