math mandir mukti abhiyan : देश की विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा देश के लगभग चार लाख मंदिरों को अवैध कब्जे से मुक्त करने हेतु सिद्ध योग मठ अखाड़े के महामंडलेश्वर सन्त कमल किशोरजी और पंचतीर्थी आश्रम के मुख्य महन्त स्वामी रामदेवजी द्वारा एक प्रैस कॉन्फ्रेंस को संयुक्त रूप से संबोधित किया गया।
महामंडलेश्वर सन्त कमलकिशोर ने कहा कि देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने लगभग देश के चार लाख मंदिरों पर अवैध कब्जा किया हुआ है (वर्ष 2014 मे सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के चिदम्बरम के नटराज मन्दिर को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करने वाले आदेश मे कहा था –“मंदिरों का संचालन और व्यवस्था भक्तों का काम है,सरकार का नहीं।)
पुरी के जगन्नाथ मन्दिर के अधिकार वाले केस में जस्टिस शरद अरविन्द बोबडे (जो मुख्य न्यायाधीश भी बने ) मंदिरों पर भक्तों द्वारा चढ़ाए गए धन को ये सरकारें मनमाने तरीके से खर्च करती हैं,जबकि एक भी चर्च या मस्जिद पर राज्य का नियंत्रण नहीं है। सनातन धर्म /हिन्दू धर्म के अतिरिक्त शेष सभी समुदाय अपने-अपने धर्मस्थानों का संचालन करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हैं। इसी के चलते सरकारें हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ उनका आर्थिक शोषण भी करती हैं। यदि सरकारें मन्दिर को पब्लिक की संपत्ति समझती हैं तो मन्दिर के पुजारियों को वेतन क्यों नहीं देती ? और यदि मस्जिदें मुसलमानों की निजी संपत्ति हैं तो सरकार मौलवियों को वेतन क्यों देती है ? भारतवर्ष के इतिहास में भी, राजाओं/महाराजाओं ने मंदिरों की संपत्ति पर कभी भी अपना अधिकार नहीं जताया ,तो अब ऐसा क्यों ?
जीवनसाथी की तलाश हुई आसान! फ्री रजिस्ट्रेशन करके तलाश करें अपना हमसफर
समस्या है तो समाधान भी है, विद्वान ज्योतिषी से फ्री में लें परामर्श
अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने निर्णय मे साफ कर दिया है कि राज्य सरकारें मंदिरों का प्रबंधन हिन्दुओं को सौंप दें,क्योंकि सरकारों का काम मन्दिर चलाना नहीं है।
अब प्रश्न यह कि यदि चर्च और मस्जिद सरकारों के प्रबन्धन में नहीं तो केवल हिन्दू मन्दिर ही क्यों? यह अन्याय नहीं तो क्या है ?यह संविधान में दोगलापन क्यों? संविधान में दिये गए समानता के अधिकारों का हनन क्यों? क्या दूसरे धर्म के लोगों को पालने का ठेका हिन्दुओं ने ले रखा है।
पंचतीर्थी आश्रम के मुख्य महन्त स्वामी रामदेवजी ने भारतीय संविधान अनुच्छेद 25 को संदर्भित करते हुए कहा कि यदि उपरोक्त संविधान वास्तव में भारत का ही संविधान है तो है ,तो हिन्दू धर्म के मन्दिरों पर सरकारों का अवैध नियन्त्रण क्यों? संविधान के अनुसार — सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता का और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का समान हक होगा, क्या यह सब बेकार की बाते हैं ? संविधान का उपहास नहीं तो यह क्या है ? क्या यह हिन्दुओं का आर्थिक, मानसिक,धार्मिक और उनके संविधान में समानता के अधिकार का शोषण नहीं है?
