main qimg 66802e750282409294d9f30a709094f8 1 ganeshavoice.in चंद्र ग्रहण 2021 : समुंद्र तट पर रहने वालों को रहना होगा सावधान Lunar eclipse 2021
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चंद्र ग्रहण 2021 : समुंद्र तट पर रहने वालों को रहना होगा सावधान Lunar eclipse 2021

sanjiv agarwal ganeshavoice.in चंद्र ग्रहण 2021 : समुंद्र तट पर रहने वालों को रहना होगा सावधान Lunar eclipse 2021
आचार्य डॉ. संजीव अग्रवाल

चंद्र ग्रहण 2021  (Lunar eclipse 2021) : बुद्ध पूर्णिमा के दिन हो रहे चंद्रमा के छायाग्रहण, माना जाएगा उपछाया चंद्रग्रहण भारत में कोई असर नहीं होगा और और ना ही नुकसान। परंतु समुंद्र पर इसका पूरा असर होगा। समुंद्र के नजदीक रहने वाले लोगों को सावधानी की जरूरत है। तेज रफ्तार हवा चलेगी और समुंद्री जल तेज गति से प्रवाहित जरूर होगा, सुरक्षा बेहद जरुरी है।

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वृश्चिक राशि में वर्ष 2021 का पहला ग्रहण, चंद्र ग्रहण के रूप में लगने जा रहा है। भारतीय पंचांग के अनुसार 26 मई 2021 को बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है।

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इस दिन को बैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है। चंद्र ग्रहण को भारतीय ज्योतिष में केवल खगोलीय घटना नहीं माना गया है। चंद्र ग्रहण के दौरान पीड़ित हो जाता है, चंद्रमा की शक्ति एक प्रकार से क्षीण हो जाती है।
सनातन पौराणिक कथा अनुसार राहु तथा केतु के कारण चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की यह स्थिति बनती है, पराम्परागत पद्धति के अनुसार चंद्रमा और सूर्य ने समुद्र मंथन के दौरान अमृत पान की क्रिया जब चल रही थी, स्वर्भानु नाम एक राक्षस वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में छिपकर बैठ गया, लेकिन चंद्रमा और सूर्य ने उसे देख लिया और इसकी सूचना भगवान विष्णु को दे दी। इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया।

मित्रों, लेकिन अमृत की बूंद पी लेने के कारण स्वर्भानु अमर हो गएं थे, सिर वाले हिस्से को राहु और धड़ के हिस्से को केतु कहा गया। इस बात का प्रतिशोध लेने के कारण समय समय पर और बार बार राहु वह केतु चंद्रमा तथा सूर्य को जकड़ने का प्रयास करते हैं, जिसे ग्रहण कहा जाता है।
चंद्रग्रहण का समय सनातन गणना के अनुसार 26 मई को चंद्रमा वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा होगा। इस दिन दोपहर 3 बजकर 15 मिनट से चंद्र ग्रहण आरंभ होकर शाम करीब 7 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा, यह ग्रहण पूर्वी भारत में दिखाई देगा।

इसका सूतक काल लागु नहीं होगा, क्योंकि इस ग्रहण को उपछाया चंद्र ग्रहण माना जा रहा है, जब ग्रहण उपछाया होता है तो इस स्थिति में सूतक काल का नियम नहीं लगता है।
इसका करोना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और करोना का बढ़ता प्रभाव कम होता दिखाई देगा। शहर से देहात तक आराम आने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता। खास कर फेफड़ों से जुड़ी परेशानी में तो 100 प्रतिशत लाभ मिलेगा ही, बाकी दो गज की दूरी और माक्स के साथ वैक्सीन तो है ही जरूरी। जय शिव।

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maheshshivapress
महेश के. शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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