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— कुंडली में एक ही भाव में राहू और चंद्र की युति हो तो यह दोष बनता है।
— इस दोष के कारण जातक के स्वभाव में चिडचिडापन आ जाता है।
— किसी भी प्रकार का फोबिया या मानसिक तनाव भी होता है।
— यह पूजन महाकाल की नगरी उज्जैन में कराया जाता है।
— इस पूजन के बारे में अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें — 9720306060
Description
जन्मकुंडली में किसी एक भाव में राहू एवं चन्द्र की युति हो तो ग्रहण चन्द्र योग बनता है। चन्द्र ग्रहण की अवस्था में जातक डर व घबराहट महसूस करता है।
चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। माँ के सुख में कमी आती है। किसी भी कार्य को शुरू करने के बाद उसे सदा अधूरा छोड़ देना व नए काम के बारे में सोचना इस योग के लक्षण हैं।
किसी भी प्रकार के फोबिया अथवा किसी भी मानसिक बीमारी जैसे तनाव, Sijrfenia आदि इसी दोष के प्रभाव के कारण माने गए हैं।
यदि यहाँ चंद्रमा अधिक दूषित हो जाता है या कहें कि अन्य पाप प्रभाव में भी होता है, तो मिर्गी, चक्कर व पूर्णत: मानसिक संतुलन खोने का डर भी होता है।
— कुंडली में एक ही भाव में राहू और चंद्र की युति हो तो यह दोष बनता है।
— इस दोष के कारण जातक के स्वभाव में चिडचिडापन आ जाता है।
— किसी भी प्रकार का फोबिया या मानसिक तनाव भी होता है।
— यह पूजन महाकाल की नगरी उज्जैन में कराया जाता है।