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श्री हनुमान चालीसा गुप्त रहस्य पार्ट 03

श्री हनुमान चालीसा गुप्त रहस्य पार्ट 03

राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।

अर्थ – राम के दूत विशाल शक्ति के मालिक, आप अंजनी के पुत्र और आपको पवन के पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
ये जो छंद है हनुमानजी के कार्यों या भूमिका के बारे में बताता है साथ ही दूसरी लाइन पैदा होने के बारे में बताता है।

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प्रीति संजय, टैरो कार्ड रीडर

इसको मै थोड़ा जो समझ पाया- जैसे पवन जिसे हम वायु भी कहते है. वायु को प्राण भी कहते है शरीर में पांच तरह के प्राण माने जाते है। प्राण,अपान,समान,उदान और व्यान। इस तरह पवन हमारे लिए अभिन्न है। वायु देव अगर लेते है तो वायु देव इंद्र का साथी और पृथ्वी से आकाश को जोड़ने वाला होता है, चंचल और स्वभाव से ही सहयोगी। यहाँ हनुमानजी को इनका पुत्र बताया गया है।
इन्हे अपने पिता से इतनी बड़ी शक्तियां हासिल है, अब वही इन्हे अंजनी पुत्र भी कहा गया है। ऐसा माना जाता है वो पहले अप्सरा थी जो एक श्राप के कारण पृथ्वी पर वानर रूप में रह रही थी और किष्किंधा के राजा वानर केसरी से विवाह करती है।
राम दूत – राम – पवित्र मन,कुंडलिनी शक्ति (विष्णु रूप), उत्तर का एक राजा, जो अपनी शक्ति का प्रयोग प्रजा की सेवा में लगाता है, मर्यादा पुरुष है। जब राजा अपनी शक्ति गलत उपयोग करता है और भूख और भय बाकी उसका मतलब है उसका अभी राम होना बाकी है और जब राजा का सेवक अपनी शक्तियों का प्रयोग अधिकार के लिए करता है तब अभी हनुमान होना बाकी है।
पवित्र मन हालाँकि बहुत मुश्किल शब्द है लेकिन अत्यंत शक्तिशाली होता है कुंडलिनी शक्ति इसके अधीन होती है और ये कोई भी सिद्धि निधि से ऊपर होती है, यहाँ इन्हें राम जैसी शक्ति का दूत बताने का मतलब ही अति बलशाली लेकिन फिर भी पवित्र मनोदशा वाला बताया है।

अगर इस चोपाई को अपनी दैनिक लाइफ पर अप्लाई करने की कोशिश करूं तो या इसका उच्चारण करू जैसा की हमारे धर्म में प्रचलन है के शब्दों के उच्चारण में भी अद्भुत क्षमता है तो सीधा सीधा मेरे मन की शुद्धता, पवित्रता, मर्यादा मेरी शक्ति की संचालक होगी और मेरे शरीर के पंच प्राण समय पड़ने पर मेरा साथ ही देंगे।

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

अर्थ – सबसे वीर, बलशाली, वज्र जैसे शरीर वाले। बुरे विचारों को हटाने वाले और अच्छे विचारों वाले।
यहाँ हनुमानजी को महावीर बताया गया है, एक ऐसा योद्धा जो असुरों से लड़ता है असुर एक ऐसी शक्ति जो जो सुर में ना हो, सुर बोलै जाता है देवता को जो एक निश्चित दायरे में होती है और एक पवित्र होती है सात्विक होती है, असुर जो मन को भटका दे वो शक्ति होती है। एक तरह से अपने आप से जो लड़ जाए वही महावीर है ये हनुमानजी के पहली निशानी है। जो मन में असुरो (बुरे विचारों) को आने ही नहीं देता। दूसरों से लड़ने वाले वीर होते हैं अपने आप से लड़ने वाले महावीर. विक्रम शब्द का संस्कृत में मतलब होता है समझदार, वीर और जीतने वाला. इसके अलावा राजा विक्रमादितीय भी हुए जिन्होंने 2100 वर्ष पहले हिन्दू पंचांग का निर्माण कराया था, लेकिन इसके अलावा उनके साथ एक और ख़ास किस्सा भी है के उनके ऊपर समय समय पर एक चुड़ैल आके बैठ जाती थी और उनसे कठिन से कठिन परिस्थिति का प्रश्न करती थी और विक्रम उसका हर बार सही उत्तर देते थे शायद ये भी एक कारण हनुमान चालीसा जो 500 वर्ष पहले लिखी गई उसमे हनुमानजी को कठिन परिस्थिति में भी सही चुनाव करने वाला बताया गया है।
बजरंगी, इसका मतलब हुआ वज्र जैसा अंगी, वज्र जैसा कठोर शरीर। इसके अलावा विश्लेषण करने की क्षमता भी वज्र का एक रूप है। कुमति मतलब खराब बुद्धि या नेगेटिव बुद्धि, हनुमानजी का जो करैक्टर है वो सही चुनाव करने वाला, महावीर जो सही समय पर अपने प्रभु का चुनाव करता है और अपने मन में कोई भ्रम नहीं रखता तो ऐसे में खराब बुद्धि उनके पास आये ऐसा हो नहीं सकता उनके पास अच्छी बूढी और अच्छे विचार ही आ सकते है।
इस चोपाई का उपयोग हम positivity लाने के लिए, सही समय सही चुनाव करने के लिए, अपने अंदर के राक्षस से लड़ने के लिए कर सकते है।

