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नवग्रह राशिफल वास्तु टिप्स

Vastu मकान बनाते समय इन्हें नजरअंदाज किया तो होता है जिंदगीभर पछतावा

भवन के वास्तु Vastu में ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। सृष्टि में 9 ग्रहों को ज्ञात किया गया हैं तथा कहा जाता हैं कि प्रत्येक ग्रह का एक भवन होता हैं। जहाँ वह जातकों को लाभ अत्यधिक पहुंचाते हैं। इसके साथ साथ यह भी कहा जाता हैं देवताओं की प्रमुख दिशा भी होती हैं। हर देवता की एक भिन्न-भिन्न दिशा निर्धारित हैं। Vastu

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Vastu  कहा जाता है कि इन नव ग्रहों के अनुसार और भवन के वास्तु के अनुसार यदि कार्य संतुलित किये जाएँ तो घर और जीवन मैं सुख समृद्धि आती हैं और जीवन परिपूर्ण बन जाता है तथा विशेष देवताओं की विशेष दिशाओं को ध्यान में रख कर पूजा पाठ की जाए तो भी जीवन खुशहाल हो जाता है। इसके ठीक विपरीत यदि भवन के ग्रहों की दिशाओं को नजरअंदाज करके कुछ काम किया जाता हैं तथा वास्तु के नियमों की अवहेलना होती हैं तो जीवन में कठिनाईयां द्वार पर खड़ी आपका स्वागत करती हैं।

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तो आईये जानते हैं भवन के वास्तु Vastu  में ग्रहों का स्थान क्या कहता हैं।

चन्द्रमा करते हैं मन को शांत
वायु दिशा के स्वामी चन्द्रमा हैं। चन्द्रमा शांत स्वभाव के हैं। साथ ही समृद्धि के अधिपति भी माने जाते हैं। यह ग्रह मन को शीतल और शांत रखता हैं और इसके फलस्वरूप शारीरिक, भौतिक, चितवन, मानसिक स्वस्थ्य, सम्पति का कारक हैं। वास्तु के अनुसार वायु के देवता पवन देव माने जाते हैं और वायुदेव शक्ति और तीव्रता का प्रतीक हैं तथा खुल्ले चितवन और विचारों के स्वामी माने जाते हैं। इस दिशा में भोजनकक्ष, अतिथि गृह, विवाह योग्य कन्याओं का कमरा एवं बिना टॉयलेट के बाथरूम का होना शुभ होता है।

पूर्व में प्रबल हैं सूर्य देव
पूर्वी दिशा में सूर्य देव का राज हैं। सूर्य देव सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माने गए हैं। सभी अन्य ग्रह सूर्य ग्रह के समक्ष चक्कर लगा कर अपनी यात्रा को पूर्ण करते हैं। सूर्य को स्वस्थ्य, तीव्रता, तेजस्वी चित अथवा ऐश्वर्य का स्वामी भी कहा जाता हैं। यदि घर की पूर्व की दिशा द्वेषमुक्त रहे तो उस घर के व्यक्तियों पर सूर्य सा तेज आता हैं, साथ ही मनोबुद्धि अधिक क्षमता से कार्य करती है। आलस्य दूर भागता हैं तथा घर में खुशहाली की रोशनी बनी रहती है। इसलिए महत्त्वपूर्ण है कि इस दिशा को कभी भी रोशनी से वंचित ना रखें। यह दिशा सूर्य के लिए खाली छोड़ दी जाए तथा सूर्य के भवन को आपकी समृद्धि के लिए कार्य करने दिए जाए।

जीवन में मंगल लाते हैं मंगल ग्रह
मंगल ग्रह धन और लाभ प्रदान करने वाला ग्रह हैं। यह ग्रह पृथ्वी से मेल खाता हैं और इसके कई लक्षण पृथ्वी ग्रह से मिलते हैं। इसलिए इस ग्रह का प्रभाव पृथ्वी लोक पर रह रहे जीवनियों पर विशेष रूप से पड़ता हैं। मंगल ग्रह की दिशा प्रबल दक्षिण होती हैं और इस दिशा में देवता यमराज को माना जाता हैं। मंगल ग्रह से जीवन में निडरता, साहस, दिलेरी, तथा मजबूत दिल और दिमाग की उपलब्धि होती हैं। इसलिए इस दिशा में शयन कक्ष तथा भंडार कक्ष रखना चाहिए।

