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बड़ी चमत्कारी हैं हनुमान जी की अष्ट सिद्धियां, भाग्यवान लोगों को ही मिलता है इसका आशीर्वाद : Ashta Siddhi

Ashta Siddhi : अष्‍ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस वर दीन्‍ह जानकी माता’। बल, बुद्धि के दाता श्री हनुमान जी अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों के दाता है। ये वो शक्तियां हैं, जिनके माध्यम से असंभव से असंभव कार्य को भी संभव बनाया जा सकता है।

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पवनपुत्र हनुमान जी ने अपनी इन्हीं शक्तियों के बल पर विशाल समुद्र को उड़कर पार किया और माता सीता का पता लगा कर उन्हें अपने प्रभु श्री राम की निशानी को भेंट किया था। इन्हीं सिद्धियों की मदद से विशाल से विशाल स्वरूप और छोटे से छोटे स्वरूप को धारण कर सकते थे। आकाश से पाताल तक की यात्रा कर सकते थे। आइए संकटमोचक हनुमान जी की इन दिव्य सिद्धियों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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अणिमा
इस सिद्धि के माध्यम से अपने शरीर को बहुत छोटा सा बनाया जा सकता है। हनुमान जी ने इस दिव्य सिद्धि की मदद से अपने शरीर को बहुत छोटा करके लंका में प्रवेश किया था। इसी सिद्धि के बल पर वे लंका के राक्षसों की नजर में नहीं आए और पूरी लंका का उन्होंने परीक्षण किया था। इसी सिद्धि के प्रयोग से वह सुरसा नाम की राक्षसी के मुंह के भीतर प्रवेश किया और सुरक्षित बाहर निकल आए थे।

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महिमा
आठ सिद्धियों में से एक महिमा की मदद से अपने शरीर को विशालकाय रूप दिया जा सकता है। यह अत्यंत ही चमत्कारी सिद्धि है। इसी की मदद से हनुमान जी ने अपना आकार बड़ा करके लंका की ओर प्रस्थान किया था। लंका में माता सीता को यह विश्वास दिलाने के लिए कि वह भगवान राम के दूत हैं, उन्होंने अपना शरीर इसी सिद्धि के माध्यम से बड़ा करके दिखाया था।

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गरिमा
इस सिद्धि के प्रयोग से कोई भी व्यक्ति अपना शरीर पहाड़ जितना भारी कर सकता है। श्री हनुमान जी ने इसका प्रयोग महाभारत काल में भीम के अभिमान को दूर करने के लिए किया था। हनुमान जी की इसी सिद्धि के कारण भीम उनकी पूंछ को नहीं हटा पाए थे और बाद में उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ था।

लघिमा
लघिमा के माध्यम से कोई व्यक्ति अपने शरीर को मोर के पंख से भी हल्का करके हवा में तैर सकता है। हनुमान जी ने इस सिद्धि का विशेष रूप से प्रयोग लंका में राक्षसों और रावण से बचने के लिए किया था और पेड़ की पत्तियों के बीच अपने को छिपा लिया था।

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प्राप्ति
इस दिव्य सिद्धि के माध्यम से व्यक्ति भविष्‍य में झांक कर आने वाली घटनाओं को देख सकता है और पशु-पक्षियों की भाषा को समझ सकता है। माता सीता का पता लगाने के लिए हनुमान जी ने इस सिद्धि के प्रयोग से कई पशु-पक्षियों से पता लगाने का प्रयास किया था।

प्राकाम्य
इस सिद्धि के माध्यम से परलोकगत विषयों का ज्ञान आसानी से हो जाता है। इस सिद्धि के माध्यम से ही हनुमान जी कभी भी कोई भी स्वरूप को धारण कर सकते हैं और चिरकाल तक अपने भक्तों के बीच बने रह सकते हैं।

ईशित्व
माया को प्रेरित करना इसी शक्ति के माध्यम से ही संभव है। इसी सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया और प्रभु श्री राम के लंका विजय में मददगार बने।

वशित्व
इस सिद्धि के माध्यम से स्वयं को छल, प्रपंच, माया आदि से दूर रखा जाता है। यह सिद्धि व्यक्ति को जितेंद्रिय बनाती है और उसका अपने मन पर पूरा निष्ठा के साथ ध्यान करें।

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महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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