temple liberation movement : नई दिल्ली। अखिल भारतीय सन्त समिति के तत्वाधान में माँ कालिका सिद्ध पीठ के प्रांगण में देश के कोने-कोने से पधारे लगभग 5000 सन्तों, महन्तों, पीठाधीश्वरों, योगियों, आचार्य मंडलेश्वरों, महामंडलेशवरों, पण्डितों, मठाधिपतियों,आचार्यों,और हिन्दू सनातन धर्म के प्रकाण्ड विद्वानों के सम्मेलन मे “मठ-मन्दिर मुक्ति आन्दोलन” का उद्घोष किया गया।
अखिल भारतीय सन्त समिति के अध्यक्ष एवं माँ कालिका सिद्ध पीठ कालिकाजी मंदिर के महन्त सुरेन्द्र नाथ अवधूत महाराज ने राज्यसरकारों द्वारा मठ मंदिरों पर अवैध रूप से किए कब्जे पर तीव्र रोष प्रकट करते हुए कहा कि सरकारें इनका प्रबंधन तत्काल प्रभाव से धर्म भक्त धर्माचार्यों को सौंप दें, वरना पूरे देश में इस आंदोलन कि चिंगारी आग की तरह फैल जाएगी। उन्होंने सरकारों को संविधान के पालन की सलाह देते हुए कहा कि सरकारें केवल हिन्दू मंदिरों का अधिग्रहण करती हैं, दूसरे धर्मों के मस्जिद या चर्च को नहीं। यदि संविधान मे सभी धर्मों को बराबर माना है, तो हिंदुओं के साथ भेदभाव क्यों? लगभग चार लाख मंदिरों की आय को मंदिरों के रखरखाव के लिए कम और दूसरे धर्म के लोगों को खुश करने और अपना पेट भरने के लिए अधिक हो रहा है।
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महन्त श्री रवीन्द्र पुरी जी महाराज ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की बात करते हुए कहा कि वर्ष 2014 मे सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के चिदम्बरम के नटराज मन्दिर को सरकारी नियन्त्रण से मुक्त करने वाले आदेश मे कहा था – “मंदिरों का संचालन और व्यवस्था भक्तों का काम है,सरकार का नहीं। पुरी के जगन्नाथ मन्दिर के अधिकार वाले केस में जस्टिस शरद अरविन्द बोबडे ने स्पष्ट कहा था कि मंदिरों पर भक्तों द्वारा चढ़ाए गए धन को ये सरकारें मनमाने तरीके से खर्च करती हैं,जबकि एक भी चर्च या मस्जिद पर राज्य का नियंत्रण नहीं है।
सिद्ध योग मठ अखाड़े के बालयोगी आचार्य मंडलेश्वर अलख नाथ जी महाराज ने अपनी ओजस्वी वाणी से उपस्थित जनसमुदाय को उद्वेलित करते हुए कहा कि सनातन हिन्दू धर्म है तो देश है,धर्म बचेगा तो देश बचेगा और हिन्दू धार्मिक स्थलों पर भक्तों द्वारा दिये गए दान व चढ़ावे से गुरुकुल, गौशाला, पुस्तकालय, यज्ञशाला, आयुर्वेद और वैध शालाओं का निर्माण होगा जिससे एकबार फिर से भारतवर्ष विश्वगुरु के पद पर विराजमान होगा।
सर्वोच्च न्यायालय मैं “पी आई एल मैन” के नाम से प्रसिद्ध एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने रिलीजन और धर्म,कान्स्टीच्युशन और संविधान को एक न बताते हुए इनकी अलग अलग विस्तार से व्याख्या करते हुए बताया कि कांग्रेस कि सरकार ने जबर्दस्ती सेकुलरिस्म और धरम निरपेक्षता जैसे शब्दों को घुसा कर जनता को मूर्ख बनाने और संविधान का मज़ाक उड़ाने का काम किया है।
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सहारनपुर से सिद्ध योग मठ अखाड़े के महामंडलेश्वर सन्त कमल किशोर ने इसे अपनी अस्मिता और मान कि लड़ाई में सभी को तन–मन-धन से अपना सहयोग देने का आह्वान करते हुए कहा कि सरकारें हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ उनका आर्थिक शोषण भी करती हैं। यदि सरकारें मन्दिर को पब्लिक की संपत्ति समझती हैं तो मन्दिर के पुजारियों को वेतन क्यों नहीं देती ? और यदि मस्जिदें मुसलमानों की निजी संपत्ति हैं तो सरकार मौलवियों को वेतन क्यों देती है ?
सम्मेलन को स्वामी यतीन्द्र जी, श्री श्री 1008 बालकानन्दगिरि जी महाराज,और अन्य कई प्रमुख संतोंने भी संबोधित किया। इस पवित्र अवसर पर समूहिक रूप से ‘चेतनता की मशाल” महन्त सुरेन्द्र नाथ अवधूत महाराज, महन्त श्री रवीन्द्र पुरी जी महाराज, श्री 1008 बालकानन्द गिरि जी महाराज, बालयोगी आचार्यमंडलेश्वर अलख नाथ जी महाराज ने प्रज्वलित किया और उपस्थित जनसमुदाय ने संघर्ष के जयघोष के साथ इसका अनुमोदन किया। सन्त कमल किशोर ने सभी संतों के हाथ लगवाकर ”‘चेतनता की मशाल” को जन जन तक पहुँचने का कार्य किया।
सम्मेलन मे महामंडलेश्वर हेत राम मित्तल, महामंडलेश्वर विपुल समाधिनाथ जी, महामंडलेश्वर सुरेन्द्र शर्मा जी, योगी मौनीनाथ, महामाई भक्त शिशुपालनाथ जी ने सभी आए संतों का स्वागत किया।
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