कौन-सी दिशा राहु की शुभ होती हैं
राहु को सामान्य रूप से हानिकारक प्रभाव देने के लिए जाना जाता है और इसे एक ऐसा ग्रह माना जाता है, जो आलस्य में देरी और बाधाओं को प्रेरित करता है। इसलिए जरुरी है कि घर से राहु के प्रकोपों को कम किया जाए। राहु की दिशा दक्षिण पश्चिम दिशा हैं। इस दिशा में कभी भी हल्की या खुली वस्तु नहीं स्थापित करनी चाहिए तथा इस दिशा में शयन कक्ष , ऑफिस, शौचालय या स्टोर बना कर राहु ग्रह को शांत कर लाभ उठाये जा सकते हैं।

बुध ग्रह के लाभ
बुध ग्रह घर में सुख-समृद्धि प्रदान करने का ग्रह हैं। यह ग्रह सम्पनता प्रदान करता हैं अथवा यदि किसी की जीवनी में बुध प्रबल हैं तो वह व्यक्ति बुद्धि का तेज़ व बात करने में कटाक्षपूर्ण और शास्त्रों का ज्ञाता कहा जाता हैं। यह ग्रह उत्तर दिशा का नेतृत्व करता हैं और इस दिशा को कुबेर भगवान की दिशा भी कहते हैं जो की धन के स्वामी हैं। बुध और कुबेर की गुणवत्ता का लाभ उठाने के लिए उत्तर दिशा में आप अध्यन कक्ष , तिजोरी तथा पुस्तकालय रख कर बुध और कुबेर दोनों को प्रसन्न कर सकते हैं।

ईशान के स्वामी हैं गुरु ग्रह
गुरु ग्रह सभी ग्रहों में सबसे अत्यधिक लाभ प्रदान करने में प्रचलित हैं। यह ग्रह ऐश्वर्य, तेज़ बुद्धिमत्ता तथा अत्यधिक वृद्धि प्रदान करता हैं। यह ग्रह उत्तर पूर्वी दिशा में शोभित माना जाता हैं और इस दिशा के देवता भगवान् विष्णु हैं। भगवन विष्णु तथा गुरु ग्रह यदि किसी जातक पर प्रसन्न हो गए तो वह व्यक्ति भौतिक शांति तथा असीम बुद्धि का ज्ञाता बन जाता है। इसलिए इस उत्तर पूर्वी दिशा में पूजा-गृह रख कर लाभ उठाना चाहिए।

शुक्र ग्रह की दिशा
शुक्र ग्रह ऐश्वर्य के स्वामी माने जाते हैं। इनकी दिशा दक्षिण पूर्व दिशा हैं तथा इस दिशा में अग्नि देव प्रबल होते हैं। शुक्र ग्रह में भी अग्निकोण पाए जाते हैं। अन्यथा शुक्र और अग्नि देव का सम्बंध बहुत पुराना हैं। अपने जीवन में ऐश्वर्य को प्रचलित करने के लिए दक्षिण पूर्व दिशा में रसोई घर , बिजली उपकरण या विद्दुत केंद्र होना लाभदायक होता हैं।

शनिदेव की महत्ता
शनि ग्रह जीवन में भाग्य को प्रबल करते हैं, किस्मत के धनी होते हैं व यश प्रदान करते हैं। इनको पश्चिमी दिशा में सबसे अत्यधिक प्रसन्नता होती हैं। इस दिशा के देवता वरुण भगवान् को माना जाता हैं। जो पौरुष और यश के स्वामी कहे जाते हैं। इन दोनों देवताओं की विलासता का लाभ उठाने के लिए पश्चिमी दिशा को हमेशा स्वस्थ्य रखना चाहिए तथा इस दिशा मैं ड्राइंग रूम , बैडरूम , पुस्तकालय रखा जा सकता हैं।

संकलन…
श्री ज्योतिष सेवा संस्थान भीलवाड़ा (राजस्थान)

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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