शनिदेव की 23 मई से उल्टी चाल शुरू होने वाली है। ज्योतिष में इसे काफी अहम माना जा रहा है। शनि को लोग बेहद क्रूर ग्रहों में से एक मानते हैं। हालांकि, हर बार ऐसा नहीं होता। शनि आपके कर्मों के अनुसार ही आपको फल प्रदान करते हैं। शनि सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। कहा जाता है कि ये कम से कम ढाई वर्षों तक एक ही राशि में गोचर करते हैं। वो वक्री से मार्गी और मार्गी से वक्री भी होते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, इस समय शनि ग्रह मकर राशि में विराजमान हैं, लेकिन 23 मई से शनि ग्रह मकर राशि में ही उल्टी चाल चलने लगेंगे। इस परिवर्तन का असर कुछ राशियों पर भी होगा, जो पहले से ही शनि की साढ़ेसाती और ढैया से प्रभावित हैं।
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धनु राशि
धनु राशि वाले जातकों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। हालांकि, ये अपने अंतिम चरण में हैं। 23 मई से जब शनि वक्री हो जाएंगे तो धनु राशि वाले जातकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना शुरू हो जाएगा, जिससे कि उन्हें नुकसान होने के संकेत मिल रहे हैं। 29 अप्रैल 2022 को शनिदेव मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इसके बाद धनु राशि वाले जातकों पर से साढ़ेसाती पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
ऐसा होते ही उनकी सभी तरह की परेशियां भी स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी। आपको बता दें कि, 12 जुलाई 2021 से 17 जनवरी 2023 तक वक्री चाल से चलते हुए वो मकर राशि में प्रवेश करेंगे। ऐसा होते ही धनु राशि पर एक बार फिर से शनि की साढ़ेसाती चढ़ जाएगी, लेकिन चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि ये पहले की तरह प्रभाव वाला नहीं होगा। 17 जनवरी 2023 के बाद धनु राशि वाले जातकों से शनि की साढ़ेसाती पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी।
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मकर राशि
इस समय शनि ग्रह मकर राशि में ही स्थित है। लेकिन 23 मई से उल्टी चाल चलने के बाद मकर राशि वाले जातकों की नौकरी और सेहत में परेशानियां बढ़ जाएंगी। मकर राशि वालों को बहुत ही लंबा इंतजार करना होगा। मकर राशि वाले जातकों पर से 2025 में शनि की साढ़ेसाती समाप्त होगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस राशि में शनि की ढैया चलती है, उस राशि से एक राशि पहले और एक राशि बाद साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है। ऐसे में तीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती ढाई-ढाई साल का प्रभाव रहेगा। वहीं, शनि जब मीन राशि में गोचर करेंगे उसके बाद ही मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव से पूरी तरह से मुक्ति मिल पाएगी।
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कुंभ राशि
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कुंभ राशि वाले जातकों पर शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव का पहला चरण इस समय चल रहा है। इस राशि के स्वामी शनि स्वयं हैं। अगर शनि वक्री होते हैं तो कुंभ राशि के जातकों के काम में कुछ हद तक गिरावट देखी जा सकती है। लेकिन अगर आपकी कुंडली में वक्री शनि शुभ स्थिति में हैं तो आपको इस समय अनुकूल फल की प्राप्ति हो सकती है। अगर ये स्थिति अशुभ हुई तो आपको कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
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