Sawan 2021 : 24 जुलाई को आषाढ़ मास के समाप्त होते ही 25 जुलाई से सावन मास का आरंभ हो जायेगा जो 22 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। इस महीने में भगवान शंकर की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में सोमवार को व्रत रखने और भगवान शंकर की पूजा करने वाले जातक को मनवांछित जीवनसाथी प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है। विवाहित औरतें यदि श्रावन महीने का सोमवार व्रत रखती हैं तो उन्हें भगवान शंकर सौभाग्य का वरदान देते हैं। Sawan 2021
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बहुत से लोग सावन या श्रावण के महीने में आने वाले पहले सोमवार से ही 16 सोमवार व्रत की शुरुआत करते हैं। इस महीने में मंगलवार का व्रत मां मंगला गौरी यानि देवी पार्वती के लिए किया जाता है। श्रावण के महीने में किए जाने वाले मंगलवार व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है. इस साल श्रावण मास में 4 सोमवार पड़ेंगे। अगर आप सावन के महीने में सोमवार व्रत रखते हैं तो इससाल आपको सिर्फ चार ही व्रत रखने होंगे।
पूरे सावन माह में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। खासकर कुंवारी कन्या योग्य वर की प्राप्ति हेतु भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक व्रत रखती हैं। आइये जानते हैं इस बार कब पड़ रही पहली और आखिरी सोमवारी, क्या है इस पर्व का महत्व, इस बार की शिवरात्रि की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि….
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कब होगा आषाढ़ माह समाप्त, कब सावन मास का होगा आरंभ ?
आषाढ़ माह समाप्त: 24 जुलाई 2021, शनिवार को
सावन मास आरंभ: 25 जुलाई 2021, रविवार से
सावन मास की सोमवार की महत्वपूर्ण तिथियां:
इस बार पहली सोमवारी 26 जुलाई को पड़ रही है जबकि चौथी सोमवारी 16 अगस्त को पड़ेगी
सावन का पहला सोमवार: 26 जुलाई 2021
सावन का दूसरा सोमवार: 2 अगस्त 2021
सावन का तीसरा सोमवार: 9 अगस्त 2021
सावन का चौथा सोमवार: 16 अगस्त 2021
सावन शिवरात्रि पूजा कब?
हर साल की तरह सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन की शिवरात्रि व्रत पड़ रही है। ऐसे में साल 2021 में सावन शिवरात्रि पूजा 6 अगस्त को पड़ रहा है। जिसका पारण 7 अगस्त को किया जाएगा।
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सावन शिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
सावन शिवरात्रि व्रत तिथि: 6 अगस्त 2021, शुक्रवार
निशिता काल पूजा मुहूर्त: 7 अगस्त 2021, शनिवार की सुबह 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
पूजा अवधि: मात्र 43 मिनट तक
शिवरात्रि व्रत पारण मुहूर्त: 7 अगस्त की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक
सावन के महीने में भक्त तीन प्रकार के व्रत रखते हैं।
1. सावन सोमवार व्रत 2. सोलह सोमवार व्रत 3. प्रदोष व्रत
श्रावण महीने में सोमवार को जो व्रत रखा जाता है, उसे सावन का सोमवार व्रत कहते हैं। वहीं सावन केपहले सोमवार से 16 सोमवार तक व्रत रखने को सोलह सोमवार व्रत कहते हैं और प्रदोष व्रत भगवान शिव और मां पार्वती का आशीर्वाद पाने के प्रदोष के दिन किया जाता है।
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व्रत और पूजन विधि
सावन सोमवार के दिन सुबह उठकर सबसे पहले पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद पवित्र मन से भगवान शिव का स्मरण करते हुए सोमवार व्रत का संकल्प लें। फिर शिवलिंग की सफेद फूल, सफेद चंदन, पंचामृत, चावल, सुपारी, बेल पत्र, आदि से पूजा करें। पूजा के दौरान “ॐ सों सोमाय नम:” का मंत्र लगातार जपते रहें। शिव के मंत्र का जप हमेशा रुद्राक्ष की माला से करें।
सावन माह पूजा- विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान की सफाई करें। इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग पर गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को बेल पत्र और पुष्प अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं।
इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें।
भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें।
दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें।
भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें।
ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं।
सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं।
पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को शिव चालीसा का पाठ करें और पूजा कर व्रत खोलें।
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श्रावण मास में विशेष महत्व
श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। भोले नाथ अपने नाम के अनुरुप अत्यंत भोले हैं और सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं।शिवोपासना से जीवन की अनेकानेक कठिनाइयां दूर होती हैं। इस मास में महामृत्युंज्य मंत्र, रुद्राभिषेक, शिव पंचाक्षर स्तोत्र आदि के पाठ से लाभ मिलता है। शिवलिंग पर मात्र बिल्व पत्र चढाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, भांग, धतूरा, जल, कच्चा दूध, दही, बूरा, श्हद, दही, गंगा जल, सफेद वस्त्र, आक , कमल गट्टा, पान , सुपारी, पंचगव्य , पंचमेवा आदि भी चढ़ाए जा सकते हैं।
ये बरते सावधानी
शिवलिंग पर चंपा, केतकी, नागकेशर, केवड़ा या मालती के फूल न चढ़ाएं। अन्य कोई भी पुष्प जैसे हार सिंगार,सफेद आक आदि के अर्पित कर सकते हैं। बेल पत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर रखना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि बेल पत्र खंडित न हों।
इस मास के प्रत्येक मंगलवार को मां मंगला गौरी का व्रत, विधिवत पूजन करने से शीघ्र विवाह या वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सौभाग्यादि में वृद्धि होती है। जिन के विवाह में विलंब हो रहा है, शिव पूजन से विवाह संबंधित बाधाएं भी दूर हो जाती हैं।
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कालसर्प दोष
जिन लोगों की कुंडली में राहू दोष या कालसर्प दोष है उन्हें श्रावण मास में विधिवत इसका निवारण सुयोग्य कर्मकांडियों द्वारा करवाने से बहुत से कष्ट दूर होते हैं। इन दिनों रुद्राभिषेक करवाने से भी बह लाभ मिलता है।
बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें ?
1. बिल्वपत्र भोले नाथ पर सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें।
2. बिल्वपत्र में चक्र एंव वज्र नहीं होने चाहिए। कीड़ो द्वारा बनायें हुये सफेद चिन्हों को चक्र कहते है और डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते है।
3. बिल्वपत्र कटे या फटे न हो। ये तीन से लेकर 11 दलों तक प्राप्त होते है। रूद्र के 11 अवतार है, इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र चढ़ायें जाये तो महादेव ज्यादा प्रसन्न होंगे।
4. बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक पाप नष्ट हो जाते है।
5. शिव के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा।
6. पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें।
7. भस्म से तीन तिरछी लकीरों वाला तिलक लगायें।
8. शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।
9. शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें।
10. शिव जी पर केंवड़ा व चम्पा के फूल कदापि न चढ़ायें।
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