Ganesh Chaturthi 2021 : प्रथम पूजनीय गणपति की पूजा करने मात्र से ही साधक के सभी कार्य आसानी से बन जाते हैं। गणपति की कृपा से उसके जीवन में आ रही बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान हो जाता है। उसे सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलने लगता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश जी का जन्म हुआ था, ऐसे में इस पावन तिथि पर गणपति की साधना-आराधना करना अत्यंत शुभ माना गया है।
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गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक अर्थात 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस महापर्व पर गणेश जी की पूजा करते समय यदि आप कुछ चीजों का विशेष ख्याल रखते हैं तो आपकी साधना शीघ्र ही सफल होगी। जैसे गणपति की पूजा में उनकी प्रिय चीज दूर्वा और यदि संभव हो तो कुछ पत्तियां जरूर चढ़ाएं।
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इन मंत्रों से करें गणपति की पूजा
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की आशीर्वाद मुद्रा वाली प्रतिमा या फोटो के सामने बैठकर उनका विधि-विधान से पूजा करें और पूजा में नीचे दिये गये पत्तों को मंत्रों के साथ चढ़ाएं। गणपति के 21 नाम वालें मंत्रों और 21 पेड़ों के पत्तों को अर्पित करने पर निश्चित रूप से उनकी कृपा प्राप्त होती है और साधक का कल्याण होता है।
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श्री गणेश नाम वृक्षों के नाम
ॐ सुमुखाय नमः शमी पत्र
ॐ गणाधीशाय नमः भृंगराज पत्र
ॐ उमापुत्राय नमः बेल पत्र
ॐ गजामुखाय नमः दूर्वापत्र
ॐ लम्बोदराय नमः बेर का पत्र
ॐ हर पुत्राय नमः धतूरे का पत्र
ॐ शूर्पकर्णाय नमः तुलसी के पत्र
ॐ वक्रतुण्डाय नमः सेम का पत्र
ॐ गुहाग्रजाय नमः अपामार्ग पत्र
ॐ एकदंताय नमः भटकटैया पत्र
ॐ हेरम्बाय नमः सिंदूर पत्र
ॐ चतुर्होंत्रे नमः तेज पत्र
ॐ सर्वेश्वराय नमः अगस्त पत्र
ॐ विकटाय नमः कनेर पत्र
ॐ हेमतुण्डाय नमः केला पत्र
ॐ विनायकायनमः आक पत्र
ॐ कपिलाय नमः अर्जन पत्र
ॐ वटवे नमः देवरारू पत्र
ॐ भालचंद्रय नमः महुये के पत्र
ॐ सुराग्रजाय नमः गांधारी पत्र
ॐ सिद्धि विनायक नमः केतकी पत्र
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गणपति को इस मंत्र से चढ़ाएं दूर्वा
गणेश जी को 21 पत्तियों को यदि आप चढ़ा पाने में असमर्थ हों तो आप इसकी जगह दूर्वा की 21 गांठ ‘श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि’ मंत्र के साथ चढ़ाएं। इसके साथ गणपति को 21 मोदक और मोतीचूर के लड्डू प्रसाद में चढ़ाएं और विधि-विधान से आरती करके सभी को प्रसाद बांटें। श्रद्धा एवं विश्वास के साथ की गई इस पूजा से गणपति शीघ्र ही प्रसन्न होंगे आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करेंगे।
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