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ज्योतिष या एस्ट्रोलॉजी में नारायण या सिडेरिअल का क्या अर्थ है ?

प्रो. अशोक भाटिया, ज्योतिषाचार्य

प्रोफेसर अशोक भाटिया, ज्योतिषाचार्य
मित्रों नमस्कार। आशा है कि आप गणेश जी की कृपा से स्वस्थ व प्रसन्न होंगे। गणेशा वॉयस डॉट इन को आपका सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है, इसके लिए आपका धन्यवाद और आभार। मित्रों गणेशा वॉयस डॉट इन के माध्यम से आप अपनी शंकाओं का समाधान जानना चाहते हैं। हम पूरा प्रयास करते हैं कि गणेशा वॉयस डॉट इन पर आने वाले सभी जिज्ञासुओं की शंकाओं का समय से समाधान किया जाए।

हमने अपने पिछले कुछ आर्टिकल्स में हमने आपकी शंकाओं का समाधान किया। अब एक जिज्ञासु ने प्रश्न किया है कि ज्योतिष या एस्ट्रोलॉजी में नारायण या सिडेरिअल क्या अर्थ है?

इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं दिल्ली निवासी प्रोफेसर अशोक भाटिया जी। अशोक भाटिया जी एक जाने माने एस्ट्रोलॉजर हैं और ज्योतिष को लेकर शिक्षण, प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं। उनके यहां से शिक्षा प्राप्त किए हुए कई व्यक्ति विद्वान ज्योतिष बने हैं।

सिडेरिअल समय आकाशीय समय है। ज्योतिष में गणना के लिए जन्म समय में से स्थानीय समय समय संस्कार घटाने के बाद जो समय आता है। उसके अनुसार लग्न तालिका देखकर सिडेरिअल टाइम की गणना की जाती है और उसके आधार पर जन्म का लग्न ज्ञात होता है।

सूर्य वर्ष की गणना भारतीय पद्धति के अनुसार नारायण पद्धति कहलाती है। जिस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, उस दिन से नारायण सूर्य वर्ष आरंभ होता है। पश्चिमी पद्धति को सायान पद्धति कहते हैं। इसका आरंभ 21 मार्च से होता है। जबकि नारायण पद्धति की शुरुआत 13 अप्रैल से होती है।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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