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आषाढ़ मास की संकष्टी गणेश चतुर्थी : इस दिन ये कार्य करने से पूरी होती है मनोकामनाएं Sankashti Ganesh Chaturthi

संकष्टी गणेश चतुर्थी Sankashti Ganesh Chaturthi हर माह आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी  Sankashti Ganesh Chaturthi के रूप में मनाया जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रमा उदय होने पर व्रत समाप्त किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर श्री गणेश का पूजन किया जाता है।

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इस बार आषाढ़ मास की यह चतुर्थी तिथि रविवार, 27 जून को मनाई जा रही है। रविवार को संकष्टी चतुर्थी आने के कारण इस दिन रविवती संकष्टी चतुर्थी Sankashti Ganesh Chaturthi का संयोग बन रहा है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उनके लिए रविवती संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखना लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इस दिन प्रातः सूर्यदेव को जल चढ़ाने और श्री गणेश का विधिवत व्रत करने से सूर्य ग्रह संबंधी दोषों में लाभ होता है।

चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी ही हैं। ज्ञात हो कि संकष्टी चतुर्थी Sankashti Ganesh Chaturthi के दिन व्रतधारी श्री गणेश पूजन के बाद चंद्रमा को जल अर्पित करके उनका दर्शन करते हैं और चंद्रमा के दर्शन के बाद ही गणेश चतुर्थी व्रत को पूर्ण माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी संकट मिट जाते हैं और जीवन में धन, सुख और समृद्धि आती है। इसके बाद व्रतधारी पारण करके व्रत को पूर्ण करते है।

इस दिन किए गए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ से यश, वैभव, सुख-समृद्धि, धन, कीर्ति, ज्ञान और बुद्धि में अतुलनीय वृद्धि होती है। श्रीगणेश शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं।

इस दिन क्या करना चाहिए :

श्री गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।

ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें।

इसके बाद घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें। सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें।

धूप-दीप जलाएं। ‘ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। मंत्र जाप 108 बार करें।

गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।

सूर्यदेव का मंत्र ॐ सूर्याय नम: का जाप 108 बार करें। सूर्य देवता को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं।

पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। गाय को रोटी या हरी घास दें। किसी गौशाला में धन का दान भी कर सकते हैं।

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महेश कुमार शिवा ganeshavoice.in के मुख्य संपादक हैं। जो सनातन संस्कृति, धर्म, संस्कृति और हिन्दी के अनेक विषयों पर लिखतें हैं। इन्हें ज्योतिष विज्ञान और वेदों से बहुत लगाव है।
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