लाल किताब वनस्पति ज्योतिष

सावधान ! आपके घर के बाहर लगे पेड़-पौधे कहीं शत्रु तो नहीं हैं ?

सहारनपुर। ज्योतिषीय विद्वा लाल किताब की बात करें तो यह विद्वया न केवल आपका सटीक भविष्य बताती है, बल्कि आपको अशुभ फलों से बचाव के उपाय भी देती है। आज हम इस लेख में बात करेंगे, आपके घर के बाहर या आसपास लगे पेड़ पौधों की। लाल किताब के अनुसार प्रत्येक ग्रह का एक पेड़ होता है। जिस तरह से कुंडली में शनि और चंद्र की युति विष योग बनाती है उसी तरह शनि और चंद्र से संबंधित पेड़ आसपास लगे होने पर वैसा ही प्रभाव प्रदान करते हैं। इसलिए आपके घर के बाहर या भीतर लगे पेड़ के शत्रु वृक्ष को जान कर उनका समाधान कर लेना चाहिए ताकि आपको कोई परेशानी ना हो।

समस्या है तो समाधान भी है। यहां क्लीक करके अपनी समस्या का समाधान जाने।

सूर्य : सूर्य का पेड़ तेजफल का वृक्ष होता है। इसके अलावा पर्वतों पर उगने वाले पौधे, मिर्च, काली मिर्च, शलज़म, सूर्यमुखी का फूल, सरसों, गेहूं और विल्वमूल की जड़ पर भी सूर्य का अधिकार होता है। शुक्र, राहु और शनि के वृक्ष इसके आसपास नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह सूर्य के शत्रु हैं।

चंद्र : पोस्त का हरा पौधा, जिसमें दूध हो या सभी दूध वाले वृक्ष या पौधे चंद्र के हैं। इसके अलावा खोपरा, ठंडे पदार्थ, रसीले फल, चावल, खिरनी की जड़ और सब्जियों पर भी चंद्र का अधिकार रहता है। चंद्र के पौधे या वृक्ष के साथ शनि, राहु और केतु के वृक्ष नहीं लगाना चाहिए।

मंगल : नीम का पेड़ साक्षात मंगल है। इसके अलावा नुकीले वृक्ष, बरगद, अदरक, अनाज, जिन्सें, तुअर दाल, मूंगफली और अनंतमूल की जड़ पर मंगल का अधिकार रहता है। बुध, शुक्र, शनि, राहु और केतु के वृक्ष इस वृक्ष के आसपास नहीं होना चाहिए। वर्ना मंगल खराब हो जाएगा।

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बुध : केला, चौड़े पत्ते के पौधे या वृक्ष बुध के कारक है। इसके अलावा आंधीझाड़ा की झाड़ी, विधारा की जड़, नर्म फसल, मूंग दाल, हरे मुंग की दाल और बैंगन पर भी बुध का अधिकार होता है। बुध के वृक्ष या पौधों के साथ चंद्र के पौधे नहीं होना चाहिए।

गुरु : बृहस्पति साक्षात रूप में पीपल का वृक्ष है। इसके अलावा केले के वृक्ष, भारंगी/केले की जड़, खड़ी फसल, बंगाली चना और गांठों वाले पादप से जुड़े पौधे पर भी गुरु का अधिकार होता है। पीपल के पास शुक्र, बुध, शनि, केतु और राहु के वृक्ष नहीं होना चाहिए।

शुक्र : कपास का पौधा और मनी प्लांट शुक्र का कारक है। कोई भी जमीन पर आगे बढ़ने वाली लेटी हुई बेल शुक्र की कारक है। इसके अलावा फलदार वृक्ष, फूलदार पौधे, गुलर, मटर, बींस, पहाड़ी पादप, मेवे पैदा करने वाले पादप और लताओं पर भी शुक्र का अधिकार होता है। शुक्र के पौधों के पास कभी भी सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु और राहु के पौधे या वृक्ष न लगाएं।

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शनि : शमी, कीकर, आम और खजूर का वृक्ष शनि का कारक है। इनमें से शमी के वृक्ष को छोड़कर कोई सा भी वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा पादपों में जहरीले और कांटेदार पौधे, खारी सब्जियां, बिच्छोल की जड़ और तम्बाकू पर भी शनि का अधिकार होता है। शनि के वृक्ष के पास सूर्य, चंद्र और मंगल के वृक्ष नहीं होना चाहिए।

राहु : नारियल का पेड़, चंदन का पेड़, कुत्ता घास, कैक्टस और कांटे वाले सभी वृक्ष या पौधे राहु के कारक हैं। चंदन एवं नारियल के पेड़ को छोड़कर बाकी को घर में या आसपास कभी भी नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा लहसुन, काले चने, काबुली चने और मसले पैदा करने वाले पौधों पर राहु और केतु का अधिकार होता है। नारियल का पेड़ लगा है तो सूर्य, मंगल और चंद्र के पौधे या वृक्ष उसके आसपास नहीं होना चाहिए।

केतु : इमली का दरख्त, तिल के पौधे और केला केतु के कारक है। इसके अलावा अश्वगंधा, लहसुन, काले चने, काबुली चने और मसले पैदा करने वाले पौधों पर राहु और केतु का अधिकार होता है। केले का वृक्ष लगा है तो उसके पास मंगल और चंद्र के वृक्ष नहीं लगे होना चाहिए।

समस्या है तो समाधान भी है। यहां क्लीक करके अपनी समस्या का समाधान जाने।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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