Paush Amavasya : हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। इसके बाद शुक्ल पक्ष की शुरुआत हो जाती है। पौष मास की अमावस्या नए साल में 2 जनवरी 2022 को पड़ेगी। वैसे तो शास्त्रों में सभी अमावस्या पितरों को समर्पित मानी गई हैं, लेकिन पौष मास की अमावस्या बेहद खास है क्योंकि पौष का पूरा महीना ही पितरों को समर्पित माना जाता है।
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इसे छोटा पितृ पक्ष या मिनी पितृ पक्ष भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस माह में पितरों के निमित्त पिंड दान करने से उन्हें भटकना नहीं पड़ता और वे धरती लोक से सीधे वैकुंठ की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। ऐसे में वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं. यहां जानिए अमावस्या तिथि से जुड़ी जरूरी बातें…
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अमावस्या तिथि का महत्व
अमावस्या तिथि पर नदी स्नान, पूजा, जाप और तप का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि अमावस्या के दिन गंगा स्नान कर पूजा करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। वहीं, पितरों के निमित्त दान करने से पितर संतुष्ट होते हैं और उन्हें शांति मिलती है। देशभर में श्रद्धालु अमावस्या के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों में आस्था की डुबकी लगाते हैं और तिल तर्पण भी करते हैं।
पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने का दिन
अमावस्या तिथि को पितृदोष और कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए शुभ माना गया है। इस दिन पितरों के लिए पिंडदान करने से उन्हें तमाम यातनाओं से मुक्ति मिल जाती है और वे मोक्ष प्राप्त करते हैं। ऐसे में वे अपने वंशजों से अत्यंत प्रसन्न होते हैं। पितरों के आशीर्वाद से वंशज खूब फलते फूलते हैं। उनके जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती।
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शुभ मुहूर्त
पौष अमावस्या तिथि : रविवार 2 जनवरी 2022
पौष अमावस्या प्रारंभ : 2 जनवरी सुबह 3 बजकर 43 मिनट से
पौष अमावस्या समाप्त : 3 जनवरी सुबह 5 बजकर 26 मिनट पर
जरूर करें ये काम
चूंकि अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है, ऐसे में हर किसी को अपने पितरों की प्रसन्नता के लिए कुछ काम जरूर करने चाहिए जैसे-
1. अमावस्या के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करें और गीता का पाठ करेंं
2. पितरों को याद करते हुए गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न आदि बांटें।
3. पीपल के वृक्ष में जल दें और पीपल के नीचे एक दीपक जरूर जलाएं।
4. संभव हो तो अमावस्या के दिन अपने हाथों से पीपल का पौधा लगाएं और उसकी सेवा करें।
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