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

अर्थ – सोने जैसा शरीर है और सजे हुए बैठे है, कान में कुण्डल पहने है और घुंघराले बाल है।

सार – हमारे धर्म में किसी भी भगवान को एक रूप दिया गया है ताकि मन में उस रूप को साध कर उसकी पूजा अर्चना की जा सके या एक तरह से उस परम शक्ति से सम्पर्क बनाया जा सके। ये दर्शन का एक तरीका है, साथ ही दर्शन या रूप जब हम मन में लाते है या भौतिक आँखों से सामने मूरति को देखते है तब शरीर की समान वायु जागृत होती है जो की शरीर की ऊर्जा को बैलेंस कर देती है, अग्नि तत्व जागृत होने से एक नई ऊर्जा मिलती है। इसलिए हमारे धर्म में मूर्ति सिद्धांत दिया गया है। एक भगवान के रूप में हनुमानजी का रूप मंडन इस चोपाई में किया गया है के वो दिखते कैसे है ताकि हम उनका एक छवि मन में बसा सके।
सोने जैसा रंग है हनुमानजी का और सजधज कर बैठे है ऐसा बताया गया है के हनुमानजी एक मजबूत लंगोट पहने ही पैदा हुए थे जो की ब्रह्मचर्य की ओर इशारा करता है। स्वर्ण आभा उनके दिव्य होने के बारे में बताती है, कान में कुण्डल और घुंघराले बाल बताते है के उनमे मनुष्य वाले गुण भी क्यूंकि गहने पहनना वानरों का शौक नहीं है, इनमे इंसानी गुण भी। हनुमानजी कान में कुण्डल पहने ही पैदा हुए थे एक कथा अनुसार जब बाली को लगा के अंजनी के गर्भ से एक ऐसा बालक पैदा होने वाला है जो अति बलि होगा और बाली से भी बलि होगा तब बाली ने हनुमानजी को मारने के लिए प्रेक्षपास्त्र अस्त्र फेंका लेकिन वायु देव ने उस अस्त्र को तोड़ मरोड़ कर उसके बूंदे बना दिए जो की हनुमानजी के कान की शोभा बढ़ाते है। बाली इंद्र पुत्र होने की वजह से इसे इंद्र और बाली की सांकेतिक हार माना गया।
मेरे अनुसार इस चोपाई का मुख्य लक्ष्य यही है के कैसे अपने भगवन से जुड़ाव किया जा सके ताकि हम अपनी इच्छाएं और अपने मन के भाव उनको बता सके।

हाथ वज्र औ ध्वजा विराजे। काँधे मूँज जनेऊ साजै।।

हाथ में वज्र अस्त्र और दूसरे हाथ में ध्वज ले रखा है,काँधे पर मूँज का जनेऊ सजा है।
यहाँ हम आर्ट ऑफ़ बैलेंसिंग की बात कर हैं, हनुमानजी के एक हाथ में वज्र नामक अस्त्र है, वज्र एक ऐसा अस्त्र जिसका प्रहार कभी खाली नहीं जाता, देवताओं के राजा इंद्र का अस्त्र ये माना जाता है लेकिन यहाँ इसे हनुमानजी के हाथ में बताने का संकेत ये है के एक तो इनके पास क्षत्रिय होने के सारे गुण है, और इन्द्रियाँ ये वश में कर के बैठे हैं। दूसरे हाथ में ध्वज लिए हुए है, जैसा की पहले के समय में होता था के हर राजा, देवता, क्षत्रिय अपने अपने कुछ सिम्बल्स बनाये रखता था जैसे शंख, घोड़े, शस्त्र,कपडे, रथ, सेना उनमे ध्वज भी बहुत महत्वपूर्ण वस्तु हुआ करती है जिससे ये पता चल जाता था के ये कौन है। हनुमानजी को हम जानते है के ये रामजी के दूत है स्वयं राज इन्होने नहीं किया सिर्फ दूत-सेवक बनना स्वीकार किया तो सांकेतिक रूप से ये राम जी का ध्वज अपने हाथ में लिए है। उन दिनों ध्वज लेकर चलना सेना में जो शूद्र जाती के लोग होते थे उनका कार्य था यहाँ हनुमानजी को शूद्र कार्य करने में भी कोई आपत्ति नहीं है क्यूंकि वो अपने प्रभु के अलावा कुछ जानते ही नहीं उनका लक्ष्य सीमित है और स्थिर है प्रभु आदेश का पालन।

