naag takshakeshwar : सावन का महीना शुरु होते ही देश के तमाम शिवालयों में शिव भक्तों का तांता लगना शुरु हो गया है। हर कोई अपनी कामना के अनुसार शिव मंदिरों में जाकर विधि–विधान से पूजा–अर्चना कर रहा है। naag takshakeshwar
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शिव के तमाम सिद्ध धामों में से एक है तक्षकेश्वर नाथ naag takshakeshwar मंदिर जो कि कुंभ नगरी प्रयागराज में यमुना के किनारे दरियाबाद में स्थित है। जहां पर दर्शन एवं पूजन के बगैर प्रयागराज की यात्रा पूर्ण नहीं नहीं मानी जाती है। यह पावन स्थान संपूर्ण सर्पजाति के स्वामी श्री तक्षक नाग का है। मान्यता है कि रुद्रलोक के नागों के प्रमुख श्री तक्षक को ही धुरी मानकर 9 ग्रह 12 राशि 28 नक्षत्र कर्म करते हैं, जिससे संपूर्ण जीव–जगत संचालित होता है।
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कृष्ण के काल से जुड़ी है कथा
इस मंदिर के पास ही यमुना में तक्षकेश्वर कुंड है, जिसे लेकर मान्यता है कि कि भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा से भगाये जाने के तक्षक नाग ने इसी कुंड में शरण ली थी। मान्यता है कि सतयुग के श्री शेषनाग, त्रेतायुग के अनंतनाग, द्वापर में श्री वासुकी और कलयुग में तक्षकनाग ही प्रमुख पूजनीय हैं।
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पूजा से दूर होते हैं सभी दोष
बाबा तक्षकेश्वरनाथ का यह पावन धाम कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सिद्ध धाम माना जाता है। गौरतलब है कि कालसर्प योग कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कई कालसर्प योग बहुत ज्यादा घातक होते हैं। जिनका निवारण किसी भी मास के शुक्लपक्ष की पंचमी, विशेष नक्षत्र, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण या फिर विशेष वार को कराने के लिए लोग इस दिव्य धाम में आते हैं।
यह मंदिर राहु की महादशा का महाउपाय करने और नागदोष एवं विषबाधा से मुक्ति पाने का महातीर्थ है। मान्यता है कि बाबा तक्षकेश्वरनाथ का आशीर्वाद मिल जाने के बाद सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
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पितरों के लिए होता है पिंडदान
तक्षक तीर्थ के महात्मय के बारे में पद्म पुराण पातालखंड के सताध्यायी के 82वें अध्याय में कहा गया है कि सभी मास की शुक्ल पंचमी, जिसमें विशेष रूप से अगहन और श्रावण मास की पंचमी को तक्षक कुंड में स्नान कर भगवान तक्षकेश्वरनाथ की पूजा करने से समस्त कुल की विषबाधा दूर होती है। यानि परिवार को भविष्य में सांप,बिच्छ, आदि के काटने का भय समाप्त हो जाता है। परिवार में सुख–समृद्धि बनी रहती है।
मान्यता है कि भगवान तक्षकेश्वनाथ सभी सांसारिक सुखों को प्रदान करने वाले हैं और इस तीर्थ में पिंडदान करने पर पूर्वज किसी भी लोक अथवा योनि में हो वो मुक्त हो जाते हैं।
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