सहारनपुर। कभी कभी मानव के जीवन में ऐसा समय आ जाता है कि उसकी कोई प्रिय वस्तु खो जाती है। यह वस्तु आभूषण से लेकर कोई अन्य भी हो सकती है। आवश्यक कागज या अन्य सामान भी हो सकता है। तमाम प्रयास करने के बाद भी आपकी खोई हुई प्रिय वस्तु नहीं मिल रही है तो दुर्गा सप्तशती का यह अध्याय आपके लिए बेहद ही खास है।
श्री बालाजी धाम सहारनपुर के संस्थापक गुरू अतुल जोशी जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा सप्शती के नौवें अध्याय में असुरेंद्र निशुम्भ के वध का वर्णन किया गया है। देवी का चण्डिका का स्वरूप निशुम्भ के साथ साथ अनेकों दैत्यों का सर्वनाश करती है।
यह अध्याय उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि दूसरे अन्य अध्याय। इस अध्याय का पाठ करने और देवी का स्मरण करने से मानव को कई प्रकार के फायदे होते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि जो व्यक्ति इस अध्याय का नियमित पाठ करता है, उसे धन लाभ की प्राप्ति होती है।
विद्वान ज्योतिषी से जाने अपनी समस्या का समाधान, बिल्कुल फ्री
इसके साथ यदि किसी व्यक्ति की कोई प्रिय वस्तु खो गई है और तमाम प्रयास करने के बाद भी वह वस्तु नहीं मिल रही है तो इस अध्याय का पाठ करने के बाद देवी से प्रार्थना करें कि हे देवी मेरी अमुक वस्तु मुझे वापस प्राप्त हो जाए। इतना करने के बाद देवी के चरणों में शिश नवाएं और भोग लगाकर आरती उतारे।
नवरात्रि 2021: महागौरी है मां दुर्गा का 8वां स्वरूप, प्रदान करती है धन-सम्पत्ति