Gajkesri yog : आपने अक्सर सुना होगा कि किसी जातक की कुंडली में गजकेसरी Gajkesri yog योग बन रहा है। आखिर गजकेसरी योग क्या होता है और इससे मानव को क्या लाभ मिलता है और यह योग कैसे बनता है। आइए जानते हैं इस आर्टिकल में…
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गजकेसरी योग Gajkesri yog में उत्पन्न मनुष्य तेजस्वी, धन धान्य से युक्त, मेधावी, गुण संपन्न, विनम्र व उदार स्वभाव का होता है, जातक को राजसी सुख और समाज में मान सम्मान प्राप्त होता है, चल अचल संपत्ति की प्राप्ति होती है, इनके संबंध उच्च वर्ग के लोगों से होते हैं, सरकारी सेवाओं में उच्च पद, संतान सुख, वाहन सुख प्राप्त होता है।
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ये बुद्धिमान व वाककला में निपुण होते हैं, इनकी रुचि वेद, पुराण और धार्मिक ज्ञान में होती है। यहां पर हमने ऐसे योग वाले व्यक्ति को सर्वगुण संपन्न तो दिखा दिया, किन्तु बहुत कम मामलों में ऐसा होता है। यह योग 20 से 35 प्रतिशत लोगों की कुंडली में मिलता है, जबकि ऐसे शुभ फल बहुत कम लोगों को प्राप्त होते हैं।
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केवल इस योग के मामले में ही नहीं, ज्योतिष का कोई भी सूत्र हो उसे हूबहू नहीं लेना चाहिए और लिखे गए प्रत्येक शब्द पर ध्यान देना चाहिए और तर्क की कसौटी पर जरूर कसकर देखना चाहिए।
— गजकेसरी योग वृषभ, कर्क, धनु और मीन राशि में बहुत अच्छा फल देता है।
— यह योग यदि केंद्र या त्रिकोण में बन रहा हो तो अपना पूर्ण प्रभाव दिखाता है।
— चंद्रमा जितना अधिक पक्ष बली होगा, यह योग उतना ही अच्छा प्रभाव देगा।
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कुछ शर्तें निम्नलिखित हैं :-
— चन्द्र व गुरु किसी भी तरह से निर्बल नहीं होना चाहिए।
— यह योग त्रिक स्थान में नहीं होना चाहिए।
— किसी क्रूर अथवा पापी ग्रह से युति या दृष्टि संबंध नहीं होना चाहिए।
— वक्री अथवा नीच ग्रह की दृष्टि भी नहीं होनी चाहिए।
— केमद्रुम योग नहीं होना चाहिए, अन्यथा गजकेसरी योग पूर्णतः निष्फल सिद्ध होगा।
— गुरु या चन्द्र नीच राशि में नहीं होना चाहिए।
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— शत्रु राशि में स्थित होने पर यह योग थोड़ा कमजोर हो जाएगा। इसी तरह से अन्य प्रतिकूल प्रभाव होने पर और निर्बल हो जाएगा, जितना अधिक प्रतिकूल प्रभाव होगा, यह योग उतना ही कमजोर होगा और अपना पूर्ण फल नहीं दे पाएगा।
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