Venus आज आपको “कुंडली में नशे के योग” के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते है । ये जानकरी General Opinion के आधार पर है अतः इसे किसी विशेष लग्न से ना जोड़े।
धूम्रपान का कारक ग्रह राहू है, अतः लग्न, 2nd और 11वा भाव में राहू की मौजूदगी नशे की लत डलवाती है, नशे का निर्धारण आप राशि के स्वभाव से करें।
- अग्नि राशि यानी सिगरेट, बीड़ी, गाँजा
- जलीय राशि यानी मदिरा, भाँग इत्यादि जो पानी में मिलाकर पीया जाए
- पृथ्वी राशि यानी सूखे चबाकर किए जाने वाले नशे जैसे तंबाकू, सुपारी, चैनी-खैनी
- राहू/शनि-विषैला नशा जैसे ड्रग्स, दारू (विदेशी) अफीम
- धुँए-सूँघने वाले नशे का केतू जबाबदार है
- वही मीठे नशे (भाँग, ताडी,–आदि) का शुक्र।
शुक्र प्रधान मेल / फिमेल लगभग सभी नशे पसंद करने वाले होते है I ( नशा किसी भी प्रकार का होता सकता है I ) जिनमें हम सभी आध्यात्मिक/ अघोर’में व वामपंथ / ज्योतिषी / फैशन डिजायनर / हालीवुड / बालीबुड आदि यहाँ तक आप ये भी सोचो कि गोरे देशों व ठंडे प्रान्तो के लोग नशा लेते ही है कारण वही शुक प्रधान देश–ये कोई बड़ा ईशू नही है, हाँ हमारी संस्कृति में कोई भी नशा निषेध है।
छठे भाव में चंद्रमा-शुक्र या मंगल-शुक्र जल तत्व की राशि में हो तो जातक पीने का शौकीन/आदि होता है। शुक्र और मंगल की युति व्यक्ति को शराब की ओर ले जाती है, जातक अधिकतर पार्टी अरेंज करते है, साथ मे चंद्र हो तो सोने में सुहागा।
वैदिक ग्रंथो में चंद्र को मादक पदार्थ वा नशे का कारक ग्रह माना है। “सोमरस” के बारे में आपने अवश्य सुना होगा। यह चंद्र के नाम पर ही पडा है। चंद्र सुगंधित द्रव्य का कारक ग्रह हैं। चंद्र यदि लग्न या दूसरे स्थान पर हो तथा 6,11 स्थान के मालिक का उस पर प्रभाव हो या राहु का प्रभाव हो तो व्यक्ति भयंकर शराबी होता हैं।
- मीठा तरलीय जहर-राहू+शुक्र
- स्मोक-केतू
- तीखा तरलीय नशा-शनि+राहू।
इन सबके संबंध लग्न/लग्नेश से होकर चन्द्र भी सहायक बनाता है।