01sre 1 ganeshavoice.in चारधाम देवस्थानम बोर्ड हुआ समाप्त, संत समिति और सिद्ध योग मठ अखाड़े ने जताया हर्ष Chardham Devasthanam Board
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चारधाम देवस्थानम बोर्ड हुआ समाप्त, संत समिति और सिद्ध योग मठ अखाड़े ने जताया हर्ष Chardham Devasthanam Board

Chardham Devasthanam Board सहारनपुर : भाजपा की उत्तराखंड सरकार द्वारा चारधाम देवस्थानम बोर्ड को भंग करके मन्दिर–मठों को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करने की घोषणा से तीर्थ-पुरोहितों, पुजारियों, मठाधीशों, संतों, महंतों, साधुओं, महामण्ड्लेश्वरों और हिन्दू धर्मावलम्बियों मे हर्ष की लहर दौड़ गई।
ज्ञात हो कि गत 21 नवंबर को दिल्ली के माँ कालिका सिद्ध पीठ से अखिल भारतीय संत समिति,अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और सिद्ध योग मठ अखाड़े के संयुक्त तत्वाधानमें राष्ट्रीय स्तरपर मठ-मन्दिर मुक्ति अभियान का प्रारम्भ किया गया था।

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सिद्ध योग मठ अखाड़े के आचार्य मंडलेश्वर बालयोगी श्री श्री 1008 अलख नाथ महाराज ने इसे असत्य पर सत्य की विजय बताते हुए दूरभाष पर बताया कि यदि हिन्दू संगठन आपसी मतभेद भुलाकर एक होकर इस धर्मयुद्ध को लड़ेंगे तो शेष भारत की राज्य सरकारों को भी जनमत के आगे झुकना पड़ेगा और मन्दिर–मठों को अपने अवैध नियन्त्रण से मुक्त करने पर मजबूर होना पड़ेगा । असम के मुख्यमन्त्री हेमंत बिसवाँ ने राज्य मे सभी मंदिरों के पुजारियों को 15000 रुपये प्रतिमाह देने का ऐलान कर दिया है।
अलख नाथ जी महाराज ने कहा कि भाजपा की सरकारों ने पहल की है जिसके लिए उनको साधुवाद , और गैर भाजपा सरकारों को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समय रहते गैर भाजपा सरकारों ने मन्दिर–मठों को अवैध सरकारी नियन्त्रण से मुक्त नहीं किया तो उनके विरुद्ध उग्र-आन्दोलन किया जाएगा।

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महामंडलेश्वर सन्त कमलकिशोर ने शंखनाद से वातावरण को गुंजाते हुए इसे जन आन्दोलन की जीत की पहली सीढ़ी बताया और कहा कि लक्ष्य अभी दूर है और हमे एक होकर सम्पूर्ण भारतवर्ष के चार लाख मंदिरों को मुक्त कराना है। संविधान का उपहास उड़ा कर समानता के अधिकार का हनन करने वालों को सबक सिखाना है। मंदिरों के धन से गुरुकुल खोले जाएंगे जिससे सनातन धर्म और संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। हिंदुस्तान का अर्थ ही हिन्दुओं का स्थान है,अत: इसे हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए भी एकजुट होकर संघर्ष करना पड़ेगा।
आचार्य पंडित अनिल कोदण्ड श्यामसखा ने भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाने के लिए सभी से पाश्चात्य संस्कृति को त्याग कर सनातन धर्म और संस्कृति की ओर लौटने का आग्रह किया। उन्होने सभी धर्माचार्यों से अनुरोध करते हुए कहा कि श्रीराम और श्रीमद भागवत कथाओं मे भारतीय संस्कृति के गुणों का भी उल्लेख कर जनमानस को शुद्ध आचारण,व्यवहार और शील की शिक्षा भी सम्यक रूप से दें।
इस खुशी के अवसर पर उपस्थित सभी धर्माचार्यों पंडित धीरज भारद्वाज,आचार्य पण्डित उद्धव जी, सन्त त्रिभुवन जी, श्री अखंडानन्द जी, श्री उदयनाथ गिरि जी, ने एक दूसरे को तिलक लगाकर शुभकामनाएँ प्रदान की और सभी को मिष्टान्न वितरित कर अपनी खुशी को प्रकट किया।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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