Masik Shivratri : हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन (Masik Shivratri) मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। माघ मास की मासिक शिवरात्रि 30 जनवरी 2022, रविवार के दिन पड़ने वाली है। शिव को प्रसन्न करने के लिए मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri) का व्रत किया जाता है। ऐसे में जानते हैं मासिक शिवरात्रि की पौराणिक कथा, व्रत विधि और महत्व के बारे में…
Masik Shivratri मासिक शिवरात्रि कथा
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धार्मिक ग्रंथ और पौराणिक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में भगवान शिव लिंग के रूप में प्रकट हुए थे, शिव के प्रकट होने के बाद सबसे पहले उनकी पूजा ब्रह्मा और विष्णुजी ने की थी। मान्यता है कि तभी से लेकर आज तक इस दिन को शिव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसलिए इस दिन शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
धर्म शास्त्रों के मुताबिक पौराणिक काल में मां लक्ष्मी, गायत्री, सीता, सरस्वती, पार्वती और रती आदि पवित्र देवियों ने भी शिवरात्रि का व्रत रखा था। जिस कारण उनका उद्धार हुआ। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के व्रत से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। साथ ही भगवान शिव की कृपा से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं।
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मासिक शिवरात्रि व्रत और पूजा-विधि
वैसे को मासिक शिवरात्रि का व्रत किसी भी दिन से शुरू किया जा सकता है, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन से इस व्रत को शुरू करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत कोई भी कर सकता है। इस व्रत के दौरान श्रद्धालुओं को रात को जागकर शिवजी की पूजा करनी चाहिए।
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मासिक शिवरात्रि व्रत के नियम
मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के निवृत हो जाएं। मंदिर में जाकर पूरे शिव सहित उनके पूरे परिवार (गणेश, पार्वती, कार्तिकेय और नंदी) की पूजा करें। जल, शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही आदि से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करें। इसके अलावा शिवलिंग पर शुद्ध बेलपत्र, नारियल और धतूरा भी चढ़ाएं।
इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, फल और फूल से शिवजी की पूजा करें। शिव पूजन करते वक्त शिव अष्टक, शिव स्तुति, शिव श्लोक और शिव पुराण का पाठ करना लाभकारी रहेगा। व्रत के दौरान फलाहार कर सकते हैं। अन्न ग्रहण करना निषेध माना गया है। अगले दिन भगवान शिव की पूजा के बाद व्रत का पारण करें।
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