Tilak Remedies : हिंदू धर्म में माथे पर लगाये जाने वाले तिलक का बहुत महत्व है। तिलक कई प्रकार के होते हैं। जैसे लंबा तिलक, गोल तिलक, आड़ी तीन रेखाओं वाला तिलक आदि। भगवान शिव के साधक त्रिपुण्ड तिलक लगाते हैं, वहीं शक्ति की साधना करने वाले गोल बिंदी की तरह का तिलक लगाते हैं। कहते हैं कि बगैर माथे पर तिलक लगाए कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। यही कारण है कि किसी भी शुभ कार्य पर हमारे यहां तिलक लगाने की परंपरा रही है। आइए जानते हैं कि तमाम तरह के लगाए जाने वाले तिलक का क्या कुछ महत्व है –
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तिलक का अध्यात्मिक और धार्मिक महत्व : Tilak Remedies :
तिलक लगाने के 12 स्थान हैं। सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है। मस्तक पर तिलक जहां लगाया जाता है वहां आत्मा अर्थात हम स्वयं स्थित होते हैं। तिलक मस्तक पर दोनों भौंहों के बीच नासिका के ऊपर प्रारंभिक स्थल पर लगाए जाते हैं जो हमारे चिंतन-मनन का भी स्थान है। यह स्थान चेतन-अवचेतन अवस्था में भी जागृत एवं सक्रिय रहता है, इसे आज्ञा-चक्र भी कहते हैं। इन दोनों के संगम बिंदु पर स्थित चक्र को निर्मल, विवेकशील, ऊर्जावान, जागृत रखने के साथ ही तनावमुक्त रहने हेतु ही तिलक लगाया जाता है। इस बिंदु पर यदि सौभाग्यसूचक द्रव्य जैसे चंदन, केशर, कुमकुम आदि का तिलक लगाने से सात्विक एवं तेजपूर्ण होकर आत्मविश्वास में अभूतपूर्ण वृद्धि होती है, मन में निर्मलता, शांति एवं संयम में वृद्धि होती है।
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तिलक लगाने का वैज्ञानिक महत्व : Tilak Remedies :
ललाट पर तिलक धारण करने से मस्तिष्क को शांति और शीतलता मिलती है तथा बीटाएंडोरफिन और सेराटोनिन नामक रसायनों का स्राव संतुलित मात्रा में होने लगता है। इन रसायनों की कमी से उदासीनता और निराशा के भाव पनपने लगते हैं अत: तिलक उदासीनता और निराशा से मुक्ति प्रदान करने में सहायक है। विभिन्न द्रव्यों से बने तिलक की उपयोगिता और महत्व अलग-अलग हैं।
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तिलक के प्रकार : Tilak Remedies :
तिलक मुख्य रुप से तीन प्रकार का होता है। एक रेखाकृति तिलक, द्विरेखा कृति तिलक और त्रिरेखाकृति तिलक। इन तीनों प्रकार के तिलक के लिए चंदन, केशर, गोरोचन और कस्तूरी का प्रयोग किया जाता है। जिनमें कस्तूरी का तिलक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
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भस्म का तिलक : Tilak Remedies :
शैव परंपरा से जुड़े साधु-संत लोग अक्सर अपने शरीर पर भस्म लगाए दिख जाएंगे। पूजा में हवन के बाद भी हवन की भस्म का तिलक लगाने की हमारे यहां परंपरा रही है। उपाय के तौर पर मान्यता है कि शनिवार के दिन भस्म का चंदन लगाने से भगवान भैरव प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।
धन के लिए लगाए चंदन का तिलक : Tilak Remedies :
माथे पर लगाया जाने वाला चंदन का तिलक हमारे मन को शीतलता प्रदान करता है.इसे लगाने से एकाग्रता बढ़ती है। चंदन कई प्रकार का पाया जाता है। जिसमें लाल चंदन का तिलक लगाने से व्यक्ति के भीतर ऊर्जा का संचार होता है। इसी तरह पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाने देवगुरु बृहस्पति की कृपा मिलती है और धन का आगमन होने के साथ ही आर्थिक संकट दूर होते हैं।
