sperm : वायु प्रदूषण की वजह से लोगों को सांस संबंधी बीमारियों से जूझना पड़ता है। अब इसका असर स्पर्म की संख्याओं पर पड़ रहा है। रिसर्च में यह चौंकाने वाला और चिंता में डालने वाला खुलासा हुआ है।
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इसमें सामने आया है कि कैसे वायु प्रदूषण मस्तिष्क में सूजन पैदा करके स्पर्म यानि शुक्राणु की संख्या को कम करता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन (यूएमएसओएम) के रिसर्चर्स द्वारा किए गए अध्ययन के नतीजे ‘एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव’ जर्नल में प्रकाशित हुए।
दरअसल, तनावपूर्ण परिस्थितियों में मस्तिष्क का प्रजनन अंगों से सीधा संबंध होता है जो स्पर्म काउंट को प्रभावित करता है।
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ये नया अध्ययन बताता है कि कैसे प्रदूषित हवा प्रजनन क्षमता को कम करता है। यूएमएसओएम में मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर और प्रमुख अध्ययन लेखक झेकांग यिंग ने कहा, हमारे निष्कर्षों से पता चला है कि वायु प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान को चूहों के दिमाग में एक सूजन मार्कर को हटाकर दूर किया जा सकता है।
इन नतीजों का सिर्फ प्रजनन क्षमता की तुलना में व्यापक प्रभाव है, क्योंकि उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय जैसी कई स्थितियां हैं। ये बीमारियां वायु प्रदूषण के कारण मस्तिष्क की सूजन की वजह से हो सकती है।
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दुनिया की लगभग 92 फीसदी जनसंख्या ऐसे इलाकों में रहती हैं, जहां 2.5 माइक्रोमीटर व्यास से छोटे वायु में सूक्ष्म कणों का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित न्यूनतम सुरक्षा मानकों से अधिक है। ये कण कार के प्रदूषण, कारखाने के उत्सर्जन, जंगल की आग और लकड़ी से जलने वाले स्टोव जैसे स्रोतों से आ सकते हैं।
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