Money measures : यदि तमाम तरह के परिश्रम के बाद भी आपका कारोबार (business) नहीं चल रहा है। धन (Money) आकर खर्च हो जाता हो। तो यहां बताए गए कुछ उपाय या टोटके (remedy) आपके बेहद काम आ सकते हैं। यह उपाय (remedy) करने से आपका कारोबार गति पकड़ेगा और आर्थिक संकट भी दूर होंगे।
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किसी गुरू पुष्य योग और शुभ चन्द्रमा के दिन प्रात: हरे रंग के कपड़े की छोटी थैली तैयार करें। श्री गणेश के चित्र अथवा मूर्ति के आगे संकटनाशन गणेश स्तोत्र के 11 पाठ करें। इसके बाद इस थैली में 7 मूंग, 10 ग्राम साबुत धनिया, एक पंचमुखी रूद्राक्ष, एक चांदी का रूपया या 2 सुपारी, 2 हल्दी की गांठ रख कर दाहिने मुख के गणेश जी को शुद्ध घी के मोदक का भोग लगाएं। फिर यह थैली तिजोरी या उस स्थान पर रख दें जहां आप अपने रुपये पैसे रखते हैं। गरीबों और ब्राह्मणों को दान करते रहे। आर्थिक स्थिति में शीघ्र सुधार आएगा। एक साल बाद नयी थैली बना कर बदलते रहें।
किसी के प्रत्येक शुभ कार्य में बाधा आती हो या विलम्ब होता हो तो रविवार को भैरव जी के मंदिर में सिंदूर का चोला चढ़ा कर बटुक भैरव स्तोत्र का एक पाठ कर के गाय, कौओं और काले कुत्तों को उनकी रूचि का पदार्थ खिलाना चाहिए। ऐसा वर्ष में 4-5 बार करने से कार्य बाधाएं नष्ट हो जाएंगी।
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रूके हुए कार्यों की सिद्धि के लिए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है। गणेश चतुर्थी को गणेश जी का ऐसा चित्र घर या दुकान पर लगाएं, जिसमें उनकी सूंड दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना करें। इसके आगे लौंग तथा सुपारी रखें। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक लौंग तथा सुपारी को साथ लेकर जाएं, इससे आपका काम सिद्ध होगा। लौंग को चूसें तथा सुपारी को वापस लाकर गणेश जी के आगे रख दें तथा जाते हुए कहें जय गणेश काटो कलेश।
सरकारी या निजी रोजगार क्षेत्र में परिश्रम के उपरांत भी सफलता न मिल रही हो, तो नियमपूर्वक किये गये विष्णु यज्ञ की विभूति लेकर, अपने पितरों की कुशा की मूर्ति बनाकर, गंगाजल से स्नान करायें तथा यज्ञ विभूति लगाकर, कुछ भोग लगा दें और उनसे कार्य की सफलता हेतु कृपा करने की प्रार्थना करें। किसी धार्मिक ग्रंथ का एक अध्याय पढ़कर, उस कुशा की मूर्ति को पवित्र नदी या सरोवर में प्रवाहित कर दें। सफलता अवश्य मिलेगी। सफलता के पश्चात किसी शुभ कार्य में दान करें।
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व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका कर सकते हैं— सरसों के तैल में सिके गेहूं के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये या पूड़े, सात मदार (आक) के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तेल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें- हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ, कृपा करके मेरा पीछा ना करना। सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।
सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएं। इसके बाद माता सीता से एक सांस में अपनी कामना का निवेदन करें और भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आ जाएं। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
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किसी शनिवार को, यदि उस दिन `सर्वार्थ सिद्धि योग’ हो तो अति उत्तम, सांयकाल अपनी लम्बाई के बराबर लाल रेशमी सूत नाप लें। फिर एक पत्ता बरगद का तोड़ें। उसे स्वच्छ जल से धोकर पोंछ लें। इसके बाद पत्ते पर अपनी कामना रुपी नापा हुआ लाल रेशमी सूत लपेट दें और पत्ते को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं और कामनाओं की पूर्ति होती है।
अक्सर सुनने में आता है कि घर में कमाई तो बहुत है, किन्तु पैसा नहीं टिकता, तो यह प्रयोग करें। जब आटा पिसवाने जाते हैं तो उससे पहले गेंहू में 11 पत्ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर मिला लें तथा अब इसको बाकी गेहूं में मिला कर पिसवा लें। यह क्रिया सोमवार और शनिवार को करें। फिर घर में धन की कमी नहीं रहेगी।
अगर पर्याप्त धर्नाजन के पश्चात भी धन संचय नहीं हो रहा हो, तो काले कुत्ते को प्रत्येक शनिवार को सरसों के तेल से चुपड़ी रोटी खिलाएँ।
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संध्या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना निषिद्ध है। सोने से पूर्व पैरों को ठंडे पानी से धोना चाहिए, किन्तु गीले पैर नहीं सोना चाहिए। इससे धन का क्षय होता है।
रात्रि में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है। अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात्रि भोज में नहीं करना चाहिये।
भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख कर के करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।
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सुबह कुल्ला किए बिना पानी या चाय न पीएं। जूठे हाथों से या पैरों से कभी गौ, ब्राह्मण तथा अग्नि का स्पर्श न करें।
घर में देवी-देवताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उन्हें घर में रखना अलाभकारी होता है।
रविवार के दिन पुष्य नक्षत्र हो, तब गूलर के वृक्ष की जड़ प्राप्त कर के घर लाएं। इसे धूप, दीप करके धन स्थान पर रख दें। यदि इसे धारण करना चाहें तो स्वर्ण ताबीज में भर कर धारण कर लें। जब तक यह ताबीज आपके पास रहेगी, तब तक कोई कमी नहीं आयेगी। घर में संतान सुख उत्तम रहेगा। यश की प्राप्ति होती रहेगी। धन संपदा भरपूर होंगे। सुख शांति और संतुष्टि की प्राप्ति होगी।
पं. रामपाल भट्ट, भीलवाड़ा
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