इस वर्ष नृसिंह जयंती पर्व 25 मई 2021, मंगलवार को मनाया जाएगा। इसी दिन भगवान नृसिंह ने खंभे को चीरकर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए अवतार लिया था। इस दिन श्री नृसिंह के शक्तिशाली मंत्रों से तंत्र, मंत्र, बाधा, भूत, पिशाच, भय, अकाल मृत्यु, डर, असाध्य रोग आदि से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में शांति प्राप्त होती है।
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पूजन विधि एवं मंत्र-
इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें। संपूर्ण घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगा जल या गौमूत्र का छिड़काव कर पूरा घर पवित्र करें।
तत्पश्चात निम्न मंत्र बोले-
भगवान नृसिंह के पूजन का मंत्र –
नृसिंह देवदेवेश तव जन्मदिने शुभे।
उपवासं करिष्यामि सर्वभोगविवर्जितः॥
इस मंत्र के साथ दोपहर के समय क्रमशः तिल, गोमूत्र, मृत्तिका और आंवला मल कर पृथक-पृथक चार बार स्नान करें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
पूजा के स्थान को गोबर से लीपकर तथा कलश में तांबा इत्यादि डालकर उसमें अष्टदल कमल बनाना चाहिए।
अष्टदल कमल पर सिंह, भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। तत्पश्चात वेदमंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए।
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1. भगवान नृसिंह का बीज मंत्र – ‘श्रौं’/ क्ष्रौं
इस बीज में क्ष् = नृसिंह, र् = ब्रह्म, औ = दिव्यतेजस्वी, एवं बिंदु = दुखहरण है। इस बीज मंत्र का अर्थ है — ‘दिव्यतेजस्वी ब्रह्मस्वरूप श्री नृसिंह मेरे दुख दूर करें’।
2. संकटमोचन नृसिंह मंत्र :-
ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।
अगर आप कई संकटों से घिरे हुए हैं या संकटों का सामना कर रहे हैं, तो भगवान विष्णु या श्री नृसिंह प्रतिमा की पूजा करके उपरोक्त संकटमोचन नृसिंह मंत्र का स्मरण करें। समस्त संकटों से आसानी से छुटकारा मिल जाएगा।
3. नृसिंह मंत्र :-
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
ॐ नृम नृम नृम नर सिंहाय नमः ।
कैसे जपे मंत्र :
जीवन में सर्वसिद्धि प्राप्ति के लिए 40 दिन में पांच लाख जप पूर्ण करें। उपरोक्त मंत्र का प्रतिदिन रात्रि काल में जाप करें। मंत्र जप के दौरान नित्य देसी घी का दीपक जलाएं।
2 लड्डू, 2 लौंग, 2 मीठे पान और 1 नारियल भगवान नृसिंह को पहले और आखरी दिन भेट चढ़ाएं। अगले दिन विष्णु मंदिर में उपरोक्त सामग्री चढ़ा दीजिए। अंतिम दिन दशांश हवन करें। अगर दशांश हवन संभव ना हो तो पचास हजार मंत्र संख्या और जपे।
लाल रंग के आसन पर दक्षिणाभिमुख बैठकर रक्त चंदन या मूंगे की माला से नित्य एक हजार बार जप करने से लाभ मिलता है।
इस दिन व्रती को दिनभर उपवास रहना चाहिए। सामर्थ्य अनुसार भू, गौ, तिल, स्वर्ण तथा वस्त्रादि का दान देना चाहिए। क्रोध, लोभ, मोह, झूठ, कुसंग तथा पापाचार का त्याग करना चाहिए। इस दिन व्रती को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
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नृसिंह जयंती का व्रत फल
व्रत करने वाला व्यक्ति लौकिक दुःखों से मुक्त हो जाता है। भगवान नृसिंह अपने भक्त की रक्षा करते हैं। व्रती को इच्छानुसार धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
भगवान नृसिंह विष्णुजी के सबसे उग्र अवतार माने जाते है। नृसिंह जयंती पर उनके बीज मंत्र के जप से शत्रुओं का नाश होकर कोर्ट-कचहरी के मुकदमे आदि में विजय प्राप्त होती है। इससे शत्रु शमन होकर पराक्रम में बढ़ोतरी होती है तथा आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।
नृसिंह मंत्र से तंत्र-मंत्र बाधा, भूत पिशाच भय, अकाल मृत्यु का डर, असाध्य रोग आदि से छुटकारा मिलता है तथा जीवन में शांति की प्राप्ति हो जाती है। जीवन में सर्वसिद्धि प्राप्ति के लिए 40 दिन में पांच लाख जप पूर्ण करें।
उपरोक्त मंत्र का प्रतिदिन रात्रि काल में जाप करें। मंत्र जप के दौरान नित्य देसी घी का दीपक जलाएं। 2 लड्डू, 2 लौंग, 2 मीठे पान और 1 नारियल भगवान नृसिंह को पहले और आखरी दिन भेंट चढ़ाएं। अगले दिन विष्णु मंदिर में उपरोक्त सामग्री चढ़ा दीजिए। अंतिम दिन दशांश हवन करें। अगर दशांश हवन संभव ना हो तो पचास हजार मंत्र संख्या और जपे।
अगर आप कई संकटों से घिरे हुए हैं या संकटों का सामना कर रहे हैं, तो भगवान विष्णु या श्री नृसिंह प्रतिमा की पूजा करके संकटमोचन नृसिंह मंत्र का स्मरण करें –
ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।