हालाँकि हनुमानजी जानते है के वो क्षत्रिय रूप में भी है और कोई हरा भी उन्हें नहीं सकता दूसरे ही पल वो शूद्र भी है ये है एक जीने की कला। सब कुछ होते हुए भी जमीन पर रहना और अपने को सेवक ही समझना ताकि प्रभु प्रेम उन्हें ही मिले।
काँधे पर मूँज की बनी जनेऊ है, मूँज एक प्रकार की घास होती है जिसे वैष्णवी या वैश्य घास बोलते है वैश शब्द से वणिक व्यापर व्यापारी बनिया शब्द बना है। अब यहाँ पर हनुमानजी अपनी बुद्धि जो की तोल मोल करना जानती है समय आने पर परीक्षा लेना देना जानती है। बनिया बुद्धि उनके पास है लेकिन जनेऊ जो की ब्राह्मण से जुडी है और ब्राह्मण जाती उस समय में एक सीधी साधी मानती जाती है जो की मोल भाव नहीं करती हिंसा से दूर रहती है। यहाँ भी हनुमानजी के जीने की शैली ही बताई गई है के समय आने पर हनुमानजी सब जाती के है और कोई ऊंच नीच उनमे नहीं है जबकि वो हर जाती के कार्यों में उत्तम है।
ये बैलेंस से जुडी चोपाई है जिसका उपयोग हम अपनी लाइफ में बैलेंस लाने के लिए कर सकते हैं।

संकर सुवन केसरी नंदन। तेज़ प्रताप महा जग बंदन।।

शिव के अवतार और केसरी के पुत्र हो, आपका तेज़(ऊर्जा) पूरा संसार जानता है।

हनुमानजी को कुछ जगह शिव का अंशात्मक अवतार बताया गया है कुछ जगह इन्हे रूद्र अवतार बताया गया है। कही ना कही ऐसा बताने की गई है के हनुमानजी के गुण शिव जी से मिलते जुलते है जैसे भोलापन, अत्यधिक शक्तिवान होने के बावजूद शांत रहना, सबको एक ही दृष्टि से देखना, समस्त वेदों का ज्ञान होने के बाद भी विनम्र रहना ये सब गुण शिव और हनुमान दोनों में है।
शिव जी अपने पुत्रों, रिश्तेदारों से वही व्यवहार करते है जैसा सबसे करते है उनमें कोई भेदभाव नहीं है, हनुमानजी भी ऐसे ही है।
ऐसा माना जाता है के रावण के दस मुख थे और वह बहुत शक्तिशाली हो गया था जिसे शिव का ग्यारहवां रूप ही खत्म कर सकता था।

हनुमानजी का तेज़ या aura इतना ज्यादा माना जाता है के स्त्रियों को हनमानजी की पूजा तक नहीं करने दिया जाता था ऐसा कई जगह वर्णन है के हनुमानजी की मात्र पूजा से स्त्रियाँ गर्भवती हो सकती थी। मछली या कुछ जगह मगरमछ है जो हनुमानजी के मात्र पसीने से गर्भवती हो गई, ये पौरुष से जुडी बात है। लेकिन जैसे योगी शिव पार्वती से विवाह कर के गृहस्थ हुए उसी तरह हनुमानजी का कोमल पक्ष भी सीता जी के द्वारा हनुमानजी को उजागर किया जिससे उनका तेज़ एक संतुलन की स्थिति को प्राप्त हुआ, और उनकी पुंछ को उनकी कोमलता माना गया जो एक तरह से शिव और शक्ति का अभिन्न रूप दिखाती है।
ये चोपाई पुरुष पौरुष प्राप्त करने के लिए कर सकते है, इसमें हनुमानजी के पुंछ के साथ वाले चित्र को मन में लाना चाहिए. स्त्रियाँ इस रूप को रिलेशनशिप सही करने के लिए करें साथ ही गर्भ धारण के लिए भी कर सकते है।

विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।

आप विद्यावान हो पढ़े लिखे हो, गुनी हो आपमें सदगुण है। राम काज राम जी के जो कार्य है उनको करने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हो।

