ketu in kundali

केतु जन्मकुंडली में कहां विराजमान हैं, कैसा रहेगा आपके जीवन पर असर ketu in kundali

ketu in kundali : वैदिक ज्योतिष में केतु ग्रह (ketu in kundali) को विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में केतु ग्रह (ketu in kundali) को छाया ग्रह कहा जाता है। ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि केतु (ketu in kundali) के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त हों। केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि के कारक माने जाते हैं।

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ज्योतिष में राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन धनु केतु की उच्च राशि है, जबकि मिथनु में यह नीच के माने जाते हैं। आइए जानते हैं कुंडली के 12 भाव में यह क्या फल प्रदान करते हैं और इनके उपाय…

1. जन्मकुंडली के प्रथम भाव में स्थित केतु व्यक्ति को परिश्रमी बनाता है। साथ ही विद्या में आपकी रुचि कम हो सकती है अथवा शिक्षा में कुछ व्यवधान आ सकता है।

2. द्वितीय भाव में विराजमान केतु व्यक्ति को अमित सुख के साथ-साथ धन लाभ भी प्राप्त कराते हैं। कई अवसरों पर यह आपको मधुर वचन वक्ता भी बनाते हैं।

3. तीसरे भाव में स्थित केतू व्यक्ति को मिले जुले परिणाम प्रदान करते हैं। साथ ही यह व्यक्ति को बलवान बनाने के साथ-साथ धैर्यवान भी बनाते हैं। साथ ही व्यक्ति दान पुण्य़ के कार्यों में विश्वास करता है। मतलब आधात्मिक होता है।

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4. केतु के चौथे भाव में स्थित होने के कुछ शुभफल बताए गए हैं। केतु व्यक्ति को शूर वीर और बलिष्ठ बनाते हैं। व्यक्ति सत्य बोलने में विश्वास रखता है और मधुरभाषी होता है।

5. केतु के पंचम में स्थित होने के व्यक्ति साहसी और बलवान होता है। साथ ही यहां स्थित केतू पुत्र कम और कन्याएं अधिक देता है। यहां स्थित केतु उदर रोग देता है।

6. छठे भाव में स्थित केतु व्यक्ति को प्रसिद्ध और लोकप्रिय बनाते हैं। साथ ही व्यक्ति अपनी विद्या के कारण यश प्राप्त करता है और वह करियर में अच्छी सफलता पाता है।

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7. सातवें भाव में स्थित केतु व्यक्ति को मानसिक रोग दे सकते हैं। साथ ही आर्थिक मामलों के लिए कुछ हद तक अच्छा माना गया है। जीवनसाथी के साथ कुछ संबंध खराब रह सकते हैं।

8. आठवें भाव में स्थित केतु व्यक्ति को पराक्रमी बनाते हैं। साथ ही व्यक्ति शोध के क्षेत्र में नाम कमाता है। खेल- कूद में रूचि होती है।

9. नवें घर में केतु धर्म के रास्ते पर व्यक्ति को ले जाता है। दूसरे धर्म को पसंद नहीं करता है। व्यक्ति को किस्मत का साथ नहीं मिलता है।

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10. दशम भाव में स्थित केतु व्यक्ति को तेजस्वी और बलवान बनाते हैं। साथ ही व्यक्ति बुद्धिमान और विभिन्न शास्त्रों को जानने वाले होते हैं।

11. ग्यारहवें घर का केतु यदि कमजोर है तो पैसे संबधी कष्ट देता है। व्यक्ति को आय संंबधी परेशानी रहती है।

12. बारहवें भाव का केतु व्यक्ति को धर्म की तरफ ले जाता है। साथ ही यदि केतु कमजोर या अशुभ हो तो व्यक्ति को मानसिक बीमारी देता है।

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केतु ग्रह को शांत करने के उपाय-

1- केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए गरीब, असहाय, अपंग व्यक्तियों को भोजन, धन आदि का दान करें।

2- बुधवार को गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही गणेश जी को 4 बेसन के बने मोदक का भोग लगाना चाहिए।

3- ज्योतिष के अनुसार काले-सफेद कुत्ते को नियमित तौर पर भोजन का कुछ हिस्सा खाने को दें, इस उपाय से भी केतु ग्रह को शांत किया जा सकता है।

4- कुंडली में मौजूद केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु बीज मंत्र का जाप करें। केतु का एकाक्षरी बीज मंत्र…’ॐ कें केतवे नमः

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