इस तरह के सपने Dreams देते हैं जीवन में परेशानी आने का संकेत
इस समय पूरे देश में लगभग चार लाख 4,00,000 मन्दिर सरकारों के अवैध कब्जे में हैं। इस समय लगभग एक लाख मन्दिर आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और पुंड्डिचेरी सरकारों के सीधे अवैध कब्जे में हैं।
19,000 मन्दिरों का सरकारी अधिकारी नियन्त्रण और प्रबंधन करते हैं, आखिर क्यों? आखिर हिन्दू ट्रस्ट से प्रबंधन का अधिकार क्यों छीन लिया गया?
तिरुपति बालाजी के मन्दिर मे हिन्दुओं द्वारा दिये गए दान के 3500 करोड़ रुपये में से सरकार द्वारा केवल 7 प्रतिशत यानि प्रबन्धन और रखरखाव पर केवल 245 करोड़ रुपये खर्च किए गए। सीधे-सीधे 3255 करोड़ रुपये अवैध रूप से कमा लिए।
क्या धन इकट्ठा कर के मुसलमानों को सबसिडी देकर उन्हे खुश करके वोट की राजनीति के लिए या अपना घर मंदिरों की धन दौलत से भरने के लिए? क्या यह हिन्दू (भारतीय सनातन)संस्कृति को नष्ट करने का षडयंत्र तो नहीं? क्या हिन्दू स्वतन्त्रता के बाद भी “जज़िया” टैक्स देने के लिए बाध्य हैं ?
ग्रह परिवर्तनों और चंद्र ग्रहण से भरपूर है नवंबर का महीना
हिमांशु जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की रुचि के कारण मद्रास हिंदू टेंपल एक्ट की जगह द हिंदू रिलीजियस एंड चैरिटेबल अण्डाउमेंट एक्ट, 1951 बना। हिंदू धर्म दान एक्ट, 1951 के जरिये कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि बिना कोई कारण बताए वे किसी भी मंदिर को अपने अधीन कर सकते हैं। क्या यह भारतीय संविधान का खुला उल्लंघन नहीं है? जवाहर लाल नेहरू के इस कुकृत्य का गलत फायदा उठाते हुए आंध्रप्रदेश,कर्नाटक,तेलंगाना और पुंड्डिचेरी सरकारों ने मनमाने तरीके से अपने अपने राज्य मे कानून बनाकर (भारतीय संविधान को दरकिनार कर ठेंगा दिखते हुए) मस्जिद और चर्च को छोड़ कर हिन्दू मंदिरों को लूटने का काम शुरू कर दिया हिन्दू को दूसरे दर्जे का नागरिक बना दिया, अपने ही देश हिंदुस्तान/भारतवर्ष में, जबकि भारत का संविधान किसी भी सरकार को धार्मिक संस्थान चलाने का अधिकार नहीं देता।
दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती हैं इस तरह की लड़कियां Helping Girls
शून्य फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. हर्ष ने बताया कि इस अन्याय के विरुद्ध पूरे भारतवर्ष के साधु, सन्त, महन्त, पण्डित, मठाधीश, पीठाधीश, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, सन्यासी, धार्मिक न्यासों से जुड़े लोग, और हिन्दू/सनातन धर्म के मुखिया 21 नवम्बर 2021 को दोपहर 12 बजे दिल्ली की सिद्ध पीठ कालकाजी मंदिर के प्रांगण में, कालिका पीठाधीश्वर एवं विश्व हिन्दू महासंघ के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष सुरेन्द्रनाथ अवधूत जी,तथा सिद्ध योग मठ अखाड़े के आचार्य मंडलेश्वर श्री श्री 1008 बालयोगी अलखनाथ जी के मार्गदर्शन में, माँ कालिका मन्दिर मे “मठ–मन्दिर मुक्ति अभियान” को गति देने का आह्वान करेंगे।
ज्योतिष के चमत्कारी उपाय, फ्री सर्विस और रोचक जानकारी के लिए ज्वाइन करें हमारा टेलिग्राम चैनल
Google News पर हमसे जुड़ने के लिए हमें यहां क्लीक कर फॉलो करें।
ज्योतिष, धर्म, व्रत एवं त्योहार से जुड़ी ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें और ट्वीटर @ganeshavoice1 पर फॉलो करें।