यहाँ पर हनुमानजी को ज्ञानी और चतुर और सदगुणी बताया गया है। ज्ञान और चतुर होने से कोई व्यक्ति व्यक्तित्त्व से अच्छा होगा ऐसा जरुरी नहीं, जानवर शक्तिशाली होते है अति चतुर भी होते है लेकिन फिर भी जानवर ही रहते है क्यूंकि सदगुण होना मानव का गुण होता है। हनुमानजी शक्तिशाली है ये हम जानते है, ज्ञानी भी है चतुर भी लेकिन सबसे बड़ी बात सदगुणी भी है जो उन्हें भगवान का दर्जा देती है।
कोई व्यक्ति अति चतुर हो जाए लेकिन गुणी ना हो वो खतरनाक स्थिति है लेकिन सदगुण आने के बाद वो सही है, सदगुण का मतलब किसी दूसरे की परेशानी समझना, सुख दुःख में भेद करना, दुखी की चिंता करना चाहे हमारा उससे रिश्ता हो या ना हो।
रामचरितमानस में कई जगह से पता चलता है के हनुमान ज्ञानी है उन्हें सूर्य से ज्ञान मिला है, राम जी से जब वो भेष बदल कर मिलते है तो संस्कृत में बात करते है, रावण को भी संस्कृत में ही सुनाते है जो की वेद पाठी ही कर सकता है।
चतुरता के हनुमानजी के बहुत सारे किस्से है जैसे अलग अलग राक्षसों को अपनी चतुराई से हराना, अजनबी होने पर अपने भेष में बदलाव लाना।
सर्वगुणी होने पर भी अपने मालिक के कार्यों को करने के लिए उत्सुक रहना ये उनकी प्रतिबधता के बारे में बताता है, के उन्हें पता है के जो राम है हर परिस्थिति से ऊपर है और वो ही परम है।
ये चोपाई किसी व्यक्ति में अच्छे गुण विकसित करने के लिए कर सकते है, अहंकार नाश के लिए भी इसे पढ़ा जा सकता है।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

राम जी का चरित्र, उनसे जुडी कहानियाँ आपको पसंद है। राम लखन सीता जी आपके मन में बसते है।
ये छंद ये बता रहा है के हनुमानजी को राम जी की कहानियां सुनना बहुत पसंद है, वो उन कहानियों के रसिक है। आज भी ऐसा माना जाता है जहां राम जी की कथा चल रही होती है वह हनुमानजी जरूर आते है कई जगह उनके लिए एक स्थान खाली छोड़े जाने की प्रथा है। हालांकि यहाँ एक मतलब और भी निकलता है के कहानियां सुनने से दिमाग का विस्तार भी होता है और सोचने का दायरा भी विकसित होता है। कहानियां कई तरह की होती है पुराण के रूप में, चरित्र के रूप में, इतिहास के रूप में जिन्हे सुनने से हमारा अपने इष्ट के प्रति जुड़ाव बढ़ता है और एक अपने अंदर की दैवीयता का विकास होता है।

वालमीकि रामायण के अनुसार राम सुग्रीव जब मिलते है तो अपनी अपनी कहानियां सुनाते है, जिससे एक समाधान निकलता है, आपसी कहानिया सुनने से समाधान व फायदा निकलता है। सुग्रीव जब राम की कहानी सुनते है तो उन्हें लगता है के ये कोई परेशान राजा है जो उनकी मदद भी करेगा बाली के विरुद्ध लेकिन हनुमानजी राम जी की कहानी सुनने से ही समझ जाते है ये कोई साधारण इंसान नहीं है, हनुमानजी समझ जाते है इनमे वही गुण है जो सूर्य देव ने उन्हें पढाये थे।
हनुमान सुग्रीव को राम के बारे में बताते है, लंका में सीता को राम कहानी सुनाते है, अयोध्या में भरत को सुनाते है, वो लक्ष्मण और सीता का राम से जुड़ाव किस तरह का है, सीता राम एक पुरुष प्रकृति की तरह कैसे एक दूसरे को पूर्ण करते है ये सब हनुमानजी समझते है, जुड़ाव और संबंध कैसे जरुरी है. संबंधो से सब कुछ समझना आसान हो जाता है जैसे शिव को समझना हो शक्ति भी समझ आती है, विष्णु लक्ष्मी आदि।
हम जब भी एक हनुमान की तरह परम सत्ता, ईश्वर, भगवान से जुडी कहानिया सुनते है, समझते है और उसको एन्जॉय करते है तब हम आसानी से उनसे जुड जाते है।

।। जय श्रीराम।।
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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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