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तिलक लगाने के 10 फायदे : Tilak Remedies :
1. किस अंगुली से लगाने से क्या फायदा : अनामिका अंगुली से तिलक करने से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है, मध्यमा से आयु बढ़ाती है, अंगूठे से तिलक करना पुष्टिदायक कहा गया है और तर्जनी से तिलक करने पर मोक्ष मिलता है। विष्णु संहिता के अनुसार देव कार्य में अनामिका, पितृ कार्य में मध्यमा, ऋषि कार्य में कनिष्ठिका तथा तांत्रिक कार्यों में प्रथमा अंगुली का प्रयोग होता है।
2. प्रत्येक देवता का अलग तिलक : मान्यता है कि विष्णु आदि देवताओं की पूजा में पीत चंदन, गणेश पूजा में हरिद्रा चंदन, पितृ कार्यों में रक्त चंदन, शिव पूजा में भस्म, ऋषि पूजा में श्वेत चंदन, मानव पूजा में केसर और चंदन, लक्ष्मी पूजा में केसर एवं तांत्रिक कार्यों में सिंदूर का प्रयोग तिलक के लिए करना चाहिए। इससे देवता प्रसन्न होते हैं।
3. चंदन का तिलक : चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं। चंदन का तिलक ताजगी लाता है और ज्ञान तंतुओं की क्रियाशीलता बढ़ाता है। चन्दन के प्रकार : हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन।
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4. कुमकुम का तिलक:- कुमकुम का तिलक तेजस्विता प्रदान करता है।
5. मिट्टी का तिलक:- विशुद्ध मिट्टी के तिलक से बुद्धि-वृद्धि और पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
6. केसर का तिलक:-
केसर का तिलक लगाने से सात्विक गुणों और सदाचार की भावना बढ़ती है। इससे बृहस्पति ग्रह का बल भी बढ़ जाता है और भाग्यवृद्धि होती है।
7. हल्दी का तिलक:- हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है।
8. दही का तिलक:- दही का तिलक लगाने से चंद्र बल बढ़ता है और मन-मस्तिष्क में शीतलता प्रदान होती है।
9. इत्र का तिलक:- इत्र कई प्रकार के होते हैं। अलग अलग इत्र के अलग अलग फायदे होते हैं। इत्र का तिलक लगाने से शुक्र बल बढ़ता हैं और व्यक्ति के मन-मस्तिष्क में शांति और प्रसन्नता रहती है।
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10. गोरोचन:- गोरोचन आज के जमाने में एक दुर्लभ वस्तु हो गई है। गोरोचन गाय के शरीर से प्राप्त होता है। कुछ विद्वान का मत है कि यह गाय के मस्तक में पाया जाता है, किंतु वस्तुतः इसका नाम ‘गोपित्त’ है, यानी कि गाय का पित्त। हल्की लालिमायुक्त पीले रंग का यह एक अति सुगंधित पदार्थ है, जो मोम की तरह जमा हुआ सा होता है। अनेक औषधियों में इसका प्रयोग होता है। यंत्र लेखन, तंत्र साधना तथा सामान्य पूजा में भी अष्टगंध-चंदन निर्माण में गोरोचन की अहम भूमिका है। गोरोचन का नियमित तिलक लगाने से समस्त ग्रहदोष नष्ट होते हैं। आध्यात्मिक साधनाओं के लिए गारोचन बहुत लाभदायी है।
11. तिलकों का मिश्रण:- अष्टगन्ध में आठ पदार्थ होते हैं- कुंकुम, अगर, कस्तुरी, चन्द्रभाग, त्रिपुरा, गोरोचन, तमाल, जल आदि। पंचगंध में गोरोचन, चंदन, केसर, कस्तूरी और देशी कपूर मिलाया जाता है। गंधत्रय में सिंदूर, हल्दी और कुमकुम मिलाया जाता है। यक्षकर्दम में अगर, केसर, कपूर, कस्तूरी, चंदन, गोरोचन, हिंगुल, रतांजनी, अम्बर, स्वर्णपत्र, मिर्च और कंकोल सम्मिलित होते हैं।
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