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आखिर भोलेनाथ पर क्यों चढ़ाया जाता है दूध, क्या है इसका लाभ ? Sawan 2021

Sawan 2021 : सावन के पवित्र महीने में शिव भगवान को दुग्ध स्नान अर्थात दूध चढ़ाया जाता है। ऐसे में आधुनिक पीढी के बहुत से लोगों में इस परंपरा के लिए बहुत से प्रश्न उठते हैं कि शिव भगवान को दूध क्यों चढ़ाया जाता है। इसके अतिरिक्त अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि सावन के महीने में दूध, दही और इनसे बनी चीजें नहीं खानी चाहिए। लेकिन अगर किसी से ये सवाल किया जाए कि क्यों नहीं खानी चाहिए तो जवाब आसानी से मिलता नहीं है। आइये समझने का प्रयास करते हैं कि सावन की सावन के महीने में दूध, दही और इनसे बनी चीजें क्यों नहीं खानी चाहिए।

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धार्मिक कारण – Sawan 2021 :
विष्णु पुराण के अनुसार जब अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया गया तो इस दौरान सबसे पहले हलाहल विष की प्राप्ति भी हुई। इस हलाहल की ज्वाला बहुत ही तीव्र थी। इस जहर की ज्वाला की तीव्रता के प्रभाव से सभी देव और देत्य जलने लगे। इस विष के कारण संसार का विनाश हो सकता था, परंतु किसी में भी उस विष को सहन करने की क्षमता नहीं थी। तब सभी भगवान शिव के शरण में गए। तब इस सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिवजी ने इस विषय का पान कर लिया। हलाहल विष पीने के कारण उनका शरीर तपने लगा। विष का प्रभाव इतना ज्यादा था कि उनका कंठ नीला हो गया। उनके शरीर को जलन से बचाने के लिए देवताओं ने उनके ऊपर जल डालना आरंभ कर दिया, देवी गंगा पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगा, लेकिन फिर भी उनके शरीर की तपन पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा।

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तब सभी देवताओं ने उनसे दूध ग्रहण करने का निवेदन किया। दूध पीने से विष का असर कम हो गया और भगवान शिव के शरीर की तपन शांत हो गई। तभी से शिवजी को दूध बहुत प्रिय है। यही कारण है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है। विष के कारण भगवान शिव का कंठ नीला होने के कारण ही उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। यह हमारे पूर्वजों द्वारा दिया गया एक सांकेतिक संदेश है कि सावन के महीने में भगवान शंकर को दूध स्नान कराकर उनकी पूजा करनी चाहिए।

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आइए अब आधुनिक तर्क विज्ञान की सोच से इस परंपरा को और अच्छे से समझते हैं।

वैज्ञानिक कारण – Sawan 2021 :
सावन के महीने में बारिश की वजह से जगह-जगह घास और तरह-तरह की हरे पेड़-पौधे अपने आप उगने लगते हैं। साथ ही साथ इस मौसम में कई तरह के कीड़े-मकोड़े भी इन घास और पौधों में पनपने लगते हैं। इस घास-फूस को चारे के तौर पर गाय, भैंस और बकरी चरते रहते हैं। चारे के साथ ये कीड़े-मकोड़े दूध देने वाले पशुओं के पेट में पहुंच सकते हैं। जहां से ये हानिकारक तत्व के तौर पर दूध में भी मिल सकते और दूध के सेवन के ज़रिये इनके आपके शरीर में पहुंचने का खतरा बना रहता है। इसीलिए सावन के महीने में दूध पीने के लिए मना किया जाता है। वहीं दूध से ही दही और पनीर जैसी कई चीजें तैयार की जाती हैं, जिसकी वजह से इनका सेवन न करने की सलाह भी सावन के महीने में दी जाती है।

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पाचन तंत्र भी है वजह : Sawan 2021 :
चिकित्सीय विज्ञान के अनुसार बारिश के मौसम में अक्सर लोगों का का पाचन तंत्र मौसमी बदलाव के कारण कमज़ोर हो जाता है। जिसकी वजह से दूध और दही या फिर इनसे बनी चीजों का सेवन करने से कई बार अपच, गैस, पेट दर्द, उल्टी, दस्त और एसिडिटी जैसी पेट सम्बन्धी दिक्कतें होने लगती हैं। इसलिए सावन के महीने में दूध, दही और इनसे बनी चीजों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।

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इम्यून सिस्टम है वजह : Sawan 2021 :
सावन में बारिश का मौसम होता है और इसकी वजह से तमाम तरह के बैक्टीरिया वातावरण के साथ पानी में भी होते हैं। क्योंकि हर किसी के घर में वाटर प्यूरीफायर होना सम्भव नहीं है और ज्यादातर लोग टैप वाटर का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए इस पानी के दूध में मिले होने की संभावना भी बनी रहती है। दूध के सेवन से या दूध से तैयार दही और पनीर जैसी चीजों के ज़रिये ये बैक्टीरिया आपके शरीर में पहुंचने का खतरा होता है। जिसकी वजह से इम्यून सिस्टम कमज़ोर हो सकता है और आपको उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, मरोड़ और ऐंठन जैसी दिक्कतों के साथ खांसी, ज़ुकाम और बुखार जैसी दिक्कतें भी हो सकती हैं। इसलिए भी सावन के महीने में दूध, दही और इनसे तैयार की गयी चीजों का सेवन करने के लिए मना किया जाता है।

इस लेख का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है अपितु आदिग्रंथों और वैज्ञानिक विचार धारा के जरिए जन मानस में भगवान शंकर के लिए फैली भ्रांतिओं को दूर करने का प्रयास करना है।

– सुनील कुमार मिश्रा

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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